आज की इस पोस्ट में हम राजस्थान के वन्य जीव अभयारण्य | Wildlife Sanctuaries of Rajasthan in Hindi के बारे में पढ़ेंगे क्योंकि यहां से बहुत बार प्रश्न पूछा जा चुका है अगर आप इस टॉपिक को सरल एवं आसान भाषा में पढ़ना चाहते हैं तो हमारे द्वारा उपलब्ध करवाई गई इन नोट्स को जरूर पढ़ें एवं याद कर ले ऐसे नोट्स आपको फ्री में कहीं भी नहीं देखने को मिलेंगे 

प्रमुख वन्य जीव अभयारण्य जो की राजस्थान में स्थित है उन सभी के बारे में हमने नीचे जानकारी उपलब्ध करवा दी है आप इसे हिंदी भाषा में पढ़ सकते हैं

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राजस्थान के वन्य जीव अभयारण्य

– वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत विशिष्ट प्रजातियों के आरक्षित क्षेत्र।
– वन्य जीव अभयारण्य का संचालन केन्द्र व राज्य सरकार मिलकर करते हैं।
– राजस्थान में 27 वन्य जीव अभयारण्य हैं।

राष्ट्रीय मरु उद्यान

  • यह जैसलमेर-बाड़मेर क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • यह क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा वन्य जीव अभयारण्य है जिसका क्षेत्रफल जैसलमेर में 1900 वर्ग किलोमीटर व बाड़मेर में 1262 वर्ग किलोमीटर (कुल 3162 वर्ग किलोमीटर) है।
  • इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1981 में की गई लेकिन ये राष्ट्रीय उद्यान नहीं हैं फिर भी इसके आगे राष्ट्रीय शब्द का प्रयोग किया गया है क्योंकि वर्ष 1981 में केवलादेव घना पक्षी विहार को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया। इसके कारण इसे आगे राष्ट्रीय शब्द का प्रयोग किया गया है।
  • यह गोडावण की आश्रय स्थली है।
  • यहाँ आकल गाँव में जीवाश्म पार्क स्थित है जहाँ से जुरैसिक कालीन प्राकृतिक वनस्पति के अवशेष और यहाँ डायनासोर के अण्डे के अवशेष भी मिले हैं।
  • इस राष्ट्रीय उद्यान में एण्डरसन टॉड (मेंढक की प्रजाति) व रेसल्स वाइपर (जहरीले साँप की प्रजाति) पीवणा साँप और कोबरा साँप की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
  • यह वन्य जीव अभयारण्य राष्ट्रीय राजमार्ग-68 पर स्थित है।

माउण्ट आबू अभयारण्य

  • यह सिरोही जिले में स्थित है।
  • यह जंगली मुर्गों के लिए प्रसिद्ध हैं।
  • यहाँ पर एक विशेष प्रकार की डिकिल्पटेरा आबू एन्सिस घास पाई जाती है जिसे स्थानीय भाषा में ‘कारा’ कहा जाता है।
  • इस अभयारण्य को जून, 2009 में राजस्थान का पहला ‘इको सेन्सेटिव जोन’ (पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र) घोषित किया गया।
  • यहाँ पर राजस्थान की सबसे ऊँची चोटी गुरु शिखर स्थित है।

तालछापर अभयारण्य


– यह चूरू जिले में स्थित है।
– यह कृष्ण मृग के लिए प्रसिद्ध है।
– यहाँ पर विशेष प्रकार की मुलायम मोचिया घास (साइप्रस रोण्टेडस) पाई जाती है।
– यह प्रवासी पक्षी-कुरजां की शरण स्थली है।
– यहाँ पर प्रसिद्ध ऋषि द्रोणाचार्य की तपो स्थली स्थित है।

