आज की इस पोस्ट में हम इतिहास का एक महत्वपूर्ण टॉपिक भारत में राष्ट्रीय आंदोलन की पृष्ठभूमि से संबंधित नोट्स लेकर आए हैं आपने बहुत बार राष्ट्रीय आंदोलन से संबंधित परीक्षा में प्रश्न जरूर देखे होंगे लेकिन हम आपको ऐसे शार्ट नोट्स उपलब्ध करवा रहे हैं जो शायद आपने कभी नहीं पढ़े होंगे
इन नोट्स को आप आगामी परीक्षा की तैयारी के लिए जरूर पढ़ें एवं इसे बनने वाले प्रश्न एवं उत्तर के साथ प्रैक्टिस करें ताकि यह टॉपिक आपको अच्छे से क्लियर हो सके |
Table of contents
भारत में राष्ट्रीय आंदोलन
• सन् 1917 में गाँधीजी ने चंपारन आंदोलन का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। इस आंदोलन के माध्यम से वे किसानों की सुरक्षा व उनकी पसंद की फसल लेने की आजादी के पक्षधर थे।
• सन् 1918 में उन्होंने अहमदाबाद में कपड़ा मिल के श्रमिकों के लिए बेहतर काम करने की स्थिति और अन्य किसान आंदोलन के लिए राज्य में खेड़ा में करों में छूट देने को कहा।
• प्रथम विश्वयुद्ध (1914-18) के दौरान, ब्रिटिश सरकार ने सेंसरशिप की स्थापना की ।
• गाँधीजी ने ‘रॉलेट एक्ट’ व भारत बंद के खिलाफ देशव्यापी अभियान चलाने का आह्वान किया। पंजाब में विद्रोह काफी तीव्र था, पंजाब जाते समय गाँधीजी को हिरासत में लिया गया व कई अन्य स्थानीय कांग्रेस नेताओं को भी गिरफ्तार किया गया था।
• अप्रैल, 1919 में, इस दमनकारी नीति ने बहुत ही जबरदस्त मोड़ लिया व ब्रिटिश अधिकारी जनरल डायर ने अपने सैनिकों को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में शांतिपूर्ण सभा पर गोली–बारी करने का आदेश दे दिया, जिसमें घटना स्थल करीब 400 से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो गई। इससे राष्ट्र को गहरा आघात पहुँचा।
खिलाफत व असहयोग आंदोलन
• साथी भारतीयों के मध्य आंदोलन को और सशक्त व मजबूत करने के उद्देश्य से उन्होंने खिलाफत आंदोलन में योगदान दिया।
• खिलाफत आंदोलन का नेतृत्व मोहम्मद अली व शौकत अली ने किया था व उन्होंने खिलाफत के सम्मान को बहाल करने की माँग की थी। असहयोग व खिलाफत आंदोलन में भागीदारी से गाँधीजी के अनुसार, दो प्रमुख धार्मिक संप्रदाय हिंदू व मुस्लिम सामूहिक रूप से औपनिवेशिक शासन का अंत कर सकते थे।
• फरवरी, 1922 में, गाँधीजी ने चौरी–चौरा में पुलिस स्टेशनों को जलाने की अप्रिय घटना के कारण असहयोग आंदोलन को बंद कर दिया, जिसमें अनेक कांस्टेबल मारे गए।
• असहयोग आंदोलन के दौरान, हजारों भारतीयों को जेल में डाल दिया गया। गाँधीजी को मार्च, 1922 में गिरफ्तार करके उन पर राजद्रोह करार आरोप लगाकर उनको छह साल का कारावास दिया गया।
नमक सत्याग्रह
• सन् 1928 में एंटी–साइमन कमीशन आंदोलन हुआ, जिसमें लाला लाजपत राय पर बर्बरता पूर्वक लाठीचार्ज किया गया, जिससे उनकी मौत हो गई।
• सन् 1928 में एक और प्रसिद्ध बारदोली सत्याग्रह हुआ। इसी कारण से सन् 1928 तक पुन: भारत में राजनीतिक सक्रियता बढ़ने लगी।
• सन् 1929 में, लाहौर में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ व नेहरूजी को इसके अध्यक्ष के रूप में चुना गया।
दांडी नमक (मार्च)
• 12 मार्च, 1930 को गाँधीजी ने आश्रम से सागर तक मार्च प्रारंभ किया। उन्होंने किनारे पर पहुँच कर उन्होंने स्वयं नमक बनाया व इस तरह कानून की नजर में स्वयं को अपराधी बना।
• इस आंदोलन को व्यापक समर्थन मिला। वकीलों ने अदालतों का बहिष्कार किया। किसानों ने कर बंद कर दिया व आदिवासियों ने नए कानूनों को तोड़ दिया।
