Indian History Class 12 Chapter 12 Notes in Hindi , औपनिवेशिक शहर – नगरीकरण, नगर- योजना

आज की इस पोस्ट में हम Indian History Class 12 Chapter 12 Notes आपके लिए लेकर आए हैं आपको पता होगा की एनसीईआरटी सभी परीक्षाओं के लिए कितना महत्वपूर्ण है इसलिए औपनिवेशिक शहर – नगरीकरण, नगर- योजना अध्याय को पढ़ना बहुत जरूरी है लेकिन हम आपको इसके केवल महत्वपूर्ण नोट्स उपलब्ध करवा रहे हैं

अध्याय 12 के लिए आप हमारे द्वारा दिए गए इन नोट्स को जरूर पढ़ लें एवं याद करले इस अध्याय के लिए आपको अन्य कहीं और से पढ़ने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं होगी 

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औपनिवेशिक शहर – नगरीकरण, नगर- योजना

·  भारत के पश्चिमी तट पर गुजरात स्थित सूरत बंदरगाह हिंद महासागर के रास्ते होने वाले व्यापार के सबसे महत्त्वपूर्ण बंदरगाहों में से एक था।

·  डच और ब्रिटिश व्यापारिक जहाज 17वीं सदी की शुरुआत से ही इस बंदरगाह का इस्तेमाल करने लगे थे।

·  सूती कपड़ों के मशीनी उत्पादन ने ही 19वीं सदी में ब्रिटेन को दुनिया का सबसे प्रमुख औद्योगिक राष्ट्र बना दिया था।

·  1850 के दशक में जब ब्रिटेन का लोहा और इस्पात उद्योग भी पनपने लगा तो ब्रिटेन दुनिया का कारखाना कहलाने लगा।

भारतीय कपड़े और विश्व बाजार

·  बंगाल पर अंग्रेजों की विजय से पहले 1750 ई. के आस–पास दुनिया में भारत कपड़ा उत्पादन में सबसे आगे था।

·  16वीं शताब्दी से यूरोप की व्यापारिक कम्पनियाँ यूरोप में बेचने के लिए भारतीय कपड़े खरीदने लगी।

·  दक्षिणी पूर्वी एशिया तथा पश्चिमी एवं मध्य एशिया में  भी इन कपड़ों का भारी व्यापार था।

·  पटोला बुनाई सूरत, अहमदाबाद और पाटन में होती थी।

शब्दों में छिपा इतिहास

·  ईराक के मौसलू शहर में अरब व्यापारियों ने भारत के सूती कपड़े को ‘मस्लिन’ कहा।

·  पुर्तगालियों ने केरल के तट पर सूती कपड़ों को ‘केलिको’ कहा।

बंडाना डिजाइन

·  बंडाना शब्द का इस्तेमाल गले या सिर पर पहनने वाले चटक रंग के छापेदार गुलबंद के लिए किया जाता है।

·  बंडाना शैली के कपड़े अधिकांशत: राजस्थान और गुजरात में बनाए जाते हैं।

स्पिनिंग जैनी

·  1764 ई. में जॉन के स्पिनिंग जैन का आविष्कार किया।

·  यह एक ऐसी मशीन थी जिसमें एक कामगार एक साथ कई तकलियों पर काम कर सकता था।

·  1786 ई. में रिचर्ड आर्कराइट ने वाष्प इंजन का आविष्कार किया।

बुनकर कौन थे

·  आमतौर पर बुनाई का काम करने वाले लोग बुनकर थे।

·  बंगाल के तांती, उत्तर भारत के जुलाहे या मोमिन, दक्षिण भारत के साले व कैकोलार तथा देवांग समुदाय बुनकरी के लिए प्रसिद्ध थे।

औरांग

·  फारसी भाषा में गोदाम को औरांग कहा जाता है।

चरखा

·  वर्ष 1931 में चरखे को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के झण्डे के बीच वाली पट्‌टी में जगह दी गई।

·  भारत में पहली सूती कपड़ा मिल 1854 ई. में बम्बई में स्थापित हुई।

प्रगलन

·  चट्टान या मिट्‌टी को बहुत ऊँचे तापमान पर गर्म करके धातु तैयार करने या धातु की बनी चीजों को पिघलाने की प्रक्रिया प्रगलन कहलाती है।

