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Class 6th Social Science Civics Chapter 3 : विविधता एवं भेदभाव
7. धार्मिक कारण
धार्मिक दृष्टिकोण से भारत के नागरिक विभिन्न धर्मों के अनुयायी हैं। यदि एक ओर हिन्दू धर्म में विश्वास करने वाले हैं तो दूसरी ओर इस्लाम धर्म मानने वाले मुस्लिम लोग भी भारतवासी ही हैं। बौद्ध धर्म के लोग भी भारत में कुछ कम नहीं हैं। क्रिश्चियन अर्थात् ईसाई धर्म को मानने वाले भी नगरों और ग्रामीण समुदायों में वास करते हैं । सिक्ख धर्म के लोग भी भारत के विभिन्न प्रान्तों में फैलें हुए है। सभी धर्मों की अपनी भिन्न-भिन्न मान्यताएँ हैं तथा उपसना एवं पूजा की अपनी-अपनी भिन्न-भिन्न विधियाँ हैं। इन धर्मों के अतिरिक्त अनेक सम्प्रदाय, जैसे- रौब, वैष्णव, आर्य समाजी, नानक पन्थी, कबीर पन्थी इत्यादि उल्लेखनीय हैं जिनके अन्तर्गत उच्च कोटि के विचारक उत्पन्न हुए हैं।
8. राजनीतिक कारण
प्रशासन की सुविधा के लिए भारत को पाँच प्रमुख भागों में विभक्त कर दिया गया है। ये पांच भाग हैं- केन्द्र, प्रान्त, जिला, ब्लॉक और नगर अथवा गाँव । इन सब भागों के अलग-अलग अधिकारीगण हैं और उनके अधिकार क्षेत्र तथा कर्तव्य भी अलग-अलग तथा सुनिश्चित हैं। जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा इन उपर्युक्त सभी भागों और उपभागों का प्रशासन चलता है। सरकारी नियम भी भिन्न-भिन्न भागों में अलग-अलग हैं। जनता द्वारा निर्वाचित प्रत्येक क्षेत्र (भाग) की सरकार को पूर्णतया यह स्वतन्त्रता है कि वह अपने क्षेत्र के नागरिकों के कल्याण के लिए समितियाँ और उपसमितियाँ बनाकर कार्यभार सँभाले । भारत में राजनीतिक दलों की भरमार है तथा उनकी विचाराधाराओं में पर्याप्त अन्तर है। केन्द्र में एक दल की सरकार है तो विभिन्न राज्यों में उससे भिन्न प्रकार के राजनीतिक दलों की सरकारें कार्य कर सकती हैं।
भेदभाव
भेदभाव तब उत्पन्न होती है जब लोग पूर्वाग्रहों या रूढ़िवादी धारणाओं के आधार पर व्यवहार करते हैं
पूर्वाग्रह
“जब कोई किसी के बारे में पहले ही कोई नकारात्मक धारणा बना लेता है तो ऐसी सोच को पूर्वाग्रह कहते हैं। हम अक्सर अपने से भिन्न दिखने वाले लोगों के प्रति कोई न कोई पूर्वाग्रह पाल लेते हैं। यह भिन्नता कई तरह की हो सकती है; जैसे कि शक्ल सूरत, खान-पान, परिधान, बोलने का लहजा, आदि।”
ज्यादातर लोगों की आदत होती है कि वे अपने जैसे लोगों के बीच आत्मीयता पाते हैं। जब हमें कोई ऐसा समूह मिल जाता है जो हमारी तरह नहीं होता है तो हमें सुकून नहीं लगता।
– भारत की विविधता के कारण यहाँ विभिन्न क्षेत्रों के लोग बिलकुल अलग-अलग दिखते हैं। वे न केवल शक्ल सूरत से अलग दिखते हैं बल्कि उनका खान-पान, बोली और परिधान भी अलग होते हैं। विविधता के कारण होने वाले पूर्वाग्रहों के कुछ उदाहरण नीचे दिये गये हैं।
– जब पूर्वोत्तर राज्यों का कोई व्यक्ति दिल्ली में घूमता है तो स्थानीय लोग उसे अजीब नजर से देखते हैं। आपको अक्सर दिल्ली या बंगलोर में पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों को सताये जाने के समाचार सुनने को मिलते होंगे।
– जब दक्षिण भारत का कोई भी आदमी उत्तरी भारत में जाता है तो लोग उसे मद्रासी कहकर बुलाते हैं। बिहार के लोगों को अक्सर मंदबुद्धि का समझा जाता है और महानगरों में उसका मखौल उड़ाया जाता है।
