दर्पण क्या है , समतल एवं गोलीय दर्पण से संबंधित क्लासरूम नोट्स

आज की इस पोस्ट में हम दर्पण क्या है के बारे में पढ़ेंगे आपको पता है कि दर्पण दो प्रकार के होते हैं जिसमें समतल दर्पण एवं गोलीय दर्पण है इसके बारे में आपको भौतिक विज्ञान विषय में पढ़ने के लिए मिलता है लेकिन हम आपको शॉर्ट नोट्स उपलब्ध करवा रहे हैं ताकि आप इस टॉपिक को अच्छे से क्लियर कर सके एवं आगामी परीक्षा के लिए इसे याद कर सके

ऐसे टॉपिक अनुसार नोट्स हम आपके लिए इस वेबसाइट पर बिल्कुल फ्री उपलब्ध करवाते हैं जैसे हमने इसमें दर्पण के बारे में बताया है ठीक वैसे ही भौतिक विज्ञान के अन्य नोट्स भी आपको इसी प्रकार टोपी के अनुसार देखने के लिए मिलेंगे

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

दर्पण क्या है

जब किसी काँच की पट्टिका पर परावर्तक पदार्थ जैसे चाँदी अथवा निकल की पॉलिश कर दी जाती है तो वह दर्पण बन जाता है। 

दर्पण दो प्रकार के होते हैं –

(I) समतल दर्पण (II) गोलीय दर्पण

(I)   समतल दर्पण (Plane Mirror) 

जब समतल काँच की प्लेट के किसी एक पृष्ठ पर परावर्तक पॉलिश कर देते हैं तो उसे समतल दर्पण कहते हैं।

समतल दर्पण में प्रतिबिम्ब का निर्माण 

समतल काँच की पटि्टका की एक सतह पर सिल्वर नाइट्रेट (AgNO3) का लेपन करके इसे समतल दर्पण में बदला जा सकता है।  

समतल दर्पण में वस्तु का प्रतिबिम्ब सीधा, आभासी एवं वस्तु के बराबर होता है। 

समतल दर्पण से वस्तु जितनी दूरी पर होती है, दर्पण में प्रतिबिम्ब भी उतनी ही दूरी पर बनता है। 

समतल दर्पण में अपना पूरा प्रतिबिम्ब देखने हेतु समतल दर्पण की ऊँचाई न्यूनतम व्यक्ति की लम्बाई की आधी होनी चाहिए। 

सामने रखे दर्पण में पीठ के पीछे की ओर दीवार को पूरा देखने हेतु दर्पण की न्यूनतम लम्बाई दीवार की एक तिहाई  होनी चाहिए। 

यदि दो समतल दर्पण किसी कोण पर रखे हों तो उनके मध्य स्थिति वस्तु के एक से अधिक प्रतिबिम्ब बनते हैं, जिसकी संख्या दर्पणों के बीच कोण पर निर्भर करती है। 

यदि वस्तु समतल दर्पण की ओर वेग से गति करे तो प्रतिबिम्ब भी दर्पण के सापेक्ष वेग से गति करता है, लेकिन वस्तु के सापेक्ष प्रतिबिम्ब का वेग 2 होता है। 

समतल दर्पण के लिए वक्रता त्रिज्या (R) तथा फोकस दूरी का मान  होता है। 

समतल दर्पण के लिए आवर्धन क्षमता का मान +1 होता है। 

पनडुब्बियों में प्रयुक्त किए जाने वाले पेरिस्कोप में दो समतल दर्पणों का प्रयोग किया जाता है जो कि तल के सापेक्ष एक समान कोण बनाते हुए समानान्तर स्थित होते हैं। 

पेरिस्कोप परावर्तन के सिद्धांत पर कार्य करता है। 

झुके हुए दो समतल दर्पणों द्वारा बने प्रतिबिम्ब

जब दो समतल दर्पण एक  दूसरे से  कोण पर झुके हो तो उनके मध्य रखी हुई वस्तु के बनने वाले प्रतिबिम्बों की संख्या (n) = 

(i) जब प्रतिबिम्बों की संख्या (n) का मान विषम हो तो–

(ii) जब प्रतिबिम्बों की संख्या (n) का मान सम हो तो–

Note :

यदि दो समतल दर्पणों को एक  दूसरे के समान्तर रख दिया जाए तो अनन्त प्रतिबिंब प्राप्त होते हैं।

प्रतिबिंबों की संख्या = 

(II)  गोलीय दर्पण ( Mirror) :  

