आज की इस पोस्ट में हम राजस्थान का सामान्य परिचय से संबंधित क्लासरूम नोट्स उपलब्ध करवा रहे हैं जिसमें आप राजस्थान की स्थिति एवं विस्तार के बारे में अधिक विस्तार से जान सकते हैं अगर आप राजस्थान से संबंधित किसी भी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो आपको यह नोट्स एक बार जरूर पढ़ने चाहिए
यहां से बहुत बार परीक्षा में प्रश्न पूछे जा चुके हैं इसलिए अगर आप राजस्थान का भूगोल विषय की तैयारी बिल्कुल शुरू से कर रहे हैं तो हमारे इन नोट्स के साथ आप शानदार तैयारी कर सकते हैं
राजस्थान का सामान्य परिचय
राजस्थान का नामकरण
ब्रह्मवर्त–
वैदिक काल में इसे ब्रह्मवर्त नाम से जाना जाता था।
वैदिक काल में यहाँ पर दृषद्वती या सरस्वती नदी का प्रवाह होने का उल्लेख मिलता है।
मरुकांतार–
इस शब्द का उल्लेख वाल्मीकिकृत ‘रामायण’ में किया गया है।
राजस्थानीयादित्य–
इस शब्द का उल्लेख ‘बसन्तगढ़ शिलालेख’ (सिरोही) में मिलता है।
बसंतगढ़ शिलालेख, बसन्तगढ़ (सिरोही) में खेमल माता के मंदिर के बाहर खुदवाया गया था।
राजपूताना–
इस शब्द का उल्लेख सर्वप्रथम जॉर्ज थॉमस ने 19वीं सदी के प्रारम्भ (1800 ई.) में किया था।
‘जॉर्ज थॉमस’ ग्वालियर के शासक ‘दौलतराव सिन्धिया’ का अंग्रेजी कमांडर था।
राजपूताना शब्द का लिखित प्रमाण 1805 ई. में प्रकाशित ‘विलियम फ्रेंकलिन’ की पुस्तक ‘मिलिट्री मेमॉयर्स ऑफ जॉर्ज थॉमस’ में मिलता है।
राजस्थान, रजवाड़ा, रायथान–
कर्नल जेम्स टॉड ने अपनी पुस्तक ‘एनाल्स एण्ड एंटीक्वीटीज ऑफ राजस्थान’ का प्रकाशन 1829 ई. में करवाया। इस पुस्तक में इस भू-भाग के लिए उन्होंने राजस्थान व रजवाड़ा शब्द का उल्लेख किया था।
इसका दूसरा नाम ‘द सेण्ट्रल एण्ड वेस्टर्न राजपूत स्टेट ऑफ इण्डिया’ है।
1835 ई. में कर्नल जेम्स टॉड की मृत्यु हो गई तथा इनकी पत्नी ने 1839 ई. में दूसरी पुस्तक ‘पश्चिमी भारत की यात्रा’ को प्रकाशित करवाया था।
मुहणोत नैणसी ने अपनी रचना ‘नैणसी री ख्यात’ तथा वीरभान के ‘राजरूपक’ में राजस्थान शब्द का प्रयोग किया।
(यह शब्द भौगोलिक प्रदेश राजस्थान के लिए प्रयुक्त नहीं हुआ लगता अर्थात् सर्वप्रथम राजस्थान शब्द का प्रयोग करने का श्रेय कर्नल जेम्स टॉड को दिया जाता है।)
राजस्थान के एकीकरण के द्वितीय चरण (25 मार्च, 1948) में सर्वप्रथम राजस्थान शब्द का उल्लेख मिलता है। (पूर्वी राजस्थान संघ के रूप में)
एकीकरण के छठे चरण (26 जनवरी, 1950) में राजस्थान शब्द को वैधानिक मान्यता मिली।
एकीकरण के अंतिम चरण (1 नवंबर, 1956) में राजस्थान को राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश पर राज्य के रूप में मान्यता मिली।
राजस्थान का परिचय :-
भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान है। इसका कुल क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग किलोमीटर है (1,32,139 वर्ग मील) जो भारत के कुल क्षेत्रफल का 10.41% या 1/10वाँ भाग है। 1 नवम्बर, 2000 को मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ राज्य के अलग होने से राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य बना।
क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत के पाँच बड़े राज्य – राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और गुजरात हैं।
राजस्थान, क्षेत्रफल की दृष्टि से श्रीलंका से पाँच गुना, चेकोस्लोवाकिया से तीन गुना, इजरायल से सत्रह गुना व ब्रिटेन से दुगुना है।
राजस्थान का क्षेत्र नॉर्वे व पॉलैण्ड के लगभग बराबर है।
राजस्थान का क्षेत्रफल लगभग जापान, कॉन्गो रिपब्लिकन, फिनलैंड और जर्मनी के क्षेत्रफल के भी बराबर हैं।
तथ्य :-
राजस्थान, धौलपुर से 112.8 गुना बड़ा है।
धौलपुर, राजस्थान का 0.89 प्रतिशत हिस्सा है।
विश्व के क्षेत्रफल में राजस्थान का योगदान 0.25 प्रतिशत है।
राजस्थान, भारत के कुल क्षेत्रफल का 10.41 प्रतिशत भाग है।
राजस्थान की स्थिति, विस्तार एवं आकृति
नोट :-
ग्लोब या विश्व के मानचित्र में राजस्थान की स्थिति उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में है।
एशिया के मानचित्र में राजस्थान की स्थिति दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) में है।
भारत के मानचित्र में राजस्थान की स्थिति उत्तर-पश्चिम (वायव्य कोण) में है।