सीतामाता अभयारण्य

  • यह चित्तौड़गढ़-उदयपुर-प्रतापगढ़ जिले में स्थित है।
  • इसका नामकरण सीतामाता मंदिर तथा लव-कुश जल स्रोत के आधार पर किया गया।
  • यहाँ लक्ष्मण झूला स्थित है।
  • यह अभयारण्य चीतल की मातृभूमि व उड़न गिलहरी के लिए प्रसिद्ध है।
  • यह सागवान वृक्ष के लिए प्रसिद्ध है।
  • यह हिमालय के बाद सर्वाधिक औषधियों वाला अभयारण्य है।
  • यहाँ जाखम नदी पर स्थित जाखम बाँध सीतामाता अभयारण्य (प्रतापगढ़) में स्थित है।
  • यहाँ रात्रिचर प्राणी-आडा हुला (पैंगुलिन) पाया जाता है।

चम्बल अभयारण्य

  • यह कोटा जिले में स्थित है।
  • राजस्थान के सर्वाधिक जिलों में विस्तृत अभयारण्य है। (राणा प्रतापसागर बाँध से यमुना नदी तक) बूँदी, कोटा, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर तक है।
  • यह अभयारण्य तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में विस्तृत हैं।
  • ये अभयारण्य घड़ियाल तथा मगरमच्छ के लिए प्रसिद्ध है।
  • यहाँ राष्ट्रीय जलीय जीव (गांगेय डॉल्फिन/शिशुमार/सूस) पाई जाती है।
  • यह अभयारण्य जलीय जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध हैं।

जवाहर सागर अभयारण्य

  • यह कोटा-चित्तौड़गढ़-बूँदी जिले में स्थित है।
  • यह अभयारण्य घड़ियाल तथा मगरमच्छ की प्रजनन स्थली व जलीय जैव विविधता संरक्षण के लिए प्रसिद्ध हैं।
  • इस अभयारण्य में गेपरनाथ मंदिर व गड़रिया महादेव मंदिर स्थित है।

कुम्भलगढ़ अभयारण्य

  • यह राजस्थान के तीन जिलों राजसमंद-पाली-उदयपुर में विस्तृत हैं।
  • यह जंगली भेड़ियों व उनकी प्रजनन स्थली के लिए प्रसिद्ध हैं।
  • इस अभयारण्य में चन्दन वृक्ष पाए जाते हैं।
  • यहाँ रणकपुर जैन मंदिर (पाली) मथाई नदी के किनारे पर स्थित है।

रामगढ़ विषधारी अभयारण्य

  • इसे वर्ष 1982 में वन्य जीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया जो भारत का 52वाँ टाइगर रिज़र्व है।
  • यह बूँदी जिले में स्थित है।
  • यहाँ बाघ परियोजना के अतिरिक्त राजस्थान में सर्वाधिक बाघ विचरण करते हैं।
  • कुराल नदी (चम्बल की सहायक नदी) की सहायक नदी मेज नदी का उद्गम स्थल इसी अभयारण्य से हैं।

फुलवारी की नाल अभयारण्य

  • यह उदयपुर जिले में स्थित है।
  • इस अभयारण्य में सोम नदी (माही की सहायक नदी) व मानसी वाकल नदी (साबरमती की सहायक नदियाँ) का उद्गम स्थल स्थित है।
  • सोम नदी उदयपुर में बिच्छामेड़ा की पहाड़ियों से निकलती हैं।
  • मानसी-वाकल पर राजस्थान की सबसे लम्बी जल सुरंग ‘देवास जल सुरंग’ इसी अभयारण्य में स्थित है।

जयसमंद अभयारण्य


– यह उदयपुर में स्थित है।
– यह बघेरों के लिए प्रसिद्ध हैं तथा इसे जलचरों की बस्ती कहा जाता है।

सज्जनगढ़ अभयारण्य


– यह उदयपुर जिले में स्थित है।
– यह राजस्थान का क्षेत्रफल की दृष्टि से दूसरा सबसे छोटा वन्य जीव अभयारण्य है।
– यहाँ राजस्थान का दूसरा जैविक-पार्क स्थित है।
– यह अभयारण्य बासदरा की पहाड़ियों पर स्थित हैं।