• सरकार ने असंतुष्टों या सत्याग्रहियों को बंद करके जवाब दिया। 60,000 भारतीयों को गिरफ्तार किया गया। गाँधीजी सहित कांग्रेस के विभिन्न उच्च नेताओं को गिरफ्तार किया गया।
दांडी मार्च का महत्त्व
• यह महात्मा गाँधी व भारत की छवि को दुनिया के सामने लाया।
• यह प्रथम राष्ट्रीय आंदोलन था, जिसमें महिलाओं की भागीदारी काफी उल्लेखनीय थी। कमलादेवी सहित कई महिलाओं ने नमक का़नून को तोड़ा व गिरफ्तारी दी।
• तीसरा और सबसे महत्त्वपूर्ण यह था कि इस आंदोलन ने अंग्रेजों को यह अनुभव करने के लिए मजबूर किया कि उनका राज सर्वदा नहीं रहेगा व उन्हें भारतीयों को कुछ शक्ति प्रदान करने की आवश्यकता है।
• जनवरी, 1931 में गाँधीजी को जेल से रिहा कर दिया गया। व बाद में गाँधी व इरविन के बीच कई बैठकें हुई व ये बैठकें गाँधी इरविन के समझौते में समाप्त हो गई। इस संधि के तहत सविनय आंदोलन को बंद कर दिया जाएगा व नमक निर्माता तट के समीप नमक बना सकते हैं।
• सन् 1931 के बाद में गाँधीजी ने कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया।
• सन् 1935 में भारत सरकार अधिनियम आया व इसके प्रतिनिधि सरकार के कुछ हिस्से का वादा किया। दो वर्ष के पश्चात् चुनाव हुए व 11 प्रांतों में से 8 प्रांतों में कांग्रेस की सरकार बनी।
• सन् 1939 में कांग्रेस ने पद से त्यागपत्र दे दिया, क्योंकि युद्ध की समाप्ति के बाद भारत को स्वतंत्रता देने के बदले में युद्ध में सहयोग के उनके प्रस्ताव को ब्रिटिश सरकार ने अस्वीकार कर दिया।
• सन् 1940-41 के बीच कांग्रेस ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए व्यक्तिगत सत्याग्रह का आयोजन किया।
• सन् 1942 में प्रधानमंत्री विस्टन चर्चिल ने कांग्रेस व गाँधीजी के साथ समझौता करने व प्रयास करने हेतु स्टेफर्ड क्रिप्स के तहत एक मिशन भारत भेजा था। हालाँकि कांग्रेस की पेशकश के दौरान वार्ता टूट गई।
भारत छोड़ो आंदोलन
• क्रिप्स मिशन की विफलता के पश्चात् गाँधीजी ने अगस्त, 1942 बंबई से भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ किया। इसमें सैकड़ों हजार आम नागरिक व युवा अपने कॉलेजों को छोड़कर जेल चले गए।
• जून, 1944 में गाँधीजी को जेल से रिहा कर दिया गया बाद में मतभेदों के निवारण हेतु जिन्ना के साथ बैठक की थी।
• सन् 1945 में इंग्लैण्ड में श्रम सरकार सत्ता में आई व भारत को स्वतंत्र देने हेतु खुद को प्रतिबद्ध किया।
• सन् 1946 में कैबिनेट मिशन आया, परंतु कांग्रेस से वार्ता में विफल रहा। परंतु मुस्लिम लीग से संघीय व्यवस्था पर सहमति बनी जिसने भारत को एकजुट रखा कूद सीमा तक प्रांतों को स्वायत्तता प्रदान की गई।
• वार्ता की असफलता के पश्चात् जिन्ना ने पाकिस्तान के लिए माँग को दबाने के लिए सीधे कारर्वा के दिन का आह्वान किया। 16 अगस्त 1946 को, कलकत्ता में दंगे भड़क उठे व बाद में बंगाल के अन्य क्षेत्रों फिर बिहार, संयुक्त प्रांत व पंजाब तक फैल गया, दंगों में दोनों ही समुदायों को नुकसान हुआ।
• फरवरी, 1947 में, वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने वेवेल की जगह ली।
• उन्होंने यह घोषणा की कि भारत को मुक्त कर दिया जाएगा।
• इसे विभाजित किया जाएगा। अंत में 15 अगस्त, 1947 को सत्ता भारत को हस्तांतरित हो गई।
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