क्या आप जानते हैं भारत शासन अधिनियम 1935 ( Government of India act 1935 in Hindi ) क्या है अगर नहीं तो आप बिल्कुल सही पोस्ट पर आये है जिसमें हमने इससे संबंधित नोट्स आपके लिए उपलब्ध करवाई है यह टॉपिक आपको भारतीय संविधान में पढ़ने के लिए मिलता है इसके बारे में आपको पता होना चाहिए
इसलिए अधिनियम 1935 से संबंधित जितने भी जानकारी है हमने आपको नीचे उपलब्ध करवा दी है आपने एक बार जरूर पढ़ें एवं आगामी परीक्षा के लिए याद कर ले
Government of India act 1935 in Hindi
– इसमें प्रस्तावना का अभाव था।
– इस एक्ट के तहत अखिल भारतीय संघ की स्थापना का प्रावधान शामिल था।
नोट:- यह संघ में 11 ब्रिटिश प्रान्तों से, 6 चीफ कमिश्नर क्षेत्रों और देशी रियासतों से बनाया जाना प्रस्तावित था।
– इस एक्ट के द्वारा केन्द्रीय स्तर पर ‘द्वैध शासन’ व्यवस्था लागू करने का प्रावधान किया गया।
– इस अधिनियम द्वारा प्रांतों में द्वैध शासन समाप्त करके, उन्हें पूर्ण स्वाधीनता प्रदान की गई।
– प्रस्तावित संघ की स्थापना के उद्देश्य की पूर्ति हेतु केन्द्रीय व प्रान्त सरकारों के बीच ‘शक्तियों का विभाजन’ किया गया।
– इस अधिनियम द्वारा ‘संघीय न्यायालय’ की स्थापना की गई।
नोट:- इस न्यायालय में 1 मुख्य न्यायाधीश, 2 अन्य न्यायाधीश होंगे।
नोट:- इसमें अंतिम अपील ‘प्रिवी परिषद्’ में की जा सकती थी।
– इस अधिनियम में संशोधन का अधिकार केवल ब्रिटिश पार्लियामेंट के पास था।
– इस अधिनियम द्वारा ‘भारत परिषद्’ को समाप्त कर दिया गया।
– , साम्प्रदायिक निर्वाचन पद्धति का विस्तार दलित जातियों की महिलाओं और मजदूर वर्ग तक किया गया।
– इस अधिनियम द्वारा बर्मा को भारत से अलग कर दिया गया। ‘अदन’ को इंग्लैण्ड के औपनिवेशिक कार्यालय के अधीन कर दिया और ‘बरार’ को शासन की दृष्टि से मध्य प्रांत का अंग बना दिया गया।
– इस अधिनियम को भारत के ‘मिनी संविधान’ का दर्जा दिया गया है।
भारत के वर्तमान संविधान पर 1935 के अधिनियम का प्रभाव
– संघीय योजना संघ की इकाई, केन्द्र को अधिक शक्ति इत्यादि।
– द्विसदनीय विधानमण्डल।
– राज्यों में राष्ट्रपति शासन ।
– राज्यपाल का पद ।
– राष्ट्रपति द्वारा संकटकाल की घोषणा।
– संघीय कानून और राज्य कानून में विरोध होने की स्थिति में संघीय कानून को मान्यता ।
RBI की स्थापना
- इस अधिनियम के तहत देश की मुद्रा और साख पर नियंत्रण के लिए RBI की स्थापना की गई।
- नोट:- RBI की स्थापना – 1 अप्रैल, 1935 को।
- प्रथम गवर्नर – सर ऑसबोर्न स्मिथ।
- क्रिप्स मिशन
- अध्यक्ष – सर स्टैफर्ड क्रिप्स
सदस्य-
1. लॉर्ड पैथिक लारेंस
2. ए.वी. एलेक्जेण्डर
भारत में आगमन – 22 मार्च, 1942
प्रधानमंत्री – विंस्टन चर्चिल ।
वायसराय – लॉर्ड लिनलिथगो
इस प्रस्ताव में दो बातें प्रमुख थी-
1. युद्ध के समय में लागू होने वाले सुझाव ।
2. युद्ध के बाद लागू होने वाले सुझाव।
- इस एक्ट में औपनिवेशिक स्वराज्य अर्थात् सीमित स्वतंत्रता की अवधारणा दी गई।
- इसमें संघ प्रमुख के स्थान पर ब्रिटिश नियंत्रण रहने के प्रावधान होने के कारण इसे अस्वीकार कर दिया गया और 11 अप्रैल, 1942 को वापस ले लिया गया।
- इसमें भारत को अधिराज्य, संविधान सभा की स्थापना, प्रांतों या देशी रियासतों को पृथक रहने का अधिकार इत्यादि उल्लिखित था।
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