आज की इस पोस्ट में भारत के प्रमुख वाद्य यंत्र एवं वादक के बारे में पढ़ेंगे क्योंकि यह एक ऐसा टॉपिक है जो सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और यहां से काफी बार प्रश्न भी पूछे जा चुके हैं इसलिए अगर आप जानना चाहते हैं भारत के वाद्य यंत्र एवं उनके वादकों के बारे में तो इस पोस्ट को अच्छे से जरूर पढ़ ले
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भारत के प्रमुख वाद्य यंत्र एवं वादक
● भारत का लोक संगीत किसी न किसी वाद्य से जुड़ा है तथा वाद्यों का उल्लेख 200 ई.पू. से 200 ईस्वी के समय में भरतमुनि द्वारा संकलित ‘नाट्यशास्त्र’ में मिलता है इन संगीत वाद्यों को ध्वनि की उत्पत्ति के आधार पर चार मुख्य वाद्य यंत्रों में बाँटा गया है-
1. तत् वाद्य यंत्र
2. सुषिर वाद्य यंत्र
3. अवनद्ध वाद्य यंत्र
4. घन वाद्य
तत् वाद्य यंत्र
● ऐसे वाद्य यंत्र, जिनमें तार लगे होते हैं तथा तारों के माध्यम से विभिन्न प्रकार की आवाजें निकाली जाती है, उसे तत् वाद्य यंत्र कहते हैं।
● प्रमुख तत् वाद्य यंत्र
सारंगी–
● सारंगी के प्रमुख वादक – पण्डित राम नारायण (पदम विभूषण-2005), अब्दुल करीम खान, अब्दुल लतीफ खान, गुलाम सबीर खान, रमेश मिश्रा, सुल्तान खान, उस्ताद बिन्दु खान, शकूर खान।
सितार–
● सितार के प्रमुख वादक – पण्डित रविशंकर (भारत रत्न – 1999) (पद्म विभूषण 1981), उमाशंकर मिश्रा, शाहिद परवेज, निखिल बनर्जी, विलायत खान, शुजात हुसैन खान, बुधादित्य मुखर्जी, अब्दुल हालिम जफर खाँ, मुस्ताद अली खाँ, अरविन्द पारीक, अन्नपूर्णा देवी, वन्दे हसन, अनुष्का शंकर, हारा शंकर भट्टाचार्य।
वीणा–
● वीणा के प्रमुख वादक – एस.बालचन्द, बदरूद्दीन डागर, कृष्ण भागवतार, असद अली खान (रूद्र वीणा), विश्वमोहन भट्ट (मोहन वीणा) जिया मोइनुद्दीन डागर, अय्यागरी श्याम सुन्दर धनम्मल, इमानी शंकर शास्त्री, दोराई स्वामी अयंगर।
वायलिन –
● वायलिन के प्रमुख वादक – गणेश राजगोपालन (ग्रैमी पुरस्कार 2024), लालगुडी जयराम, वी.जी. जोग, एम चन्द्रशेखरन, N.R. मुरलीधरन, M.S. गोपालकृष्णन, T.N. कृष्णन, L. सुब्रह्मण्यम, डॉ. N. राजम
सरोद –
● सरोद के प्रमुख वादक – अलाउद्दीन खाँ (पदम विभूषण-1971), अली अकबर खाँ (पदम विभूषण – 1989), बुद्ध देवरदास गुप्ता, अमजद अली खाँ, विश्वजीतराय चौधरी, मुकेश शर्मा, बहादुर खान, जरीन एस. शर्मा, सहारण रानी, हाफिज अली खाँ।
संतूर –
● संतूर के प्रमुख वादक – शिवकुमार शर्मा (पदम विभूषण-2001), भजन सोपारी, पण्डित तरुण भट्टाचार्य।
गिटार
● गिटार के प्रमुख वादक – ब्रज भूषण काबरा, बैजू धर्मजन।
सुषिर वाद्य यंत्र