– गांव से आये व्यक्ति को अक्सर अनपढ़, गंवार और गंदगी पसंद माना जाता है। शहरी आदमी को अक्सर लोभी और चालाक समझा जाता है। लोगों को लगता है कि शहरी आदमी के मन में रिश्तों नातों की कोई इज्जत नहीं होती है।
– अधिकतर मामलों में पूर्वाग्रह से कोई नुकसान नहीं होता है। लेकिन कई बार पूर्वाग्रह से ग्रसित बरताव से किसी को भारी नुकसान हो सकता है। जब आप पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर किसी के साथ बुरा बरताव करते हैं तो इससे उस व्यक्ति के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचती है।
रूढ़िवाद
रूढ़िवाद एक प्रकार का विचारधारा है। जो किसी चीज के बारे में पुराने समय से चली आ रही तथ्य एवं सिद्धांत पर विश्वास करती है एवं उसी को स्वीकार करती है।
रूढ़िबद्ध धारणा
– रूढ़िबद्ध धारणा जब हम सभी लड़कों को एक ही छवि में बांध देते हैं या उनके बारे में पक्की धारणा बना लेते हैं तो उसे रूढ़िबद्ध धारणा कहते हैं उदाहरण जब हम धर्म लिंग या देश के आधार पर किसी को कंजूस अपराधी बेवकूफ बोलते हैं।
– रूढ़िबद्ध धारणा बड़ी संख्या में लोगों को एक ही प्रकार के खाँचे में जड़ देती है भेदभाव तब होता है जब हम लोग पूर्वग्रहों या रूढ़िबद्ध धारणाओं के आधार पर व्यवहार करते हैं।
– कुछ लोगों को विविधता और असमानता पर आधारित दोनों ही तरह के भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
– आदर्श लड़की : ऐसा माना जाता है कि लड़कियों को धीमी आवाज में बात करनी चाहिए और सब की बात माननी चाहिए। लड़कियों को संगीत और चित्रकला में रुचि लेनी चाहिए। लड़कियाँ बात बात पर रो देती हैं। लड़कियों के लिए जरूरी है कि वे खाना बनाना, साफ सफाई करना और घर के काम काज करना सीखें।
– आदर्श लड़का : लड़के नटखट और गुस्सैल होते हैं। लड़कों का मन खेलकूद और भागदौड़ में अधिक लगता है। लड़कों को रोना नहीं चाहिए क्योंकि रोना तो कमजोरी की निशानी है। हर लड़के को बड़े होकर पैसे कमाना होता है और परिवार पालना होता है।
– लिंग पर आधारित रूढ़िबद्ध धारणाओं को अक्सर फिल्मों, विज्ञापनों और टेलिविजन धारावाहिकों में दिखाया जाता है। डिटर्जेंट, वाशिंग मशीन, साबुन, आदि के लगभग सभी विज्ञापनों में मुख्य भूमिका में महिला को दिखाया जाता है। मोटरसाइकिल के विज्ञापन में अक्सर किसी पुरुष को स्टंट करते हुए दिखाया जाता है।
– लिंग पर आधारित रूढ़िवादी धारणाओं के साथ साथ हमें धर्म, जाति और मूल स्थान के आधार पर भी रूढ़िवादी धारणाएं देखने को मिलती हैं।
भेदभाव कैसे उतपन्न होता
– तो हम कह सकते हैं कि जब पूर्वाग्रह या रूढ़िवादी धारणाओं के आधार पर लोगों के बीच व्यवहार किया जाता है तो उसे भेदभाव कहते हैं।
– अगर कोई लोग किसी व्यक्ति को कुछ गतिविधियों में भाग लेने से रोकते हैं, किसी खास नौकरी को करने से रोकते हैं, या किसी मोहल्ले में रहने नहीं देते, एक ही नल में या चापाकल से पानी नहीं लेने देते और दूसरों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे गिलास में चाय नहीं पीने देते, इसका मतलब है कि वह व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के साथ भेदभाव कर रहा है।
