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उत्तर प्रदेश का भूगोल
उत्तर प्रदेश की भौतिक संरचना
– क्षेत्रफल के संदर्भ में उत्तर प्रदेश राजस्थान, मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र के बाद 2,40,928 वर्ग किमी. क्षेत्रफल के साथ चौथे स्थान पर है जो कि सम्पूर्ण भारत के क्षेत्रफल का 7.33% भाग है।
– उत्तर प्रदेश राज्य कुल 8 राज्यों एवं 1 केंद्रशासित प्रदेश के साथ सीमा बनाने के साथ ही पड़ोसी देश नेपाल के साथ भी अपनी सीमा साझा करता है।
– राज्य की सबसे लम्बी सीमा मध्य प्रदेश के साथ बनती है, इस प्रकार मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक जिलों के साथ सीमा बनाने वाला राज्य है, जबकि उत्तर प्रदेश का ललितपुर जिला मध्य प्रदेश से तीन तरफ से घिरा हुआ जिला है।
– उत्तर प्रदेश का सोनभद्र जिला जहाँ सर्वाधिक प्रदेशों को स्पर्श करने वाला जिला है, वहीं प्रदेश के अन्दर सर्वाधिक जिलों से सीमा बदायूँ जिला बनाता है।
– सबसे पूर्वी जिला – बलिया
– सबसे पश्चिमी जिला – शामली
– सबसे उत्तरी जिला – सहारनपुर
– सबसे दक्षिणी जिला – सोनभद्र
क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़े जिले :-
1. लखीमपुर खीरी
2. सोनभद्र
3. हरदोई
4. सीतापुर
क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटे जिले
1. हापुड़
2. संत रविदास नगर
3. गाजियाबाद
4. शामली
उत्तर प्रदेश के जिले तथा उनसे संलग्न राज्य :-
जिला सीमावर्ती राज्य
सोनभद्र – मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, बिहार, झारखण्ड
सहारनपुर – हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड
मुजफ्फरनगर – उत्तराखण्ड
मथुरा – राजस्थान, हरियाणा
गौतमबुद्धनगर – दिल्ली, हरियाणा
उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती देश/प्रदेश | इनसे लगे उत्तर प्रदेश जिले |
1.मध्य प्रदेश (सर्वाधिक 11 जिले)(क्रमश: उत्तर से दक्षिण की तरफ) | आगरा, इटावा, जालौन, झाँसी, ललितपुर, महोबा, बाँदा, चित्रकूट, प्रयागराज, मिर्जापुर, सोनभद्र |
2. बिहार के 7 जिले (क्रमश: दक्षिण से उत्तर) | सोनभद्र, चंदौली, गाजीपुर, बलिया, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज |
3. उत्तराखण्ड (7 जिले) (क्रमश: पश्चिम से पूर्व) | सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, ,बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, पीलीभीत |
4. हरियाणा (6 जिले)(क्रमश: उत्तर से दक्षिण) | सहारनपुर, शामली, बागपत, गौतमबुद्धनगर, अलीगढ, मथुरा |
5. दिल्ली (2 जिले) | गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर |
6. राजस्थान (2 जिले)(उत्तर से दक्षिण) | आगरा, मथुरा |
7. हिमाचल प्रदेश (1 जिला) | सहारनपुर |
8. छत्तीसगढ़ (1 जिला) | सोनभद्र |
9. झारखण्ड (1 जिला) | सोनभद्र |
10. नेपाल राष्ट्र (7 जिले) | महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत |
– उत्तर प्रदेश राज्य देश के सबसे उत्तरी सीमांत क्षेत्र में स्थित है। इसके उत्तर में हिमालय की शिवालिक श्रेणी, दक्षिण में विन्ध्य श्रेणी अवस्थित है। प्रदेश की प्राकृतिक सीमाओं का निर्धारण निम्नवत ढंग से समझा जा सकता है–
पूर्वी सीमा – गण्डक नदी
पश्चिमी सीमा – यमुना नदी
उत्तरी सीमा – शिवालिक पर्वत श्रेणी
दक्षिणी सीमा – विन्ध्य श्रेणी
– यद्यपि उत्तराखण्ड राज्य के उत्तर प्रदेश से विभाजित होने के पूर्व उत्तर प्रदेश के भूगोल का अध्ययन तीन भौतिक क्षेत्रों यथा – उत्तर का पर्वतीय भाग, मध्य का मैदानी क्षेत्र एवं दक्षिण को पठारी भू–भाग के रूप में किया जाता था, किन्तु उत्तर प्रदेश का विभाजन होने के बाद यहाँ के भौतिक स्वरूप में परिवर्तन आया है।
– वर्तमान में सम्पूर्ण प्रदेश को भाँभर व तराई क्षेत्र, मध्य का मैदानी भाग व दक्षिण का पठारी भू–भाग जैसे विभागों में बाँटा जाता है।
भाँभर क्षेत्र
