महात्मा गाँधीजी के अंतिम वीर दिवस

Indian History Notes : इस पोस्ट में हम महात्मा गांधी के अंतिम वीर दिवस के बारे में पढ़ेंगे महात्मा गांधी द्वारा आजादी के लिए कौन-कौन से आंदोलन किए गए एवं उनके अंतिम दिवस में उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ क्या किया इन सभी के बारे में आज की इस पोस्ट में हम पढ़ने वाले हैं

महात्मा गांधी द्वारा जितने भी राष्ट्रीय आंदोलन किए गए उन सभी के बारे में शॉर्ट एवं आसान भाषा में आप नीचे दिए गए नोट्स में पढ़ सकते हैं

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महात्मा गाँधीजी के अंतिम वीर दिवस

• गाँधीजी ने स्वतंत्रता के दिन 24 घंटे का उपवास रखा। स्वतंत्रता संग्राम व देश विभाजन के साथ समाप्त हो गया।

• गाँधीजी की हिंदू उग्रवादी गोडसे ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। नाथूराम गोडसे एक चरमपंथी अखबार के एक संपादक थे, जिन्होंने गाँधीजी को मुसलमानों के एक अपीलकर्ता के रूप में निरूपित किया था।

• टाइम पत्रिका ने उनकी मृत्यु की तुलना अब्राहम लिंकन से की थी।

महत्त्वपूर्ण  घटनाएँ एवं तिथियाँ : काल रेखा

• 1915 – महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रीका से लौटते हैं।

• 1917 – चंपारन आंदोलन।

• 1918– खेड़ा (गुजरात) में किसान आंदोलन तथा अहमदाबाद मजदूर आंदोलन।

• 1919– रॉलेट सत्याग्रह (मार्च-अप्रैल)।

• 1919– जलियाँवाला बाग हत्याकांड (अप्रैल)।

• 1921–असहयोग आंदोलन व खिलाफत आंदोलन।

• 1928– बारदोली में किसान आंदोलन।

• 1929–लाहौर अधिवेशन (दिसम्बर) में ‘पूर्ण स्वराज’ को कांग्रेस का लक्ष्य घोषित किया जाता है।

• 1930 – सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू, दांडी यात्रा (मार्च-अप्रैल)।

• 1935– गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट में सीमित प्रतिनिधि सरकार के गठन का आश्वासन।

• 1939–कांग्रेस मंत्रिमंडलों का त्यागपत्र।

• 1942–भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ (अगस्त)।

• 1946– महात्मा गाँधी सांप्रदायिक हिंसा को रोकने हेतु नोआखली तथा अन्य हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा करते हैं।

नवीन शब्द

राष्ट्रवाद – राष्ट्रवाद के इतिहास में प्राय: अकेले व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण के साथ जोड़कर देखा जाता है।

स्वदेशी – ‘स्वदेशी’ का अर्थ है–‘भारत में निर्मित वस्तुओं का प्रयोग करना’।

उदारवादी – उदारवादी क्रमिक व निरंतर प्रयास करते रहने के विचार के पक्षधर हुआ करते थे।

उग्रवादी – उग्रवादी ब्रिटिश शासन से काफी घृणा किया करते थे। और वे भारत से ब्रिटिश सत्ता को समाप्त कर देना चाहते थे। उग्रवादी याचना व दया से नहीं बल्कि बलपूर्वक अपने अधिकारों को प्राप्त करना चाहते थे। वे अपनी ही सभ्यता व संस्कृति को सर्वश्रेष्ठ समझा करते थे।

बहिष्कार – बहिष्कार का अर्थ है, दूसरे देश की वस्तुओं व संस्थाओं आदि का प्रयोग न करना।

स्वराज्य – स्वराज्य का अर्थ शासन का भारतीयों द्वारा नियंत्रण एवं संचालन उग्रवादियों ने तिलक के नेतृत्व में स्वराज्य का नारा लगाया व उन्होंने स्वराज को ही अपने आंदोलन का लक्ष्य बनाया था।

रॉलेट एक्ट – रॉलेट एक्ट फरवरी, 1919 में पारित हुआ था। इस एक्ट के अनुसार सरकार किसी भी व्यक्ति को बगैर-मुकदमा चलाए एवं अपराधी सिद्ध किए बगैर-जेल में बंद कर सकती थी। एवं इस प्रकार की परिस्थितियों में सरकार बंदी प्रत्यक्षीकरण के अधिकार को स्थगित कर सकती थी।

खिलाफत आंदोलन – संसार के सभी मुसलमानों का आध्यात्मिक गुरु यानी खलीफा टर्की का सुल्तान होता था। प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् भारतीय मुसलमानों ने अंग्रेज सरकार के विरोध में आंदोलन चलाया था। जिसे खिलाफत आंदोलन के नाम से जाना जाता है। इस आंदोलन का प्रमुख उद्देश्य टर्की साम्राज्य के बँटवारे के खिलाफ और खलीफा के पक्ष में जोरदार आंदोलन करना था। मौलाना शौकत अली व मौलाना मुहम्मद  अली ने इस आंदोलन को चलाया था।

मुस्लिम लीग – सन् 1906 में ढाका में मुस्लिम लीग की स्थापना की गई थी। मुस्लिम लीग का संविधान सन् 1907 में कराची में बनाया गया। सर आगा खाँ के नेतृत्व में सन् 1908 में अमृतसर में अधिवेशन बुलाया था।

डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट, 1915 – प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान क्रांतिकारी गतिविधियाँ तेज हो गई थी। सरकार ने इसका मुकाबला करने के लिए एक कानून बनाया था। जिसको ‘डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट, 1915’ कहा जाता है। इस एक्ट के अनुसार सरकार का विरोध करने वालों को दंड दिए गए।