– भेदभाव कई कारणों से हो सकते हैं उदाहरण के लिए हम धर्म को ले सकते हैं। धर्म के आधार पर भी भेदभाव देखने को मिलता है। अमीरी और गरीबी के आधार पर भी भेदभाव किया जाता है।
भेदभाव क्या है
– बहुत से ऐसे लोग हैं जिनके पास अपने खाने के लिए कपड़े और घर की मूल जरूरतों की पूरा करने के लिए पैसे और साधन नहीं होते हैं। इस कारण से उन्हें दफ्तरों, अस्पतालों, स्कूलों इत्यादि में भेदभाव किया जाता है इस तरह के भेदभाव का आधार हम गरीबी कह सकते हैं।
– भारतीय समाज में जाति और धर्म के आधार पर बहुत ही ज्यादा भेदभाव देखने को मिलता है।
– दलित वह शब्द है जो नीचे कहीं जाने वाली जाति के लोग अपनी पहचान के रूप में इस्तेमाल करते हैं। वह इस शब्द को अछूत से ज्यादा पसंद करते हैं। दलित का मतलब है जिन्हें “दबाया गया”, “कुचला गया” । दलितों के अनुसार यह शब्द दर्शाता है कि कैसे सामाजिक पूर्वाग्रहों और भेदभाव ने दलित लोगों को दबा कर रखा है। सरकार ऐसे लोगों को अनुसूचित जाति के वर्ग में रखती है।
लड़के लड़कियों में भेदभाव
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है जो कि समाज में रहता है। इसकी दो जातियाँ पाई जाती है लड़का और लड़की और समाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए दोनों की ही समान रूप से आवश्यकता है। लड़का और लड़की एक वाहन के दो पहिए है दो साथ मिलकर जीवन रूपी वाहन को चलाते हैं। यह दोनों ही एक समान है दोनों की अपनी अपनी अहमियत है। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है लोगों की सोच जो कि उन्हें समानता की दर्जा दे सकती है। इतिहास गवाह है कि प्राचीन काल से ही लड़कियाँ अपनी सुझ बुझ और शक्ति का परीचय देती आई है। वह किसी भी तरह लड़को से कम नहीं है। लोगों की संकुचित सोच ने ही लड़कियों को लड़को से पीछे समझा हुआ हैं। जहाँ लड़की को देवी के रूप में मंदिर में पूजा जाता है वहीं घर और समाज में उसपर शारीरिक और मानसिक रूप से अत्याचार भी किए जाते हैं। मध्य काव में पुरूषों को पूर्ण रूप से स्वतंत्रता थी जबकि लड़की सिर्फ घर में कैद होकर रहती थी।
आधुनिक युग में लड़कियों ने अपने हक फिर से प्राप्त कर लिए हैं। वह हर क्षेत्र में लड़कों से भी आगे है। वह घर समाज और देश का नाम रोशन कर रही है। लड़कियों को किसी भी रूप में लड़को से कमजोर नहीं समझा जा सकता है।
लड़कियों को भी बाहर निकलकर लड़को से मुकाबला करना चाहिए और उनसे आगे निकलकर लोगो कि मानसिकता को बदलना चाहिए। लोगों को लड़कियों को कमजोर नहीं समझना चाहिए क्योंकि लड़कियों के बिना मनुष्य जीवन आगे नहीं बढ़ सकता। अगर परिवार चलाने के लिए लड़का जरूरी है तो परिवार को आगे बढ़ाने के लिए लड़की जरूरी है। लड़कियों को उनकी सोच और उनके सपने सामने रखने का अधिकार मिलना चाहिए। उन्हें उनकी जिंदगी उनके हिसाब से जीने देना चाहिए। लड़कियों को लड़के जितनी समानता देने की शुरूआत घर से ही करनी चाहिए। उन्हें घर के हर निर्णय में भागीदारी दी जानी चाहिए। उन्हें लोगों की संकुचित सोच से लड़ने के लिए तैयार करना चाहिए और उन्हें ऐसे पथ पर अगरसर करना चाहिए कि वो लोगों की सोच को बदल सके और लड़का लड़की का भेदभाव खत्म कर सके।
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