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Ncert Class 6th ( विविधता एवं भेदभाव ) Social Science Civics Notes in Hindi
दलित
इस शब्द को नीची कहीं जाने वाली जाती के लोग अपनी पहचान के रूप में इस्तेमाल करते हैं इसका अर्थ है दबाया गया कुचला गया सरकार ऐसे लोगों को अनुसूचित जनजाति के वर्ग में रहती है।
दलितों के साथ गांवों और छोटे शहरों में कई तरह के भेदभाव के शिकार होते हैं। दलित व्यक्ति को मंदिर में जाने की अनुमति नहीं है। वह गांव के कुंए से पानी नहीं ले सकता है। वह किसी ऊँची जाति के व्यक्ति के सामने जूते चप्पल पहनकर नहीं जा सकता है।
असमानता एवं भेदभाव
जब कोई पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर बरताव करता है तो इससे भेदभाव हो सकता है। किसी भी व्यक्ति को धर्म, जाति, लिंग या क्षेत्रीयता के आधार पर किसी सुविधा से वंचित रखने को भेदभाव कहते हैं। भेदभाव के कुछ उदाहरण नीचे दिये गये हैं।
लैंगिक भेदभाव: कुछ गांवों में लड़कियों को पाँचवीं या छठी कक्षा के बाद पढ़ने नहीं दिया जाता है। ज्यादातर लड़कियों को पढ़ाई के बाद कोई रोजगार करने नहीं दिया जाता है, बल्कि उन्हें शादी के लिए बाध्य किया जाता है। कई परिवारों में लड़के तो पश्चिमी परिधान पहनते हैं लेकिन लड़कियों को पश्चिमी परिधान पहनने की इजाजत नहीं होती है।
धार्मिक भेदभाव: कई बार किसी खास धर्म का होने के कारण कई लोगों को नौकरी नहीं दी जाती है। धर्म के कारण लोगों को कुछ खास सार्वजनिक स्थानों (खासकर से पूजा के स्थलों) पर जाने की अनुमति नहीं होती है।
जातिगत भेदभाव: भारत में जाति व्यवस्था काफी पुरानी है। इस व्यवस्था के अनुसार लोगों को अलग-अलग जातियों में बाँटा गया है। हर जाति के व्यक्ति के लिए अलग-अलग काम निर्धारित हैं। जैसे, महार जाति में पैदा हुआ व्यक्ति केवल कूड़ा साफ करने और मरे हुए जानवरों को गांव से हटाने के लिए बना है। पढ़ लिख लेने के बाद भी लोग अपना पेशा नहीं बदल सकते थे।
डा. बी आर अम्बेदकर महार जाति के थे। बचपन से ही उन्हें कई तरह के भेदभाव का सामना करना पड़ा था।
– आज भी अछूत जाति के लोग गांवों और छोटे शहरों में कई तरह के भेदभाव के शिकार होते हैं। अछूत जाति के व्यक्ति को मंदिर में जाने की अनुमति नहीं है। वह गांव के कुंए से पानी नहीं ले सकता है।
– जाति प्रथा की जड़ें इतनी गहरी थीं कि उस पर आधारित सामाजिक ढ़ाँचे से बाहर निकलना बहुत मुश्किल था। कुम्हार का बेटा कुम्हार का ही काम कर सकता था। मोची का बेटा मोची का ही काम कर सकता था। धार्मिक अनुष्ठान कराने का अधिकार केवल ब्राह्मणों को था। ऊँची जाति के लोगों द्वारा आयोजित अनुष्ठानों में नीची जाति के लोगों का जाना भी वर्जित था।
समानता की लड़ाई
हमारे कई स्वाधीनता सेनानियों ने जातिगत भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। गांधीजी ने अछूत जाति के लोगों को ‘हरिजन’ का नाम दिया। उन्होंने लोगों के मन से पूर्वाग्रह मिटाने के लिए अथक प्रयास किये। इस लड़ाई में अहम भूमिका निभाने वालों में भीमराव अम्बेदकर का नाम भी आता है।