● वे वाद्य यंत्र, जिन्हें फूँक मारकर या हवा के द्वारा बजाया जाता है, उन्हें सुषिर वाद्य यंत्र कहा जाता है।
● प्रमुख सुषिर वाद्य यंत्र
शहनाई–
● शहनाई के प्रमुख वादक – बिस्मिल्ला खाँ (भारत रत्न-2001) (पद्म विभुषण-1980), अली अहमद हुसैन खाँ, दयाशंकर, जगन्नाथ, बागेश्वरी कमर, कृष्णा राम चौधरी, सबरी खाँ, सुल्तान खाँ।
बाँसुरी–
● बाँसुरी के प्रमुख वादक –हरिप्रसाद चौरसिया (पदम विभूषण-2000), राकेश चौरसिया (ग्रैमी पुरस्कार-2024), पन्नालाल घोष, वी. कुँजमणि, राजेन्द्र कुलकर्णी, राजेन्द्र प्रसन्ना, एन. रमानी।
हारमोनियम
● हारमोनियम के प्रमुख वादक – पुरुषोत्तम वालावलकर, अप्पा जलगाँवकर, ज्ञान प्रकाश घोष
अवनद्ध वाद्य यंत्र
● ऐसे वाद्य यंत्र जिनका निर्माण लकड़ी या धातु के गोलाकार या अर्द्ध गोलाकार घेरे पर पशुओं की खाल मढ़कर किया जाता है तथा जिनमें हाथ या लकड़ी से चोट मारने पर ध्वनि उत्पन्न होती है।
● प्रमुख अवनद्ध वाद्य यंत्र
तबला–
● तबला के प्रमुख वादक – जाकिर हुसैन (ग्रैमी पुरस्कार-2024) किशन महाराज (पद्म विभूषण-2002), पण्डित जसराज (पद्म विभूषण-2000) गुदई महाराज, सुखविन्दर सिंह, साबिर खान, पण्डित ज्ञान प्रकाश घोष, अल्लारक्खा खाँ, निखिल ज्योति घोष, उस्ताद अहमद शफात खान, लतीफ खान, अहमद जन थिरकवा।
मृदंग
● मृदंक के प्रमुख वादक – शिवरामन (पद्म विभूषण-2010), टी. गोपालकृष्ण, केवी प्रसाद, एस.वी. राजाराव, उमालयपुरम, ठाकुर भीकम सिंह, जगदीश सिंह, पी. मणिअय्यर, रंजना स्वामीनाथ।
पखावज
● पखावज के प्रमुख वादक – तोताराम शर्मा, गोपालदास, रामशंकर पागलदास, पण्डित अयोध्या प्रसाद, ठाकुर लक्ष्मण सिंह, छत्रपति सिंह, रहमान खाँ।
घन वाद्य यंत्र
u धातु से निर्मित ऐसे वाद्य यंत्र जो टकराने से या चोट मारने से ध्वनि उत्पन्न करते हैं, घन वाद्य यंत्र कहलाते हैं।
u प्रमुख घन वाद्ययंत्र –
मंजीरा–
● मंजीरा पीतल, ताँम्बे या काँसे की मिश्रित धातु से बना कटोरीनुमा आकार का वाद्य यंत्र है, जिसके किनारे फैले हुए होते हैं।
● मंजीरा वाद्य यंत्र हमेशा जोड़े में ही बजाया जाता है।
खड़ताल–
● खड़ताल कैर व बबूल की लकड़ी के दो टुकड़े के बीच पीतल की छोटी-छोटी गोल तश्तरियाँ लगाकर बनाया जाता है, जो लकड़ी के टुकड़ों को परस्पर टकराने के साथ झंकृत होती है।
झालर–
● पीतल या काँसे से बनी हुई धातु की प्लेटें, जो आरती के समय मन्दिरों में बजाई जाती है।
लेजिम–
● लेजिम बाँस व जँजीर से मिलाकर बनाया गया धनुषाकार वाद्य है। इसमें पीतल की छोटी-छोटी पत्तियाँ लगी होती है, जिसे हिलाने पर झनझनाहट की ध्वनि निकलती है।
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