– भाँभर क्षेत्र प्रदेश के सबसे उत्तरी छोर को कहा जाता है।
– यह सहारनपुर से प्रारम्भ होकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुशीनगर, पडरौना तक पतली पट्टी के रूप में विस्तारित है।
– सहारनपुर एवं सम्बद्ध क्षेत्रों में भाँभर क्षेत्र की चौड़ाई 34-35 किमी. तक है जो पूर्व में बढ़ने पर क्रमश: कम होती जाती है।
– भाँभर क्षेत्र का निर्माण नदियों द्वारा लाए गए कंकड़-पत्थरों से हुआ है। इस क्षेत्र में नदियाँ भूमिगत होकर लुप्त हो जाती हैं।
तराई क्षेत्र :
– तराई क्षेत्र भाँभर क्षेत्र के दक्षिण में स्थित है और यह भी सहारनपुर से कुशीनगर जनपद तक विस्तृत है।
– यह क्षेत्र महीन अवसादी कीचड़ से निर्मित है। इस भू–भाग में भाँभर क्षेत्र की लुप्त हुई नदियाँ धरातल पर प्रकट हो जाती हैं।
– यहाँ की जलवायु नम होने के कारण स्वास्थ्य की दृष्टि से अनुकूल नहीं है।
– अत्यधिक वर्षा प्राप्त करने के कारण तराई क्षेत्र दलदली स्वभाव वाला है।
– यहाँ उपजाऊ मृदा के कारण गन्ना तथा धान की फसल प्रचुर मात्रा में उगाई जाती है।
मध्य का मैदानी भाग
– भाँभर-तराई क्षेत्र तथा दक्षिण के पठारी भू–भाग के मध्य अवस्थित इस मैदान का निर्माण कांप मृदा से हुआ है।
– इसकी औसत ऊँचाई 80 से 300 मीटर तक है जबकि इसके ढाल की दिशा उत्तर–पश्चिम से दक्षिण–पूर्व की ओेर है।
– इस मैदानी भू–भाग पर गंगा, यमुना, शारदा, घाघरा, गोमती, राप्ती जैसी सदानीरा नदियों के प्रवाह के कारण यह सम्पूर्ण क्षेत्र अत्यन्त उपजाऊ व उर्वर है।
– मृदा संरचना के आधार पर सम्पूर्ण मैदानी भाग का अध्ययन दो भागों में बाँट कर किया जाता है।
बाँगर एवं खादर क्षेत्र :
– बाँगर क्षेत्र वह होता है जहाँ नदियों के बाढ़ का पानी नहीं पहुँच पाता है।
– यह मैदानी क्षेत्र का उँचा भू–भाग है जो पुरानी कांप मृदा से निर्मित है।
– बाँगर मैदानी क्षेत्र की उर्वरता अपेक्षाकृत कम होती है।
– मैदानी क्षेत्र का वह भू–भाग जहाँ नदियों द्वारा उपजाऊ मृदा की परत प्रति वर्ष बिछा दी जाती है, वह खादर क्षेत्र कहलाता है।
– यह नई जलोढ़क मृदा वाला अत्यन्त उपजाऊ क्षेत्र है।
– खादर क्षेत्र में नदियों द्वारा अवनलिका अपरदन करने के कारण बीहड़ों का निर्माण हुआ है। जैसे यमुना तथा चम्बल नदियों के द्वारा निर्मित बीहड़।
– सम्पूर्ण मध्य के मैदान में रबी तथा खरीफ फसलों की पैदावार प्रचुर रूप से होती है।
दक्षिण का पठारी प्रदेश
– यह प्रदेश मध्य के मैदानी भाग के ठीक दक्षिण में स्थित है।
– वास्तव में पठारी क्षेत्र प्रायद्वीपीय पठार का ही आंशिक विस्तार है जिसे बुन्देलखण्ड पठार के नाम से जाना जाता है।
– इस पठार के उत्तर में गंगा-यमुना का प्रवाह है तथा दक्षिण में विन्ध्य श्रेणी मौजूद है। इस क्षेत्र का ढाल दक्षिण से उत्तर दिशा की तरफ है तथा इस औसत ऊँचाई 300 मीटर है किन्तु मिर्जापुर एवं सोनभद्र की सोनाकर तथा कैमूर पहाडियाँ 600 मीटर तक ऊँची है।
– बुन्देलखण्ड के पठारी क्षेत्र में बघेलखण्ड पठार का भी कुछ अंश दृष्टिगत होता है। सोनभद्र में सोनापुर व रत्नागढ़ की पहाड़ी के साथ सोन नदी का क्षेत्र बघेलखण्ड पठार के अन्तर्गत आता है।
– बुन्देलखण्ड पठार प्राचीन नीस चट्टानों से निर्मित है। यहाँ की प्री-कैम्ब्रियन युग की चट्टानों का बाहुल्य हैं,
– इस क्षेत्र में प्रवाहित होने वाली नदियाँ जल प्रपातों का निर्माण करनी हैं जिनमें मिर्जापुर के विन्डम, कुसेहरा, टॉडा एवं खडंजा जल प्रपात उल्लेखनीय है।
– बुन्देलखण्ड पठार का विस्तार ललितपुर, बाँदा, जालौन, काँठी, महोबा, हमीरपुर, चित्रकूट, मिर्जापुर, सोनभद्र एवं प्रयागराज के दक्षिणी पूर्वी क्षेत्रों तक है। यहाँ लाल मिट्टी की प्रधानता है जिसमें मोटे अनाजों की कृषि होती है।
दक्षिणी पठारी क्षेत्र की प्राकृतिक सीमाएँ
पूर्वी सीमा – केन नदी
पश्चिमी सीमा – बेतवा तथा पाहुजा नदी
उत्तरी सीमा – गंगा यमुना नदी
दक्षिणी सीमा – विन्ध्य श्रेणी
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