– जब भारत आजाद हुआ तो उस समय के गणमान्य नेताओं ने एक नये देश का निर्माण कार्य शुरु किया। जातिगत भेदभाव को संविधान में एक अपराध घोषित किया गया। संविधान में इस बात का प्रावधान भी किया गया कि दलितों का उत्थान किया जाये। संविधान में भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश बनाया गया। इसका मतलब है कि भारत में कोई आधिकारिक धर्म नहीं है। कानून की दृष्टि में सभी धर्म एक समान हैं। कोई व्यक्ति धर्म या जाति के आधार पर किसी अन्य व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं कर सकता है।
– स्वतंत्रता के लिए किया गया संघर्ष में समानता के व्यवहार के लिए किया गया संघर्ष भी शामिल था।
– 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ तो संविधान में समानता को लिया गया और इसे कानूनी रुप दिया गया परंतु आज भी असमानता व्याप्त है।
भेदभाव को कैसे खत्म किया जा सकता है
– जब किसी व्यक्ति के साथ किसी भी तरह का भेदभाव किया जाता है तो वह व्यक्ति अपने आप को नीच समझने लगता है और मन ही मन अपने अरमान और इच्छाओं को दबा देता है। ऐसा ही कुछ हुआ था डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के साथ…
– डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जो हमारे संविधान के रचयिता माने जाते हैं। उन्हें भी जाति को लेकर के बहुत ज्यादा उनके साथ भेदभाव किया गया। वह एक दलित जाति से आते थे इसीलिए उन्हें जाति के आधार पर भेदभाव का सामना करना पड़ा। लेकिन वह एक शिक्षित व्यक्ति थे और उन्होंने ऐसा कर दिखलाया की जो उन्हें नीच कहते थे, जो उनसे जाति के नाम पर भेदभाव करते थे, आज उन्हीं के बताए रास्ते पर उन्हें भी चलना पड़ता है, यानि कहने का तात्पर्य यह है कि बाबासाहेब आंबेडकर हीं भारतीय संविधान की रचना की और यह संविधान पूरे भारतीयों के लिए लागू होता है चाहे वह दलित हो या सामान्य।आज दलित से लेकर के सामान्य जाति के लोग भी उसी संविधान का अनुसरण करते हैं। जो एक दलितों के द्वारा निर्माण किया गया है|
– तो इससे स्पष्ट है कि भेदभाव का खात्मा करने का सिर्फ और सिर्फ एक ही उपाय है वह है- शिक्षित होना।
– शिक्षा ही भेदभाव का अंत हो सकता है चाहे किसी भी तरह का भेदभाव हो जाति का हो, अमीरी- गरीबी में जो भेदभाव होती है। शिक्षा ही ऐसा साधन है जो आपकी गरीबी को मिटा सकता है इसलिए भेदभाव का अंत अगर चाहते हैं तो शिक्षा सर्वोपरि है।
NCERT SOLUTIONS
प्रश्न 1 निम्नलिखित कथनों का मेल कराइए। रूढिबद्ध धारणाओं को कैसे चुनौती दी जा रही है, इस पर चर्चा कीजिए
दो डॉक्टर खाना खाने बैठे थे और उनमे से एक ने मोबाइल पर फ़ोन करके | दमा का पुराना मरीज है |
जिस बच्चे ने चित्रकला प्रतियोगिता जीती, वह मंच पर | एक अंतरिक्ष यात्री बनने का सपना अंततः पूरा हुआ |
संसार के सबसे तेज धावकों में एक | अपनी बेटी से बात की जो उसी समय स्कूल से लौटी थी |
वह बहुत आमिर नहीं थी , लेकिन उसका | पुरस्कार लेने के लिए एक पहियोंवाली कुर्सी पर गया |
उत्तर –
दो डॉक्टर खाना खाने बैठे थे और उनमे से एक ने मोबाइल पर फ़ोन करके | अपनी बेटी से बात की जो उसी समय स्कूल से लौटी थी |