सत्याग्रह – महात्मा गाँधी ने बुराइयों का सामना और राजनीतिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सत्याग्रह का प्रयोग किया। इसमें स्वयं को कष्ट सहना व विरोधी का मन जीतना होता था। विरोधी को कष्ट न देकर उसकी आत्मा को जागृत करना ही सत्याग्रह का उद्देश्य होता था।

चंपारन सत्याग्रह – गाँधीजी ने सन् 1917 में बिहार के चंपारन जिले के किसानों की सहायता के लिए सत्याग्रह किया था।

• नील की खेती में मालिकों के द्वारा किसानों के अत्याचार के विरोध में गाँधीजी का यह सफल प्रयोग था।

खेड़ा सत्याग्रह – महात्मा गाँधी ने गुजरात के खेड़ा जिले में सत्याग्रह का अभियान चलाया था। उन्होंने किसानों को भू-राजस्व से छूट दिलाई, उसी हेतु यह आंदोलन चलाया था। क्योंकि दुर्भिक्ष एवं प्लेग के कारण किसानों की फसलों की उपज 25% से कम बेची थी। किसानों को सरकार द्वारा सहयोग नहीं मिलने पर सत्याग्रह की सलाह दी थी।

अहमदाबाद सत्याग्रह – महात्मा गाँधी ने सन् 1918 में एक औद्योगिक विवाद में अहमदाबाद में सत्याग्रह का सफल प्रयोग किया व उन्होंने वेतन में वृद्धि करने के लिए श्रमिकों की हड़ताल का नेतृत्व किया। 2 दिन की हड़ताल के पश्चात् अनुकूल समझौता हो गया।

लखनऊ समझौता – मुसलमानों को अलग प्रतिनिधित्व के लिए मुस्लिम लीग के आग्रह कांग्रेस ने लीग के साथ में एक समझौता कर करके पृथक् निर्वाचक मंडल को स्वीकार कर लिया। इसको लखनऊ समझौता, 1916 कहते हैं।

मार्ले-मिंटो सुधार – सन् 1909 के भारतीय परिषद् अधिनियम जिसको मार्ले-मिंटो सुधार भी कहा गया। मुसलमानों के लिए पृथक् निर्वाचक मंडल का प्रावधान किया गया। इसमें इंपीरियल लेजिस्लेटिव कॉसिंल व प्रांतीय परिषदों मे चुने हुए सदस्यों की संख्या में वृद्धि की गई। तब केंद्रों व प्रांतों में विधान परिषदों के अधिकारों में वृद्धि की गई। सदस्यों को पूरक प्रश्न पूछने का अधिकार भी दे दिया गया।

मॉण्टेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार – भारत सचिव एडविन मॉण्टेग्यू ने तत्कालीन वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड की सहायता से एक संवैधानिक सुधारों की एक योजना प्रस्तुत की थी। इसी के आधार पर सन् 1919 का भारत सरकार अधिनियम बनाया गया। इसी को मॉण्टेग्यू-चेम्स फोर्ड सुधार के नाम से जानते हैं।

असहयोग आंदोलन – महात्मा गाँधी ने 1 अगस्त, 1920 को असहयोग आंदोलन प्रारंभ किया था ।

सविनय अवज्ञा आंदोलन – कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में यह निर्णय लिया गया था कि कांग्रेस ने अपनी माँगों को मनवाने व सरकार पर दबाव डालने के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन को आरंभ करने का निश्चय किया। गाँधीजी ने लोगों से शांत रहने की अपील की व सरकार के दमनकारी क़ानूनों का विरोध करने को कहा था। 12 मार्च, 1930 को दाण्डी मार्च से गाँधीजी ने अपने 78 अनुयायियों के साथ मिलकर के इस आंदोलन को प्रारंभ किया।

 साइमन कमीशन– सन् 1919 के एक्ट के अनुसार यह निर्णय लिया गया था, कि प्रत्येक 10 वर्ष के पश्चात् सुधारों का मूल्यांकन करने के लिए इंग्लैंड से एक कमीशन भारत आएगा। इसलिए सन् 1928 में जॉन साइमन की अध्यक्षता में एक आयोग भारत आया था। इस आयोग में एक भी सदस्य भारतीय नहीं था, इसलिए साइमन का जगह-जगह पर बहिष्कार किया गया। भारतीयों ने इसका काला झंडा दिखाकर ‘साइमन वापस जाओ’ के नारों के साथ विरोध का प्रदर्शन किया।

भारत छोड़ो आंदोलन – सन् 1942 में गाँधीजी ने भारत छोड़ो आंदोलन चलाया था, वह यह चाहते थे कि अंग्रेज भारत छोड़कर चले जाएँ। स्थान-स्थान पर ‘अंग्रेज भारत छोड़ो’ का नारा लगाया जाने लगा तब गाँधीजी ने ‘करो या मरो’ का नारा दिया।

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उम्मीद करते हैं इस पोस्ट में हमने महात्मा गाँधीजी के अंतिम वीर दिवस से संबंधित NCERT नोट्स जो आपको उपलब्ध करवाई है वह आपको जरूर अच्छे लगे होंगे अगर आप इसी प्रकार टॉपिक के अनुसार सभी विषयों के नोट्स बिल्कुल फ्री में पढ़ना चाहते हैं तो हमारी इस वेबसाइट पर रोजाना विजिट करते रहे जिस पर हम आपको कुछ ना कुछ नया उपलब्ध करवाते हैं

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