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किसान आंदोलन के प्रमुख चरण एवं कारण
Table of contents
किसान आंदोलन के प्रमुख कारण
1. लगान – भूमि पर वसूला गया कर या राजस्व
- लगान की प्रमुख विधियाँ – लाठा पद्धति, खेत बँटाई, लंक बँटाई, रास बँटाई, कुंता, ईजारा, मुकाता और गोन्ती बीज/बीज बराड़।
2. लाग-बाग – रियासत काल में कई प्रकार की लाग-बाग कर लगती थी।
- लाग-बाग की प्रमुख विधियाँ – सेंगटी, खिचड़ी, कांसा, चूड़ा, कुँवर घोड़ा, अखैराई, चंवरी कर।
3. बैठ–बेगार – बिना मेहनताना कृषकों से कार्य करवाना।
- प्रमुख बैठ–बेगार – कमठा बेगार, हलकर, लांगाकर, राली कर।
4. राजाओं द्वारा ठिकानेदार या जागीरदार से वसूले जाने वाले कर का भार ठिकानेदारों द्वारा सीधा जनता पर डाल देना।
उदाहरण – चाकरी, छुटन्द, न्योत बराड़।
5. 19-20 वीं सदी में राजाओं का प्रभाव कम होने के कारण ठिकानेदारों द्वारा किसानों के खिलाफ दमनकारी नीति का प्रयोग करना।
मेवाड़ जाट किसान आंदोलन
- महाराणा फतेहसिंह के शासनकाल में 22 जून, 1880 को चित्तौड़ के रश्मि परगना में मातृकुण्डिया में आंदोलन हुआ।
- कारण – जाट किसानों ने नई भू-राजस्व व्यवस्था के विरुद्ध प्रदर्शन किया।
बिजौलिया किसान आंदोलन :- (1897-1941)
- बिजौलिया का प्राचीन नाम – विजयावल्ली/विन्धयावल्ली
- ऊपरमाल – बिजौलिया व भैंसरोड़गढ़ का मध्य भाग
- भारत का सर्वाधिक अवधि (44 वर्ष) तक चलने वाला तथा पूर्णत: अहिंसक किसान आंदोलन।
- मेवाड़ महाराणा – फतेहसिंह
किसान आन्दोलन के प्रमुख चरण
प्रथम चरण (1894-1915)
- नेतृत्व – स्थानीय लोगों द्वारा
- 1894 में राव गोविन्ददास की मृत्यु के बाद राव किशनसिंह/कृष्ण सिंह नया जागीरदार बना।
- कृष्णसिंह के समय किसानों से 84 प्रकार की लागें ली जाती थी।
- किसानों की सभा –1897, गिरधारीपुरा गाँव में किसानों ने महाराणा को अपनी समस्या से अवगत करवाने के लिए ‘नानजी पटेल‘ व ‘ठाकरी पटेल‘ को चुना।
- कृष्ण सिंह ने नानजी पटेल व ठाकरी पटेल को बिजौलिया से निष्कासित कर दिया।
- इन शिकायतों की जाँच के लिए महाराणा ने ‘हामिद हुसैन‘ नामक अधिकारी को भेजा।
- हामिद हुसैन ने शिकायतों को सही बताया मगर महाराणा ने कोई कार्यवाही नहीं की।
- चँवरी कर – कृष्ण सिंह ने 1903 में ‘5 रु का कर ‘ लगाया। विरोधस्वरूप वर्ष 1903-04 में किसान विवाह व खेती को बंद कर ग्वालियर की तरफ कूच कर गए।
- वर्ष 1904 में कृष्णसिंह व किसानों के मध्य समझौता हुआ। चँवरी कर समाप्त और लगान भी 1/2 से घटाकर 2/5 कर दिया।
- वर्ष 1906 में कृष्णसिंह की निस्संतान मृत्यु। भरतपुर के पृथ्वीसिंह ठिकानेदार बने।
- ‘तलवार बंधाई कर‘ – वर्ष 1906 में पृथ्वीसिंह ने लगाया।
- तलवार बन्धाई कर का विरोध – किसानों द्वारा
- नेतृत्वकर्ता – साधु सीताराम दास, फतेहकरण चारण और ब्रह्मदेव
- वर्ष 1914 में केसरीसिंह नए ठिकानेदार बने।
- केसरीसिंह अवयस्क होने के कारण अमरसिंह राणावत को मुंसरिफ व डूँगरसिंह भाटी को उप मुंसरिफ नियुक्त किया गया।
- सीताराम दास के आग्रह पर 1915 में विजयसिंह पथिक आंदोलन से जुड़े।
द्वितीय चरण- (1916-1923)
विजयसिंह पथिक
- मूल नाम – भूपसिंह
- निवासी – गुढ़ावली बुलंद शहर (उत्तर प्रदेश)
- पथिक गोपालसिंह खरवा के साथ सशस्त्र क्रांति के आरोप में टॉडगढ़ जेल में कैद थे।
ऊपरमाल पंच बोर्ड’ –
- स्थापना – वर्ष 1917, विजयसिंह पथिक द्वारा हरियाली अमावस्या के दिन
- स्थान – बैरीसाल गाँव (भीलवाड़ा)
- कार्य – लगान, लाग-बाग का विरोध करना।
- सरपंच – श्रीमन्ना पटेल
- ‘ऊपरमाल का डंका‘ – पथिक द्वारा मेवाड़ी भाषा में हस्तलिखित प्रकाशित अखबार।
- गणेश शंकर विद्यार्थी ने अपने इस समाचार पत्र ‘प्रताप‘ से आंदोलन को देशव्यापी बना दिया।
- अन्य समाचार-पत्रों का आन्दोलन में योगदान – अभ्युदय (प्रयाग), भारतमित्र (कलकत्ता) व बाल गंगाधर तिलक का मराठा (पूना)।
- ‘पंछीड़ा’ – माणिक्यलाल वर्मा द्वारा रचित गीत।
- पथिकजी की प्रेरणा से वर्मा ने ठिकाने की नौकरी छोड़कर आन्दोलन में भाग लिया।
- ‘रंगभूमि‘ – मुंशी प्रेमचंद द्वारा आंदोलन की पृष्ठभूमि पर रचित नाटक।
- गोपालनिवास के नारायण पटेल ने सर्वप्रथम लाग-बाग देने से मना किया।
- किसानों द्वारा ‘इन्हें छोड़ दो नहीं तो हमें जेल दो’ नारा दिया।
● राजस्थान सेवा संघ – वर्ष 1919, वर्धा (महाराष्ट्र) में विजयसिंह पथिक द्वारा स्थापित
- वर्ष 1920 में राजस्थान सेवा संघ का मुख्यालय वर्धा से अजमेर स्थानातंरित।
- 1920 में पथिक ने ‘राजस्थान केसरी’ का प्रकाशन पहले वर्धा से और फिर अजमेर से प्रारम्भ किया।
- 1922 में राजस्थान सेवा संघ ने ‘नवीन राजस्थान’ प्रारम्भ किया जिसमें आदिवासी एवं किसान आंदोलनों का समर्थन किया गया।
- अजमेर से प्रकाशित समाचार-पत्र – नवीन राजस्थान, तरुण राजस्थान व नव संदेश।
- वर्ष 1920, बंबई में पथिक ने गाँधीजी से मुलाकात कर मेवाड़ के किसानों की समस्या से अवगत करवाया।
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