जिस बच्चे ने चित्रकला प्रतियोगिता जीती, वह मंच पर | पुरस्कार लेने के लिए एक पहियोंवाली कुर्सी पर गया |
संसार के सबसे तेज धावकों में एक | दमा का पुराना मरीज है |
वह बहुत आमिर नहीं थी , लेकिन उसका | एक अंतरिक्ष यात्री बनने का सपना अंततः पूरा हुआ |
प्रश्न 2 लड़कियाँ माँ – बाप के लिए बोझ हैं, यह रूढ़िबद्ध धारणा एक लड़की के जीवन को किस तरह प्रभावित करती हैं? उसके अलग – अलग पाँच प्रभावों का उल्लेख कीजिए|
उत्तर – जब रूढ़िबद्ध लोग यह सोचते हैं कि लड़कियाँ माँ – बाप के लिए बोझ हैं, यह धारणा निम्नलिखित प्रकार से एक लड़की के जीवन को प्रभावित करती हैं –
1. लड़की अपने आपको परिवार परिवार पर बोझ समझने लगाती हैं जिससे वह हमेशा परेशान रहती हैं|
2. लड़की को परिवार में उचित प्यार तथा स्नेह नहीं मिलता हैं|
3. लड़की के पालन – पोषण तथा खाने – पीने पर उचित ध्यान नहीं दिया जाता हैं|
4. लड़कियों की शिक्षा पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता हैं|
5. लड़कियों के बीमार होने पर उचित इलाज़ नहीं कराया जाता हैं|
प्रश्न 3 भारत का संविधान समानता के बारे में क्या कहता हैं? आपको यह क्यों लगता हैं कि सभी लोगों में समानता होना करूरी हैं?
उत्तर – भारत का संविधान समानता के बारे में कहता हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को समान अधिकार और समान अवसर प्राप्त हैं| लोग अपनी पसंद का काम चुनने के लिए स्वतंत्र हैं| सरकारी नौकरियों में सभी लोगों के लिए समान अवसर उपलब्ध हैं| लोगों को अपने धर्म का पालन करने, अपनी भाषा बोलने, अपने त्यौहार मनाने और अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता हैं| सरकार सभी धर्में को बराबर महत्त्व तथा सम्मान प्रदान करेगी|
प्रश्न 4 कई बार लोग हमारी उपस्थिति में ही पूर्वाग्रह से भरा आचरण करते हैं| ऐसे में अक्सर हम कोई विरोध करने की स्थिति में नहीं रहते, क्योंकि मुंह पर तुंरत कुछ मुश्किल जान पड़ता हैं| अपने कक्षा को दो समूहों में बाँटिए और प्रत्येक समूह इस पर चर्चा करे कि दी गई परिस्थिति में वे क्या करेंगे:
(क) गरीब होने के कारण एक सहपाठी को आपका दोस्त चिढ़ा रहा हैं|
(ख) आप अपने परिवार के साथ टी.वी. देख रहे हैं और उनमें से कोई सदस्य किसी सदस्य किसी ख़ास धार्मिक समुदाय पर पूर्वाग्रहग्रस्त टिप्पणी करता हैं|
(ग) आपकी कक्षा के बच्चे एक लकड़ी के साथ मिलाकर खाना खाने से इनकार कर देते हैं क्योंकि वे सोचते हैं कि वह गंदी हैं|
(घ) किसी समुदाय के ख़ास उच्चारण का मज़ाक उड़ाते हुए कोई आपकों चुकुला सुनाता हैं|
(ड) लडके, लड़कियों पर टिप्पणी कर रहे हैं कि लड़कियाँ उनकी तरह नहीं खेल सकती|
उपयुर्क्त परिस्थितियों में विभिन्न समूहों ने कैसा बर्ताव करने की बात की हैं, इस पर कक्षा में चर्चा कीजिए, साथ ही इन मुद्दों को उठाते समय कक्षा में कौन – सी समस्याएँ आ सकती हैं, इस पर भी बातचीत कीजिए|
उत्तर – उपरोक्त सभी स्थितियों में पूर्वाग्रह हैं जो समानता के व्यवहार के विरूद्ध हैं –
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