भारत का इतिहास : पाषाणकाल क्लासरूम नोट्स

अगर आप SSC CGL / CHSL / GD की या अन्य किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो यह पोस्ट के लिए है जिसमें हमने भारत का इतिहास के एक महत्वपूर्ण टॉपिक पाषाण काल से संबंधित क्लासरूम नोट्स उपलब्ध करवा रहे हैं जिन्हें बिल्कुल सरल एवं आसान भाषा में तैयार किया गया है

आगामी परीक्षा की तैयारी के लिए आप इन नोट्स के माध्यम से अपनी तैयारी घर बैठे बहुत ही शानदार तरीके से कर सकते हैं यहां आपको किसी भी तरह का शुल्क नहीं देना होगा

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पाषाणकाल क्लासरूम नोट्स

पाषाणकाल को तीन भागों में बाँटा गया हैं-

(1) पुरापाषाण काल 

(2) मध्य पाषाण काल

(3) नव पाषाण काल

1.   पुरापाषाणकाल (Palaeolithic Age)

♦  यह प्रागैतिहासिक युग का वह समय है जब मानव ने पत्थर के औजार बनाना सर्वप्रथम प्रारम्भ किया था।

(i)    निम्न पुरापाषाणकाल : लगभग (500000 ई.पू. से 50000 ई.पू. के मध्य)

(ii)   मध्य पुरापाषाणकाल : लगभग (50000 ई.पू. से 40000 ई.पू. के मध्य)

(iii)  उच्च पुरापाषाणकाल : लगभग (40000 ई.पू. से 10000 ई.पू. के मध्य)

♦  भारत में पुरापाषाणकाल के अवशेष आन्ध्रप्रदेश के करनूल, कर्नाटक के हुस्गी, ओडिशा के कुलिआना तथा राजस्थान के डीडवाना एवं मध्यप्रदेश के भीमबेटका से प्राप्त हुए है।

2.  मध्यपाषाणकाल (Mesolithic Age)

♦  यह पुरापाषाणकाल और नवपाषाणकाल के मध्य का संक्रमण काल है।

♦  इसका समयकाल लगभग 9000 ई.पू. से 4000 ई.पू. तक माना जाता है। इस काल में पत्थर के बहुत छोटे औजार होते थे।

♦  मध्य पाषाण काल में प्रमुख औजार फलक, पाँइटं, खुरचन, वेधनी जैसे कई सुक्ष्म पाषाण उपकरण मौजुद थे।

♦  पशुपालन का प्रारंम्भिक साक्ष्य भी इसी काल में मिलता है।

♦  इस काल में मध्यप्रदेश के आदमगढ और राजस्थान के बागोर से पशुपालन के प्राचीनतम साक्ष्य मिले है।

♦  प्रमुख मध्यपाषाणकालीन क्षेत्र निम्नलिखित है- सांभर झील, लंगनाज, सराय नाहर, महादाहा, भीमबेटका, वीरभानपुर इत्यादि।

3.  नव पाषाण काल (New Stone Age) 

♦  मानव ने आग का आविष्कार इसी समय किया था। (आग का प्रयोग अपने सामान्य जीवन में जैसे – भोजन पकाने, जंगल साफ करने इत्यादि में)।

♦  स्थायी बसावट के साक्ष्य – मेहरानगढ़ (पाक) से मिलते हैं। यही से खेती बाड़ी या कृषि के साक्ष्य मिले हैं।

♦  पहिये का आविष्कार – इस काल का सबसे क्रांतिकारी आविष्कार माना जाता है। 

♦  आदिमानव ने सर्वप्रथम धातु के रूप में ताँबे का अविष्कार किया।

♦  अनाज के भण्डारण हेतु उसने मृदभाण्ड बनाए। 

♦  नव पाषाण काल में मानव ने तीव्रता से प्रगति की । यद्यपि इस काल में मानव के हथियार पत्थर के ही थे, परन्तु उन्हें नुकीला और पॉलिश करके चमकीला बना दिया गया था इस काल में मानव ने अन्य कालों की अपेक्षा अधिक उन्नति कर ली थी।

♦  इस काल में मानव खेती करके अन्न उपजाने लगा, अत: अब मानव उदरपूर्ति के लिए भोजन का उपयोग करने लगा। अग्नि की सहायता से वह अपना भोजन पकाने लगा। खुदाई में भोजन पकाने के अनेक बर्तन मिले हैं।

♦  नवपाषाणिक संस्कृति अपनी पूर्वगामी संस्कृतियों की अपेक्षा अधिक विकसित थी। इस काल का मानव न केवल खाद्य पदार्थों का उपभोक्ता था, वरन् उत्पादक भी था। वह कृषि कर्म और पशुपालन से पूर्णत: परिचित हो चुका था। 

♦  इस युग में धरती बर्फ से ढँकी हुई थी। भारतीय पुरापाषाणकाल को मानव द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पत्थर के औजारों के स्वरुप और जलवायु में होने वाले परिवर्तन के आधार पर तीन भागों में बाँटा गया है

आद्य इतिहास  

♦  पाषाण युग की समाप्ति के बाद धातुओं के युग का प्रारम्भ हुआ। इसी युग को आद्य ऐतिहासिक काल या धातु काल कहा जाता है।

♦  हड़प्पा संस्कृति तथा वैदिक संस्कृति की गणना इस काल से की जाती है।

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