राज्य कार्यपालिका | Indian Polity Classroom Notes | राज्यपाल की योग्यता एवं शक्तियां

इस पोस्ट में हम राज्य कार्यपालिका | Indian Polity Classroom Notes के बारे में पढ़ने वाले हैं अगर यह टॉपिक आपके सिलेबस में है तो आपको इस जरूर पढ़ना चाहिए और अच्छे से याद कर लेना चाहिए राज्य कार्यपालिका से संबंधित बहुत ही सरल नोट्स हमने नीचे उपलब्ध करवा दिए हैं

भारतीय राजव्यवस्था में आपको इस टॉपिक के बारे में पढ़ने के लिए मिलता है लेकिन कम समय में अधिक तैयारी के लिए ऐसे नोट्स की आवश्यकता होती है जो हम आपको निरंतर इस वेबसाइट के माध्यम से उपलब्ध करवाते रहते हैं

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Indian Polity – राज्य कार्यपालिका

राज्यपाल (Governor)

● अनुच्छेद-153 के तहत प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा।

●  एक व्यक्ति को दो या दो से अधिक राज्यों का राज्यपाल बनाया जा सकता है।

    (7वाँ संविधान संशोधन, 1956)

●  राज्य की कार्यपालिका का प्रमुख होता है। (अनुच्छेद – 154)

राज्यपाल की योग्यताएँ

    1. वह भारत का नागरिक हो।

    2. वह 35 वर्ष की उम्र पूर्ण कर चुका हो।

    3. किसी लाभ के पद पर न हो।

·  नियुक्ति – राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

·     शपथ – उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अथवा उसकी अनुपस्थिति में अन्य न्यायाधीश द्वारा शपथ दिलाई जाती है।

·  राज्यपाल हमेशा संविधान की रक्षा एवं लोगों के कल्याण की शपथ लेता है।

·  कार्यकाल – 5 वर्ष

·  राज्यपाल की शक्तियाँ

  A.  कार्यपालिका शक्तियाँ

·    विधानसभा में बहुमत दल के नेता को मुख्यमंत्री के पद पर नियुक्त करता है।

·    राज्यपाल महाधिवक्ता, विश्वविद्यालय के कुलपतियों की नियुक्ति करता है।

·    अनुच्छेद-356 के तहत राज्यपाल राष्ट्रपति शासन की सिफारिश राष्ट्रपति को कर सकता है।

  B.  व्यवस्थापिका शक्तियाँ

· राज्यपाल को  विधानमण्डल के सत्र को बुलाने, सत्रावसान करने तथा विधानसभा को भंग करने का अधिकार है।

·    विधानमण्डल का अधिवेशन न हो रहा हो उस समय अध्यादेश जारी कर सकता है।

  C.  वित्तीय शक्तियाँ

·    कोई भी धन विधेयक राज्यपाल की स्वीकृति के पश्चात् ही विधानसभा में रखा जाता है।

·    राज्यपाल प्रत्येक 5 वर्ष में 1 वित्त आयोग का गठन करता है।

  D. अन्य शक्तियाँ

·    राज्यपाल उच्च न्यायालय के जजों की नियुक्ति हेतु अपना परामर्श राष्ट्रपति को देता है।

·    इसके अलावा राज्यपाल के पास कुछ स्वविवेकीय शक्तियाँ भी होती है।

मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद्

(Chief Minister & Council of Ministers)

·  अनुच्छेद-163 – इसके तहत भारतीय संविधान में राज्य मंत्रिपरिषद् का उपबंध किया गया है।

    नोट:- राज्यपाल की सहायता के लिए एक मंत्रिपरिषद् होगी, जिसका प्रधान मुख्यमंत्री होगा।

·  मुख्यमंत्री विधानसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता होता है।

·  अनुच्छेद-164 – इसके तहत मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा तथा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह से करेगा।

    नोट:- 91वें संविधान संशोधन द्वारा वर्ष 2003 में राज्य मंत्रिपरिषद् में मंत्रियों की अधिकतम संख्या मुख्यमंत्री सहित विधानसभा की कुल सदस्य संख्या का 15 प्रतिशत नियत किया गया है।

·  किसी भी सदस्य को मंत्रिपरिषद् में शामिल किया जाता है और ऐसी स्थिति में वो सदस्य विधानमण्डल का सदस्य नहीं है, तब उसे छ: माह के भीतर विधानमण्डल की सदस्यता प्राप्त करना आवश्यक है।

·  मुख्यमंत्री सहित मंत्रिपरिषद् के सभी सदस्यों को राज्यपाल के द्वारा शपथ दिलाई जाती है।

·  राज्य मंत्रिपरिषद् में तीन प्रकार के मंत्री होते हैं –

    1. कैबिनेट मंत्री

  2. राज्य मंत्री

  3. उप मंत्री

·  सामान्य तौर पर मंत्रिपरिषद् का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है।

·  मंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप से विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।

  नोट:- यदि विधानसभा किसी मंत्री के विरुद्ध प्रस्ताव पारित कर दे या किसी मंत्री के द्वारा रखे गए विधेयक को अस्वीकार कर दे तो ऐसी स्थिति में समस्त मंत्रिपरिषद् को त्याग पत्र देना होता है।

राज्य का महाधिवक्ता

(Advocate General of State)

•   अनुच्छेद-165 के तहत यह राज्य का सर्वोच्च विधिक अधिकारी होता है।

•   राज्यपाल द्वारा इसकी नियुक्ति की जाती है।

•   राज्यपाल उसे कभी भी उसके पद से हटा सकता है।

•   महाधिवक्ता को राज्य विधान मण्डल की कार्यवाहियों में भाग लेने और बोलने का अधिकार है किन्तु मतदान का अधिकार नहीं है

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उम्मीद करते हैं इस राज्य कार्यपालिका | Indian Polity Classroom Notes पोस्ट में हमने जो आपको नोट्स उपलब्ध करवाये है वह इस टॉपिक के लिए पूर्ण होंगे अगर आपको यह नोट्स अच्छी लगे हो तो इन्हें अपने दोस्तों एवं अन्य ग्रुप में जरूर शेयर करें एवं अपनी तैयारी ऐसे नोट्स के साथ करने के लिए हमारी इस वेबसाइट UPSC NOTES पर विजिट करते रहे

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