रावली टॉडगढ़ अभयारण्य


– यह अजमेर में स्थित है व इसके अलावा ये पाली, राजसमंद में स्थित है।
– रावली टॉडगढ़ में टॉडगढ़ दुर्ग स्थित है। इसी दुर्ग में ही विजयसिंह पथिक को कैद किया गया।

जमुवा-रामगढ़ अभयारण्य


– यह जयपुर जिले में स्थित है।
– इसमें सर्वाधिक धौंक वृक्ष पाए जाते हैं।

नाहरगढ़ अभयारण्य


– यह जयपुर जिले में स्थित है।
– यहाँ पर राजस्थान का पहला जैविक उद्यान स्थित है।

सरिस्का अभयारण्य


– यह अलवर जिले में स्थित है।
– यह अभयारण्य हरे कबूतर के लिए प्रसिद्ध हैं।
– यह राजस्थान में मोर की सर्वाधिक घनत्व वाला अभयारण्य है।
– यहाँ पर भर्तृहरि की समाधि स्थल स्थित है।

सरिस्का-(A)


– यह क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे छोटा अभयारण्य है जो अलवर जिले में स्थित है।

शेरगढ़ अभयारण्य


– यह बाराँ जिले में परवन नदी के किनारे पर स्थित है।
– यह साँपों तथा चिरौंजी वृक्ष के लिए प्रसिद्ध हैं।

बंध बरेठा अभयारण्य (भरतपुर)


– यह अभयारण्य भरतपुर जिले में स्थित है।
– केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से यह अभयारण्य 50 किमी. दूर स्थित है।
– इसका कुल क्षेत्रफल 170.65 वर्ग किमी. है।

बस्सी अभयारण्य (चित्तौड़गढ़)


– यह अभयारण्य चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है।
– इस अभयारण्य का कुल क्षेत्रफल 138.69 वर्ग किमी. है।
– वर्ष 1988 में इसको अभयारण्य घोषित किया गया था।
– यहाँ पर बाघ, बघेरा, सांभर और चीतल जीवों की प्रजातियाँ देखने को मिलती हैं।

सवाई मानसिंह अभयारण्य (सवाई माधोपुर)


– यह अभयारण्य सवाई माधोपुर जिले में स्थित है।
– इसको वर्ष 1984 में अभयारण्य के रूप में नाम दिया गया था।

भैंसरोड़गढ़ अभयारण्य


– यह चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है।
– यहाँ चूलिया जल-प्रपात तथा मानदेसरा का पठार स्थित है।

रामसागर अभयारण्य


– यह धौलपुर जिले में स्थित है।

वन विहार अभयारण्य


– यह धौलपुर जिले में स्थित है।

केसरबाग अभयारण्य


– यह धौलपुर जिले में स्थित है।

कैलादेवी अभयारण्य


– यह करौली-सवाई माधोपुर जिले में स्थित है।

दर्रा वन्य जीव अभयारण्य


– यह अभयारण्य कोटा व झालावाड़ जिले में स्थित है।

सवाई माधोपुर अभयारण्य


– यह अभयारण्य सवाई माधोपुर जिले में स्थित है।

आखेट निषिद्ध क्षेत्र


– ऐसे क्षेत्र जहाँ शिकार करने पर प्रतिबंध हो, वह आखेट निषिद्ध क्षेत्र कहलाता है।
– भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत राजस्थान के 17 जिलों में 33 आखेट निषिद्ध क्षेत्रों की स्थापना की गई है।

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उम्मीद करते हैं इस पोस्ट में हमने राजस्थान के वन्य जीव अभयारण्य से संबंधित नोट्स जो आपको उपलब्ध करवाये है वह आपको जरूर अच्छे लगे होंगे अगर आप इसी प्रकार टॉपिक के अनुसार सभी विषयों के नोट्स बिल्कुल फ्री में पढ़ना चाहते हैं तो हमारी इस वेबसाइट पर रोजाना विजिट करते रहे जिस पर हम आपको कुछ ना कुछ नया उपलब्ध करवाते हैं