जब काँच के खोखले गोले के किसी भाग के एक पृष्ठ पर परावर्तक पॉलिश कर देते हैं तो उसे गोलीय दर्पण कहते हैं।

गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते हैं–

(i)  अवतल दर्पण

ऐसे दर्पण जिनके परावर्तक पृष्ठ अन्दर की ओर वक्रित होते है, अवतल दर्पण कहलाते है। इस दर्पण के पश्च भाग पर परावर्तक आवरण (चाँदी) लगाने के बाद इन पर रंग कर दिया जाता है।

अवतल दर्पण

अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना 

अवतल दर्पण द्वारा बिंब की विभिन्न स्थितियों के लिए बने प्रतिबिंब

बिंब की स्थितिप्रतिबिंब की स्थितिप्रतिबिंब का आकारप्रतिबिंब की प्रकृति
1.  अनंत परफोकस F पर बिंदु साइजअत्यधिक छोटावास्तविक तथा उल्टा
2.  वक्रता केन्द्र (c) तथा अनन्त के बीचफोकस (F) तथा C के बीचछोटावास्तविक तथा उल्टा
3.  वक्रता केन्द्र (C) परवक्रता केन्द्र (C) परसमान आकारवास्तविक तथा उल्टा
4.  वक्रता केन्द्र (c) तथा फोकस (F) के बीचवक्रता केन्द्र (c) व अनन्त के बीचबड़ावास्तविक तथा उल्टा
5.  F परअनंत परअत्यधिक बड़ावास्तविक तथा उल्टा
6.  ध्रुव (P) तथा फोकस (F) के बीचदर्पण के पीछेबड़ाआभासी तथा सीधा

अवतल दर्पण के उपयोग

शेविंग दर्पण में 

दंत विशेषज्ञों तथा नाक  कान  गला रोग विशेषज्ञों द्वारा प्रयुक्त 

सौर भट्‌टी 

टॉर्च, सर्चलाइट तथा वाहनों के हैडलाइट्स में 

सेटेलाइट डिश एंटीना में 

परावर्तक टेलीस्कोप में 

(ii) उत्तल दर्पण

ऐसे गोलीय पृष्ठ जिनका बाहरी भाग दर्पण के परावर्तक पृष्ठ की तरह उपयोग में लिया जाता है उन्हें उत्तल दर्पण कहते हैं। इसके लिए वक्र पृष्ठ के अन्दर की सतह पर परावर्तक आवरण लगाने के बाद वहाँ रंग कर दिया जाता है ताकि बाहरी उत्तल तल से ही परावर्तन हो।

उत्तल दर्पण

उत्तल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब :   (किरण आरेख)

क्र.बिंब की स्थितिप्रतिबिंब की स्थितिप्रतिबिंब का आकारप्रतिबिंब की प्रकृति
1.अनन्त परफोकस बिन्दु पर (दर्पण के पीछे)अत्यधिक छोटा बिंदु के आकार काआभासी तथा सीधा
2.अनन्त तथा दर्पण के ध्रुव P के बीचP तथा F के बीच दर्पण के पीछेछोटाआभासी तथा सीधा

1.  अनन्त पर 

2.  अनन्त तथा दर्पण के ध्रुव P के बीच

उत्तल दर्पण के उपयोग – 

वाहनों के पश्च  दृश्य दर्पणों ( View Mirrors ) में 

स्ट्रीट लैंप्स (Street lamps) में 

ATM के दर्पण में 

पहाड़ी क्षेत्रों में घुमावदार सड़कों के मोड़ पर 

दर्पण सूत्र ( Formula) 

एक गोलीय दर्पण में –

(i) ध्रुव से बिम्ब की दूरी u कहलाती है।

(ii) ध्रुव से प्रतिबिम्ब की दूरी v कहलाती है।

(iii) ध्रुव से फोकस की दूरी f कहलाती है।

Join Whatsapp GroupClick Here
Join TelegramClick Here

उम्मीद करते हैं इस पोस्ट में हमने दर्पण क्या है, समतल एवं गोलीय दर्पण से संबंधित क्लासरूम नोट्स से संबंधित NCERT नोट्स जो आपको उपलब्ध करवाई है वह आपको जरूर अच्छे लगे होंगे अगर आप इसी प्रकार टॉपिक के अनुसार सभी विषयों के नोट्स बिल्कुल फ्री में पढ़ना चाहते हैं तो हमारी इस वेबसाइट पर रोजाना विजिट करते रहे जिस पर हम आपको कुछ ना कुछ नया उपलब्ध करवाते हैं

Leave a Comment