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पृथ्वी की गतियां : क्लासरूम नोट्स
पृथ्वी की घूर्णन गति का हमें आभास नहीं होता, क्योंकि हमारी पृथ्वी की घूर्णन गति एवं परिक्रमण गति में निरंतरता है। पृथ्वी के सूर्य के चारों ओर घूर्णन करने तथा अपनी धुरी पर घूमने के कई प्रमाण हैं। उदाहरण – पृथ्वी अपनी धुरी पर नहीं घूमती तो एक हिस्से पर हमेशा दिन रहता तथा दूसरे हिस्से पर हमेशा रात रहती। इसके अतिरिक्त पृथ्वी के सूर्य के चारों ओर घूर्णन करने से ही मौसम परिवर्तित होते हैं। अतः इन सभी प्रमाणों से सिद्ध हो जाता है कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर तथा अपनी धुरी पर सतत् रूप से घूमती है। अन्य ग्रहों की तरह पृथ्वी अपने अक्ष पर लगातार घूमती रहती है। पृथ्वी अपने अक्ष के सहारे घूर्णन करती है। ‘अक्ष’ उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा है। हमारी पृथ्वी के परिक्रमण कक्ष से निर्मित तथा पृथ्वी के केंद्र से गुजरने वाले तल को ‘कक्षातल’ अथवा ‘कक्षीयसतह’ कहा जाता है। पृथ्वी का आकार भू-आभ है। इस कारण इसके आधे भाग पर सूर्य का प्रकाश पड़ता है। यहाँ पर दिन रहता है, जबकि शेष आधे भाग पर उस समय रात रहती है, क्योंकि वहाँ सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचता है।
1. पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना घूर्णन कहलाता है।
2. सूर्य के चारों ओर एक स्थिर कक्ष में पृथ्वी की गति को परिक्रमण कहते हैं।
3. पृथ्वी सूर्य से प्रकाश प्राप्त करती है। पृथ्वी का आकार गोले के समान है, इसलिए एक समय में सिर्फ इसके आधे भाग पर ही रोशनी प्राप्त होती है। सूर्य की ओर वाले भाग में दिन होता है, जबकि दूसरा भाग जो सूर्य से दूर होता हैं वहाँ रात होती है।
4. ग्लोब पर वृत्त जो दिन तथा रात को विभाजित करता है उसे प्रदीप्ति वृत्त कहते हैं।
5. पृथ्वी अपने अक्ष पर चक्कर पूरा करने में लगभग 24 घंटे का समय लेती है।
6. घूर्णन के समय काल को पृथ्वी दिन कहा जाता। यह पृथ्वी की दैनिक गति है।
7. पृथ्वी की दूसरी गति जो सूर्य के चारों और कक्ष में होती है उसे परिक्रमण कहा जाता है।
8. पृथ्वी एक वर्ष या 365 1/4 दिन में सूर्य का चक्कर लगाती है। चार वर्षों में प्रत्येक वर्ष के बचे हुए 6 घंटे मिलकर एक दिन यानि 24 घंटे के बराबर हो जाते हैं।
9. इसके अतिरिक्त दिन को फरवरी के महीने में जोड़ा जाता है। इस प्रकार प्रत्येक चौथे वर्ष फरवरी माह 28 के बदले 29 दिन का होता है। ऐसा वर्ष जिसमें 366 दिन होते हैं उसे लिप वर्ष कहा जाता है।
10. सामान्यत: एक वर्ष को चारऋतुओं में बाँटा जाता है। गर्मी , सर्दी , वंसत एवं शरद
11. ऋतुओं में परिवर्तन सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की स्थिति में परिवर्तन के कारण होता है।
पृथ्वी की गतियां दो प्रकार की हैं –
(i) घूर्णन या दैनिक गति
(ii) परिक्रमण या वार्षिक गति
– पृथ्वी अपनी अक्ष पर पश्चिम से पूर्व कीदिशा में लट्टू के समान घूमती है | पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व घूमते हुए 23 घंटे 56 मिनट में एक चक्कर पूरा करती है |
– पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूमने को घूर्णन गति या दैनिक गति कहते हैं | पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूर्णन के कारण ही दिन और रात होता है |
– पृथ्वी अपने अक्ष पर घूर्णन के साथ-साथ एक निश्चित मार्ग पर सूर्य के चारो ओर परिक्रमा करती है | सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के इस गति को परिक्रमण अथवा पृथ्वी की वार्षिक गति कहते हैं | पृथ्वी के परिक्रमण गति के कारण ही दिन-रात का छोटा-बड़ा होना तथा ऋतुओं में परिवर्तन होता है |
– पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा एक दीर्घवृत्ताकार कक्षा में करती है|अत: यह कभी सूर्य के निकट आ जाती है तो कभी सूर्य से दूर चली जाती है |
– पृथ्वी अपनी कक्षा में सूर्य की परिक्रमा करते हुए 4 जुलाई को सूर्य से दूर चली जाती है |पृथ्वी के इस स्थिति को अपसौर(Aphelion)कहते हैं | अपसौर(Aphelion)की दशा में पृथ्वी सूर्य से अधिकतम दूरी पर होती है|इसके विपरीत 3 जनवरी को पृथ्वी अपनी कक्षा में सूर्य की परिक्रमा करते हुए सूर्य के अत्यधिक नजदीक पहुँच जाती है|पृथ्वी के इस स्थिति को उपसौर(Perihelion)कहते हैं |
– पृथ्वी सूर्य के चारों तरफ दीर्घवृत्ताकार कक्षा में 365 दिन और 6 घंटे में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करती है | साधारणत: एक वर्ष में 365 दिन होता है|अत: चौथे वर्ष में एक पूरा दिन जोड़कर 366 दिनों का वर्ष माना जाता है | इसे लीप वर्ष कहते हैं |
21 जून को उत्तरी गोलार्ध
सूर्य की तरफ झुका होता है जिसके कारण सूर्य की किरणे कर्क रेखा पर सीधी पड़ती हैं। जिससे उत्तरी गोलार्ध के बहुत बड़े भाग में सूर्य की रोशनी प्राप्त होती है , इसलिए विषुवत वृत्त के उत्तरी भाग में गर्मी का मौसम होता है।
21 जून को इन क्षेत्रों में सबसे लंबा दिन तथा सबसे छोटी रात होती है। पृथ्वी की इस अवस्था को उत्तर अयनांत कहते है।
22 दिसंबर को दक्षिण ध्रुव-
सूर्य की ओर झुके होने के कारण मकर रेखा पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं। चूँकि, सूर्य की किरणें मकर पर लंबवत पड़ती है इसलिए दक्षिणी गोलार्ध के बहुत बड़े भाग में प्रकाश प्राप्त होता है। इसलिए, दक्षिणी गोलार्ध में लंबे दिन तथा छोटी रातों वाली ग्रीष्म ऋतु होती है।
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