उत्तर प्रदेश में लघु सिंचाई योजनाएँ : Toppers Notes

आज की इस पोस्ट में हमको उत्तर प्रदेश में लघु सिंचाई योजनाएँ के बारे में क्लासरूम नोट्स उपलब्ध करवा रहे हैं UPPSC , UP POLICE , LDC या अन्य किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो हमारे यह नोट्स आपको सभी परीक्षाओं में जरूर काम आएंगे ऐसे नोट्स शायद आपको फ्री में कहीं भी नहीं देखने को मिलेंगे इन नोट्स को बिल्कुल सरल एवं आसान भाषा में तैयार किया गया है ताकि आप कम समय में भी अधिक तैयारी कर सकें

अगर आप ऐसे ही नोट्स के साथ घर बैठे शानदार तैयारी करना चाहते हैं तो हमारी इस वेबसाइट पर रोजाना विजिट करते रहे यहां पर आपको सभी टॉपिक ऐसे ही पढ़ने के लिए मिलेंगे

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

उत्तर प्रदेश में लघु सिंचाई योजनाएँ

मुख्यमंत्री लघु  सिंचाई योजना

– यह योजना वर्ष 2020-21 से ‘नि: शुल्क बोरिंग योजना’, ‘मध्यम नहर- नलकूप योजना’, तथा ‘गहरी बोरिंग योजना’ को मिला कर ‘मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना’ नाम से शुरू की गयी।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना

– यह योजना वर्ष 2015 में प्रारम्भ की गयी, ‘ ड्राप मोर क्रॉप’ इस योजना   की टैग लाइन है। यह योजना पूरे प्रदेश में लागू है।

डॉ. राम मनोहर लोहिया सामूहिक नलकूप योजना

– वर्ष 2012  से संचालित यह योजना गहन एवं कठोर स्तर वाले क्षेत्रों में संचालित है।

वर्षा जल संचयन, भू-गर्भ  जल पुनर्भरण एवं चेक डैम निर्माण योजना

– प्रदेश में गहराते भू–जल संकट के मद्देनजर वर्षा जल संचयन व सतही जल के अनुकूलतम उपयोग का महत्त्व देने के साथ प्रदेश के पठारी तथा कठोर चट्‌टानी संरचना वाले क्षेत्रों में, नदी नालों पर अत्यन्त लघु बाँध बनाकर वर्षा जल का उपयोग सिंचाई में करने के साथ भू–गर्भ जलस्तर को संतुलित करने के लिए  यह योजना वर्ष 2008- 09 से चलायी जा रही है।

कुछ स्मरणीय तथ्य

– माताटीला बाँध  को ‘रानी लक्ष्मी बाई बाँध’ भी कहा जाता है।

– रामगंगा बाँध प्रदेश का सबसे ऊँचा बाँध है।

– रिहन्द बाँध ‘गोविन्दबल्लभ पंत सागर बाँध’ भी कहलाता है।

– 20 फरवरी, 2009 को केन्द्र सरकार ने गंगा नदी को राष्ट्रीय नदी घोषित किया।

– गंगा नदी उत्तर प्रदेश की कुल 27 जिलों से प्रवाहित होती है, जिसके तट पर प्रदेश के कुल 26 मुख्य शहर अवस्थित है।

– यमुना नदी उत्तर प्रदेश के कुल 19 जिलों से होकर गुजरती है। इसके तट पर प्रदेश के कुल 10 मुख्य शहर अवस्थित है। उत्तर प्रदेश में यमुना का आकार चाप की भाँति है।

– उत्तर प्रदेश को गंगा, यमुना, रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, राप्ती तथा सोन नदी बेसिनों (कुल 8) में विभाजित किया गया है।

– कन्नौज से वाराणसी तक गंगा में प्रदूषण का स्तर उच्च है।

– आई.आई.टी. कानपुर में गंगा नदी बेसिन मैनेजमेंट एण्ड स्टडीज सेंटर की स्थापना वर्ष 2016 में की गयी थी।

उत्तर प्रदेश का बदायूँ जिला गंगा तट की सर्वाधिक लम्बाई वाला जिला है। इसकी लम्बाई 133 किमी. है।

– गोमती नदी लखनऊ की प्राण होने के बाद भी अपर्याप्त जल एवं अनियमित बहाव के कारण प्रदूषण का दंश झेल रही है।

– गोमती की इन सभी समस्याओं से छुटकारा दिलाने के लिए ‘रिवर फ्रन्ट डेवलपमेंट परियोजना’ का शुभारम्भ 16 नवम्बर, 2016 को किया गया।

– इस परियोजना के अन्तर्गत गोमती का सौन्दर्यीकरण एवं इसका चैनलाइजेशन लन्दन की टेम्स नदी  के तर्ज पर किए  जाने की योजना है। इसी प्रकार वाराणसी में वरुणा नदी का भी चैनलाइजेशन एवं तटों की मरम्मत की योजना चल रही है।

