मानसून क्या है भारत में मानसून का आगमन

अक्सर आपको मानसून के बारे में भारतीय भूगोल विषय में पढ़ने के लिए मिलता है लेकिन आज हम आपको शॉर्ट एवं आसान तरीके से मानसून क्या है भारत में मानसून का आगमन कब होता है इसके बारे में बता रहे हैं ताकि आप इस टॉपिक को अच्छे से क्लियर कर सके

यह ऐसे नोट्स हैं जो ऑफलाइन क्लासरूम के माध्यम से शार्ट तरीके से तैयार किए गए हैं ताकि विद्यार्थी कम समय में अधिक तैयारी कर सके जिसमें केवल महत्वपूर्ण बिंदुओं को शामिल किया गया है जो परीक्षा की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है

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भारतीय मानसून

  • भारत की जलवायु उष्ण कटिबन्धीय मानसूनी जलवायु है।
  • भारत का उत्तरी भाग कर्क रेखा के उत्तर में होने से शीतोष्ण कटिबंध में तथा दक्षिणी भाग कर्क रेखा के दक्षिण में होने से उष्ण कटिबंध के अन्तर्गत आता है।
  • भारतीय मानसून का संबंध मुख्य रूप से ग्रीष्म ऋतु में होने वाले वायुमण्डलीय परिसंचरण में परिवर्तन से है।
  • ग्रीष्म ऋतु के आरम्भ होने तथा सूर्य के उत्तरायण होने से उत्तर भारत में तापमान में वृद्धि होती है तथा जुलाई महीने में 25° उत्तरी अक्षांश के समीप अंत: उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र विकसित होने लगता है। जिससे निम्न वायुदाब का क्षेत्र बनता है।
  • नोट: – अंत: उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र – विषुवत् वृत्त पर स्थित अंत: उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र एक निम्न वायुदाब वाला क्षेत्र है, इस क्षेत्र में व्यापारिक पवनें आकर मिलती है। इस क्षेत्र में कॉरिऑलिस बल के कारण व्यापारिक पवनें ग्रीष्म ऋतु में दक्षिण- पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर तथा शीत ऋतु में उत्तर-पूर्व से दक्षिण- पश्चिम की ओर चलने लगती है।

भारत में मानसून का आगमन

• भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा जून से सितम्बर के बीच होती है।

• दक्षिण-पश्चिम मानसून प्रायद्वीपीय भारत की त्रिभुजाकार आकृति से टकराकर दो शाखाओं में विभाजित होता है-

1. अरब सागर की शाखा

अरब सागर की शाखा से आने वाला मानसून भारत में सर्वप्रथम केरल के तट से टकराता है, जिसे मानसून प्रस्फोट कहा जाता है। अरब सागर की शाखा तीन उपशाखाओं में विभाजित हैं-

A. पश्चिम घाट उपशाखा – अरब सागर से आने वाली उपशाखाओं में सबसे पहले वर्षा करने वाली यही उपशाखा है और पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढालों पर भारी वर्षा करती है, जबकि पूर्वी ढाल वृष्टि छाया क्षेत्र में आता है।

B. छोटा नागपुर पठार उपशाखा – अरब सागर से आने वाली दूसरी उपशाखा नर्मदा तथा ताप्ती नदी घाटियों में प्रवेश कर छोटा नागपुर पठार पर वर्षा करती है।

C. हिमाचल प्रदेश उपशाखा – अरब सागर से आने वाली तीसरी उपशाखा से गुजरात में गिर तथा माण्डव पहाड़ियों से टकराकर वर्षा करती है उसके बाद अरावली पर्वत के समानान्तर बहुत कम मात्रा में वर्षा करती है तथा पंजाब, हरियाणा को पार करती हुई हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में भारी वर्षा करती है।

2. बंगाल की खाड़ी शाखा

• दक्षिण पश्चिम मानसून की यह शाखा बंगाल की खाड़ी में व्यापारिक पवनों से टकराकर पूर्वी तट पर तथा नदी घाटियों में प्रवेश कर चक्रवाती वर्षा करती है।

• उत्तर-पूर्व में अराकानयोमा पर्वत इस शाखा के बहुत बड़े भाग को पूर्व से पश्चिम की ओर विक्षेपित कर देती है जो बांग्लादेश, पूर्वोत्तर राज्यों से होता हुआ गंगा के मैदानी भाग में प्रवेश करती है।

• समुद्र से दूरी बढ़ने के साथ साथ मानसूनी वर्षा घटती जाती है। जैसे- कोलकाता से पटना, इलाहाबाद, दिल्ली की ओर जाने पर वर्षा में कमी आती है।

नोट:- खासी पहाड़ी पर स्थित मॉसिनराम (मेघालय) विश्व का सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान है।

अरावली पर्वतीय क्षेत्र व तमिलनाडु के कोरोमण्डल तटीय क्षेत्र में दक्षिण- पश्चिम मानसूनी पवनों से वर्षा नहीं होती है क्योंकि यह वृष्टिछाया प्रदेश में आते हैं।

भारत में सबसे कम वर्षा लेह (लद्दाख) में होती है।

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