आज की इस पोस्ट में हम वैश्वीकरण के कारण एवं प्रमुख अवधारणा टॉपिक से संबंधित नोट्स उपलब्ध क्लब करवा रहे हैं यह टॉपिक आपको भारतीय राजव्यवस्था के अध्याय 4 में पढ़ने के लिए मिलता है इस टॉपिक को सरल एवं आसान भाषा में हम आपके लिए लेकर आए हैं ताकि आप इस टॉपिक से बनने वाले सभी बिंदुओं को अच्छे से क्लियर कर सके

NCERT पर आधारित वैश्वीकरण से संबंधित यह नोट्स सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए ऐसे नोट्स के साथ शानदार तैयारी के लिए हमारी इस वेबसाइट पर विजिट करते रहे

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वैश्वीकरण : प्रमुख अवधारणाएँ

उदारीकरण (लिब्रेलाइजेशन) 

यदि आर्थिक गतिविधियों पर सरकारी नीतियों द्वारा प्रतिबंध लगाए जाते हैं तो इस प्रणाली को प्रतिबंधित नीति कहते हैं। जब इनमें से कुछ प्रतिबंध हटा दिए जाते हैं अथवा उनमें ढील दी जाती है तो इस प्रणाली को ‘उदारीकरण’ का नाम दिया जाता है ताकि निवेश, उत्पादन, बिक्री आदि के सिलसिले में निजी क्षेत्र अधिक स्वतंत्र रूप से कार्य कर सके।

·संक्षेप में, सरकार द्वारा अवरोधों अथवा प्रतिबंधों को हटाने की प्रक्रिया उदारीकरण के नाम से जानी जाती है।

निजीकरण (प्राइवेटाइजेशन) 

ऐसी आर्थिक नीतियाँ जिनके द्वारा निजी क्षेत्र को संपत्ति के सरकारी स्वामित्व का शत-प्रतिशत हस्तांतरण, सार्वजनिक उपक्रमों के शेयर को निजी क्षेत्र को बेचना (विनिवेश) और प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से निजी क्षेत्र अथवा बाजार अर्थव्यवस्था का विस्तार किया जाता है, निजीकरण कहलाता है।

वैश्वीकरण/भूमंडलीकरण/ग्लोबलाइजेशन 

इस अवधारणा को आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) द्वारा 1980 के दशक के मध्य में युद्धों के बाद फिर से लोकप्रिय बनाया गया था। ओईसीडी ने वर्ष 1995 में आधिकारिक तौर पर वैश्वीकरण को परिभाषित किया था जिसके अनुसार — “अलग-अलग राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं का दुनिया के एक वैश्विक अर्थव्यवस्था में परिवर्तन जिसमें उत्पादन का अंतर्राष्ट्रीयकरण और वित्तीय पूँजी का देशों के बीच स्वतंत्र और तुरंत प्रवाह वैश्वीकरण है।“

·विश्व व्यापार संगठन के लिए वैश्वीकरण का आधिकारिक अर्थ — “दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं का वस्तुओं और सेवाओं, पूँजी और श्रम बल के अप्रतिबंधित सीमा पार प्रवाह को सुनिश्चित करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में परिवर्तन” है। इसका अर्थ है कि जो अर्थव्यवस्थाएँ वैश्वीकरण की प्रक्रिया के लिए हस्ताक्षरकर्ता हैं (यानी, विश्व व्यापार संगठन के हस्ताक्षरकर्ता) उनके लिए विदेशी या स्वदेशी वस्तुओं और सेवाओं, पूँजी और श्रम जैसा कुछ नहीं होगा।

·संक्षेप में, विभिन्न देशों के बीच परस्पर संबंध और तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया ही वैश्वीकरण है।

1. विज्ञान एवं तकनीक का विकास 

प्रौद्योगिकी में तीव्र उन्नति वह मुख्य कारक है जिसने वैश्वीकरण की प्रक्रिया को उत्प्रेरित किया, जैसे – विगत पचास वर्षों में परिवहन प्रौद्योगिकी में बहुत उन्नति हुई है। इसने लम्बी दूरियों तक वस्तुओं की तीव्रतर आपूर्ति को कम लागत पर संभव किया है। इससे भी अधिक उल्लेखनीय है सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का विकास। वर्तमान समय में दूरसंचार, कंप्यूटर और इंटरनेट के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी द्रुत गति से परिवर्तित हो रही है। दूरसंचार सुविधाओं (टेलीग्राफ, टेलीफोन, मोबाइल फोन एवं फैक्स) का विश्व भर में एक-दूसरे से संपर्क करने, सूचनाओं का तत्काल प्राप्त करने और दूरवर्ती क्षेत्रों से संवाद करने में प्रयोग किया जाता है। ये सुविधाएँ संचार उपग्रहों द्वारा सुगम हुई हैं। इंटरनेट से हम तत्काल इलेक्ट्रॉनिक डाक (ई-मेल) भेज सकते हैं और अत्यंत कम मूल्य पर विश्व-भर में बात (वॉयस मेल) कर सकते हैं।

2. घटनाओं का विश्वव्यापी प्रभाव 

औद्योगिक क्रांति के कारण बड़े पैमाने पर उत्पादन एवं नये बाजारों की तलाश, प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् देशो के बीच आपसी निर्भरता में वृद्धि इत्यादि।

3. उत्पादन, औद्योगिक संरचना एवं प्रबंधन का लचीलापन।

4. अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय एवं वाणिज्यिक संस्थाएँ (विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व व्यापार संगठन)।

1. ब्रेटनवुड संस्थान 

वर्ष 1944 में संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यू हैम्पशायर में ब्रेटनवुड सम्मेलन के दौरान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक की स्थापना की गई थी। इन दोनों संस्थानों को सम्मिलित रूप से ब्रेटनवुड संस्थान कहा जाता है।

A. अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक/विश्व बैंक समूह 

विश्व बैंक समूह में पुनर्निर्माण और विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय बैंक (IBRD), अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC), अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA), निवेश विवादों के निपटारे के लिए अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (ICSID) और बहुपक्षीय निवेश गारण्टी एजेंसी (MIGA) को सम्मिलित किया जाता है। IBRD और IDA को सम्मिलित रूप से विश्व बैंक कहा जाता है। इसका मुख्यालय वॉशिंगटन DC में स्थित है। इसका उद्देश्य द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् आर्थिक संकट का सामना कर रहे सदस्य राष्ट्रों को पुनर्निर्माण और विकास कार्यों में आर्थिक सहायता देना था। वर्तमान में यह संस्थान विकासशील देशों में गरीबी से लड़ने तथा सतत् विकास को बढ़ावा देने के लिए ऋण, गारण्टी, जोखित प्रबंधन उत्पादों और विश्लेषणात्मक तथा सलाहकार सेवाएँ देने का काम करता है।

B. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष 

इसका मुख्यालय भी वॉशिंगटन DC में स्थित है। यह केवल आर्थिक नीति सुधार कार्यक्रमों के लिए ही ऋण देता है। इसके संसाधनों का उपयोग निर्धन राष्ट्रों के साथ-साथ धनी देश भी कर सकते हैं।

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उम्मीद करते हैं आज की इस NCERT अध्याय 4 : वैश्वीकरण के कारण एवं प्रमुख अवधारणा पोस्ट में उपलब्ध करवाए गए नोट्स आपके आगामी परीक्षा के लिए जरूर काम आएंगे अगर आप ऐसे ही नोट्स के साथ घर बैठे शानदार तैयारी करना चाहते हैं तो हमारी इस वेबसाइट पर रोजाना विजिट करते रहे