मृतप्राय हो चुकी निम्नलिखित नदियों को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है

– अयोध्या की तमसा नदी

– गोरखपुर की आमी नदी

– पीलीभीत की गोमती नदी

– ललितपुर की ओड़ी नदी

– उत्तर प्रदेश में कुल 23 जिले बाढ़ की दृष्टि से संवेदनशील है। 2019 के आँकड़ों के अनुसार 73.36 लाख हैक्टेयर भूमि बाढ़ प्रवण है।

– जिम कार्बेट नेशनल पार्क से होकर प्रवाहित होने वाली नदी रामगंगा नदी है।

– चम्बल नदी बीहड़ का निर्माण करती है। वस्तुत: बीहड़, नदियों द्वारा क्षतिग्रस्त भू–भाग होता है, जहाँ की मृदा उबड़-खाबड़ एवं अनुर्वर होती है।

– छत्तीसगढ़, झारखण्ड तथा उत्तर प्रदेश से होकर कन्हार नदी प्रवाहित होती है। कन्हार नदी सोन नदी की सहायिका है। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में कन्हार नदी पर कन्हार परियोजना स्थापित है।

– टोंस, बेलन एवं सोन नदी जल प्रपातों का निर्माण करती हैं।

– उत्तर प्रदेश में यमुना नदी सर्वाधिक प्रदूषित नदी है।

– उत्तर प्रदेश भू-जल सप्ताह- प्रतिवर्ष 16 से 22 जुलाई तक मनाया जाता है जबकि उत्तर प्रदेश भू-गर्भ जल दिवस प्रति वर्ष 10 जून को मनाया जाता है।

एरच बाँध परियोजना झाँसी में स्थापित की जा रही है।

– ललितपुर में भावनी तथा बंडई बाँध परियोजना प्रारम्भ हो चुकी है, एरच, भावनी तथा बंडई बाँध परियोजनाओं के माध्यम से बुन्देलखण्ड में हर खेत तक पानी तथा हर व्यक्ति तक पेयजल की उपलब्धता को सुनिश्चित किया जा सकेगा।

विभिन्न साधनों द्वारा शुद्ध सिंचित क्षेत्रफल का प्रतिशत वितरण

नहर                            –15.2 प्रतिशत

नलकूप                        – 74.9 प्रतिशत

तालाब, झील, कुँआ        – 9.8 प्रतिशत

अन्य                           – 0.5 प्रतिशत

– उत्तर प्रदेश में वर्ष 1823 में प्रथम सिंचाई कार्यालय की स्थापना ‘सहारनपुर’ में हुई जबकि मेरठ में 1930 में नलकूपों द्वारा सिंचाई प्रारम्भ हुई। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में नलकूप सिंचाई का सबसे विस्तृत एवं गहन साधन है। इनकी  सर्वाधिक गहनता पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दृष्टिगत होती है।

– नहर सिंचाई को वृहद् एवं मध्यम सिंचाई साधन तथा नलकूपों को लघु सिंचाई साधन माना जाता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नहरों का सबसे अधिक जाल है, जबकि उत्तर प्रदेश का रायबरेली जिला नहरों की सर्वाधिक लम्बाई वाला जिला है।

– बुन्देलखण्ड के जालौन में पाताल तोड़ कुँए बनाए जाते हैं। बुन्देलखण्ड में ही ड्रिप सिंचाई तथा स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक को अपनाया गया है।

– उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद में श्रीरामपुर घाट पर प्रदेश का सबसे लम्बा पुल (2544 मी.) ‘स्टेट ऑफ द आर्ट सेतु’ के नाम से निर्मित हुआ है।

– प्रदेश की ऊपरी गंगा नहर सिंचाई परियोजना विश्व बैंक द्वारा सहायता प्राप्त परियोजना है।

– वर्ष 1977- 78 में प्रारम्भ हुई सरयू नहर परियोजना को वर्ष 2012 में राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा प्रदान किया गया।

उत्तर प्रदेश की सिंचाई परियोजनाएं : Toppers Notes

आपकी जिद है सरकारी नौकरी पाने की तो हमारे Whatsapp Group एवं Telegram चैनल को अभी जॉइन कर ले

Join Whatsapp GroupClick Here
Join TelegramClick Here

हमारी UPSC NOTES वेबसाइट पर आपको ऐसे ही टॉपिक अनुसार नोट्स बिल्कुल फ्री मिलने वाले हैं इसलिए अगर आप ऐसे ही नोट्स के साथ अपने तैयारी निरंतर जारी रखना चाहते हैं तो इस वेबसाइट पर रोजाना विजिट करते रहे हम आपको कुछ ना कुछ नया उपलब्ध करवाते हैं साथ ही अपने दोस्तों के साथ एवं अन्य ग्रुप में शेयर करना बिल्कुल ना भूले

Leave a Comment