भारत की प्रमुख ऋतुऐं , ग्रीष्म ऋतु , वर्षा ऋतु एवं शरद ऋतु

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भारत की प्रमुख ऋतुऐं

ग्रीष्म ऋतु

• भारत में ग्रीष्म ऋतु का समय मार्च से मध्य जून तक होता है। इस ऋतु में सूर्य के उत्तरायण होने से उत्तर भारत में तापमान में वृद्धि होने लगती है।

• ग्रीष्म ऋतु में भारत के अधिकांश भागों का तापमान 30° से 32° सेल्सियस होता है तथा उत्तर-पश्चिम भागों में तापमान 48° सेल्सियस तक पहुँच जाता है।

• ग्रीष्म ऋतु में दक्षिण-पश्चिम मानसूनी पवनों के आगमन से पूर्व इस निम्न वायुदाब के केन्द्र में चलने वाली गर्म हवाओं को भारत के उत्तर-पश्चिम भागों में लू कहा जाता है।

• जब स्थल भाग से चलने वाली गर्म एवं शुष्क पवनें समुद्र से आने वाली आर्द्र पवनों से टकराती है तो मानसून ‘पूर्व चक्रवातों’ का निर्माण करता है; जैसे-

1. काल बैसाखी – पश्चिम बंगाल में वैशाख के महीने में चलने वाली भयंकर व विनाशकारी वर्षा युक्त पवनें जिसे असम में बोर्डोचिला कहा जाता है। यह वर्षा चाय की खेती के लिए लाभदायक है।

2. आम्र वर्षा – केरल में होने वाली तूफानी वर्षा को आम्र वर्षा कहा जाता है। यह आमों को जल्दी पकने में सहायता करती है। जिसे कर्नाटक में चेरी ब्लॉसम कहा जाता है।

3. फूलों वाली बौछार – केरल के तटीय क्षेत्रों में होने वाली चक्रवाती वर्षा, जो कॉफी उत्पादन के लिए लाभदायक है।

4. नॉर्वेस्टर – ओडिशा राज्य में होने वाली चक्रवाती वर्षा, जिसे नॉर्वेस्टर कहते हैं।

वर्षा ऋतु

• भारत में वर्षा ऋतु का समय मध्य जून से सितम्बर तक होता है तथा इस समय भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसूनी पवनों के द्वारा मानसूनी वर्षा होती है।

• इस समय निम्न वायुदाब का क्षेत्र शिवालिक के गिरिपदों तक बन जाता है।

• दक्षिण गोलार्द्ध में दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर चलने वाली व्यापारिक पवनें भू-मध्य रेखा को पार करके फेरल के नियमानुसार दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर चलने लगती है। जिससे भारत में दक्षिण-पश्चिम मानूसन का आगमन होता है।

नोट :- वर्षा ऋतु में उत्तर-पश्चिमी भारत तथा पाकिस्तान में उष्ण वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है, जिसे मानसून गर्त कहते हैं।

शरद ऋतु

• शरद ऋतु का समय अक्टूबर से मध्य दिसम्बर तक होता है। इस समय सूर्य के दक्षिणायन होने से उत्तर भारत में उच्च वायुदाब क्षेत्र तथा भूमध्य रेखा पर निम्न वायुदाब क्षेत्र विकसित होने लगता है, जिसके कारण मध्य सितम्बर से पंजाब, हरियाणा के मैदान में उच्च वायुदाब के कारण मानसूनी पवनें लौटना प्रारंभ कर देती है। इस प्रक्रिया को मानसून का निवर्तन काल कहा जाता है।

शीत ऋतु

• शीत ऋतु का समय मध्य दिसम्बर से फरवरी तक माना जाता है।

• इस समय सूर्य की लम्बवत् किरणें मकर रेखा पर पड़ती है इसलिए उत्तरी गोलार्द्ध में शीत ऋतु का समय होता है।

• इस ऋतु में पश्चिमी विक्षोभों के प्रभाव से पर्वतीय क्षेत्रों में हिमपात तथा मैदानी भागों में हल्की वर्षा होती है। जिसे मावठ / गोल्डन ड्रॉप्स कहा जाता है यह रबी की फसल के लिए लाभदायक होती है।

• शीत ऋतु में भारत का सबसे ठण्डा स्थान द्रास (लद्दाख) है।

• शीतकाल में पवनें स्थल से समुद्र की ओर चलती है।

• लौटती मानसूनी पवनों द्वारा बंगाल की खाड़ी से जलवाष्प ग्रहण करने के बाद तमिलनाडु के कोरोमण्डल तट पर वर्षा होती है।

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