टीपू सुल्तान

·  टीपू सुल्तान ने 1799 ई. तक मैसूर पर शासन किया और अंग्रेजों से चार लड़ाइयाँ लड़ी।

·  टीपू सुल्तान की विख्यात तलवार इंग्लैण्ड के संग्रहालय में रखी है।

·  तलवार में वुट्ज स्टील का प्रयोग किया गया और तलवार की मूठ पर कुरान की आयतें लिखी गई है।

धौंकनी

·  हवा फेंकने का यंत्र

औपनिवेशिकरण की शुरुआत

·  कंपनी के एजेंट शुरुआत में मद्रास, कलकत्ता और बम्बई में बस गए थे। जो मूल रूप से मछली पकड़ने और बुनाई करने वाले गाँव थे, उन्होंने धीरे-धीरे इन गाँवों को शहरों में विकसित किया।

·  इन शहरों में औपनिवेशिक सरकारी संस्थान थे जो आर्थिक गतिविधि को विनियमित करने और नए शासन के अधिकार को प्रदर्शित करने के लिए स्थापित किये गए थे।

पूर्व औपनिवेशिक समय में शहर और गाँव

·  अंग्रेजों के आगमन से पहले शहरों और गाँवों की चर्चा निम्न प्रकार से की जा सकती हैं–

·  शहर आर्थिक गतिविधियों और संस्कृतियों के अद्वितीय रूप का प्रतिनिधित्व करते थे, नगर में शासक, प्रशासक, कारीगर, जागीरदार और व्यापारी आदि रहते थे। शहर किले की दीवार से घिरे हुए थे और ग्रामीण क्षेत्रों से इनकी पृथकता को चिह्नित किया जाता था।

·  ग्रामीण इलाकों से किसान तीर्थयात्रा के लिए शहर में आते या अकाल आदि के दौरान कस्बों व शहरों की तरफ पलायन करते थे, इसके अलावा जब कस्बों पर आक्रमण होते तो लोग अकसर ग्रामीण क्षेत्रों में शरण लेते थे।

·  शहर और केंद्रों में सम्राट, रईसों और अन्य संपन्न शक्तिशाली व्यक्तियों के केंद्रीकरण का स्थान था। मध्यकाल में दिल्ली, आगरा, लाहौर, मदुरई और काँचीपुरम् आदि प्रसिद्ध कस्बे व शहर थे, जो सभी प्रकार की सुविधाओं व व्यापार के केंद्र थे।

18वीं शताब्दी में परिवर्तन

·  18वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य के पतन के साथ, पुराने शहरों ने भी अपनी भव्यता खो दी थी और लखनऊ, हैदराबाद, सेरिंगपट्टनम, पुणे, नागपुर, बड़ौदा, तंजौर आदि नए शहर विकसित हुए थे और ये शहर स्थानीय प्राधिकरण की सीट थे।

·  व्यापारी, कारीगर, प्रशासक और भाड़े के लोग काम और संरक्षण की तलाश में पुराने मुगल केंद्रों से इन शहरों में चले गए। कई नए कस्बे’ (देश के किनारे का छोटा शहर) और गंज (छोटा फिक्सड मार्केट) अस्तित्व में आया, लेकिन राष्ट्रीय विकेंद्रीकरण का प्रभाव पांडिचेरी (आज का पुडुचेरी) पर पड़ा।

·  यूरोपीय वाणिज्यिक कंपनियों ने विभिन्न शहरों में अपना आधार स्थापित किया था, जैसे-पणजी में पुर्तगालियों ने, मछलीपट्नम में डच ने, मद्रास में ब्रिटिशों ने और पांडिचेरी में फ्रेंचों ने ।

·  वाणिज्यिक गतिविधि के विस्तार के साथ शहरों में और वृद्धि हुई, धीरे-धीरे 18वीं शताब्दी के अंत तक एशिया में भूमि आधारित साम्राज्यों को, शक्तिशाली समुद्र आधारित यूरोपीय साम्राज्यों द्वारा बदल दिया गया। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, व्यापारिकता और पूँजीवाद के बलों ने समाज की प्रकृति को परिभाषित किया।

·  जैसे ही अंग्रेजों ने 1757 से भारत में राजनीतिक नियंत्रण सँभाला, ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापार का विस्तार हुआ और बम्बई, कलकत्ता और मद्रास जैसे औपनिवेशिक बंदरगाह शहर आर्थिक और राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरे।

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