राजस्थान की आकृति विषम चतुष्कोणीय, चतुर्भुजाकार या पतंगाकार है।
इस आकृति के बारे में सर्वप्रथम ‘टी.एच. हेडले’ ने बताया।
राजस्थान के उत्तर से दक्षिण की लम्बाई 826 किलोमीटर है।
राजस्थान की पूर्व से पश्चिम की चौड़ाई 869 किलोमीटर है।
राजस्थान के उत्तर–दक्षिण लम्बाई व पूर्व–पश्चिम चौड़ाई में अन्तर 43 किमी. है।
राजस्थान में उत्तर–पश्चिम से दक्षिण – पूर्व की ओर विकर्ण लम्बाई 850 किमी. है।
राजस्थान में दक्षिण –पश्चिम से उत्तर–पूर्व की ओर विकर्ण लम्बाई 784 किमी. है।
राजस्थान में उत्तर–पश्चिम से दक्षिण–पूर्व और दक्षिण–पश्चिम से उत्तर–पूर्व में विकर्णों की लम्बाई व चौड़ाई में अन्तर 66 किमी. है।
राजस्थान का अक्षांशीय एवं देशांतरीय विस्तार
राजस्थान का अक्षांशीय विस्तार
अक्षांश = यह एक काल्पनिक रेखा है जो ग्लोब में पूर्व से पश्चिम की ओर खींची जाती है।
राजस्थान का अक्षांशीय विस्तार 23°3’ उत्तरी अक्षांश से 30°12’ उत्तरी अक्षांश तक है।
राजस्थान कुल 7°9’ अक्षांशों में विस्तृत है।
राजस्थान का मध्यवर्ती अक्षांश 27° उत्तरी अक्षांश (26° 37’) है।
राजस्थान के उत्तर से दक्षिण की लम्बाई 826 किलोमीटर है।
राजस्थान का उत्तरतम बिन्दु कोणा गाँव (श्रीगंगानगर) व दक्षिणतम बिन्दु बोरकुण्ड (बाँसवाड़ा) है।
राजस्थान का देशांतरीय विस्तार
देशान्तर = ग्लोब पर उत्तर से दक्षिण की ओर खींची गई काल्पनिक रेखा जो मुख्य रूप से समय का निर्धारण करती है।
राजस्थान का देशान्तरीय विस्तार 69°30’ पूर्वी देशांतर से 78°17’ पूर्वी देशांतर तक है।
राजस्थान कुल 8°47’ देशांतरों में विस्तृत है।
राजस्थान का मध्यवर्ती देशान्तर 74°17’ (74° देशान्तर) है।
सूर्य को एक देशान्तर को पार करने में 4’ (मिनट) का समय लगता है राजस्थान में पूर्व से पश्चिम की ओर जाने पर 8°47’ × 4 = 35 मिनट 8 सेकण्ड का समय लगता है।
राजस्थान की पूर्व से पश्चिम की चौड़ाई 869 किलोमीटर है।
राजस्थान का पूर्वी बिन्दु सिलान गाँव (धौलपुर) व पश्चिमी बिन्दु कटरा गाँव (जैसलमेर) है।
उत्तरी अक्षांश:- इसे कर्क रेखा कहते हैं।
कर्क रेखा भारत के आठ राज्यों गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा व मिजोरम से होकर गुजरती है।
कर्क रेखा राजस्थान के डूँगरपुर जिले के चिकली को छूते हुए बाँसवाड़ा के मध्य से गुजरती है अर्थात् यह राजस्थान के दो जिलों से होकर गुजरती है।
कर्क रेखा की राजस्थान में कुल लम्बाई 26 किलोमीटर है।
कर्क रेखा राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित है जबकि राजस्थान का 99% क्षेत्रफल कर्क रेखा के उत्तरी भाग में स्थित है।
सूर्य की सीधी किरणें कर्क रेखा पर यानी बाँसवाड़ा जिले में पड़ती हैं, तो राजस्थान में सर्वाधिक तिरछी किरणें श्रीगंगानगर में पड़ती है।
कुशलगढ़ तहसील (बाँसवाड़ा) में 21 जून को सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर लम्बवत् पड़ती हैं।
कर्क रेखा से जैसे-जैसे हम उत्तर की ओर जाते हैं, वैसे-वैसे सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती जाती हैं।
माही नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है इसलिए इसे राजस्थान की ‘स्वर्ण रेखा’ कहा जाता है।
राजस्थान में सूर्य की सीधी किरणें बाँसवाड़ा में पड़ती है।
राजस्थान में सूर्य की सर्वाधिक तिरछी किरणें श्रीगंगानगर में पड़ती हैं।
राजस्थान में सबसे बड़ा दिन 21 जून को होता है।
कर्क रेखा पर 21 जून को सूर्य की किरणें लम्बवत् (सीधी) पड़ती है। इसके बाद सूर्य दक्षिणायन होना प्रारंभ हो जाता है।
अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून (प्रारंभ वर्ष 2015 से)
राजस्थान में सबसे बड़ी रात 22 दिसम्बर को होती है।
राज्य में दिन व रात की अवधि बराबर 21 मार्च व 23 सितम्बर को होती है।
जैसलमेर तथा धौलपुर में सूर्योदय का अन्तर लगभग 36 मिनट का होता है।
सर्वप्रथम सूर्योदय व सूर्यास्त धौलपुर जिले में होता है तथा राजस्थान में सबसे बाद में सूर्योदय व सूर्यास्त जैसलमेर में होता है।
राजस्थान का मध्यवर्ती स्थान लाम्पोलाई (नागौर) है।
राजस्थान का मध्यवर्ती गाँव सैटेलाइट के अनुसार गंगराना (नागौर) है।
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