विश्व का भूगोल : ब्रह्मांड के बारे में जाने

अगर आप किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और आपके सिलेबस में विश्व का भूगोल विषय से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं तो यह पोस्ट आपके लिए है जिसमें हमने ब्रह्मांड से संबंधित क्लासरूम नोट्स उपलब्ध करवाए हैं हमने ऐसे नोट्स उपलब्ध करवाने की कोशिश की है जो सबसे शॉर्ट है और आपको आसानी से याद हो सके |

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विश्व का भूगोल : ब्रह्मांड

सामान्य रूप से पृथ्वी, ग्रहों, उपग्रहों, सौरमंडल, तारों एवं आकाश गंगाओं के सम्मिलित पुंज को ‘ब्रह्माण्ड’ कहते हैं।

भूगोल का जनक – हिकेटियस

Geography शब्द इरेटोस्थनीज ने दिया।

वर्तमान भूगोल का जनक – अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट

विश्व मानचित्र के निर्माणकर्ता – अनेक्सीमेंडर

ब्रह्मांड से संबंधित अवधारणा –

I. जियोसेंट्रिक अवधारणा (भू केन्द्रीय सिद्धान्त) :- इस अवधारणा के तहत ‘क्लॉडियस टॉलमी’ ने पृथ्वी को सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का केन्द्र बिन्दु माना है।

II. हेलियोसेंट्रिक अवधारणा (सूर्य केन्द्रित सिद्धान्त) :- इस अवधारणा के तहत पोलैंड के “निकोलस कोपरनिकस” ने बताया कि ब्रह्माण्ड के केंद्र में सूर्य स्थित है तथा पृथ्वी व अन्य ग्रह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं।

नोट:- निकोलस कोपरनिकस को ‘आधुनिक खगोल शास्त्र का जनक’ माना जाता है।

ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति से सम्बन्धित सिद्धान्त :-

• बिग बैंग सिद्धांत – जॉर्ज लेमैत्रे

• साम्यावस्था सिद्धांत – थॉमस गोल्ड एवं हर्मन बांडी

• दोलन सिद्धांत – डॉ. एलन संडेज (Dr. Allan Sandage)

आकाशगंगा

ब्रह्माण्ड का व्यास 108 प्रकाश वर्ष है। ब्रह्माण्ड में लगभग 100 अरब आकाशगंगाएं (मंदाकिनी-Galaxy) है। आकाशगंगा असंख्य तारों का एक विशाल पुंज है। प्रत्येक आकाशगंगा में लगभग 100 अरब तारे होते हैं।

बल्ज – आकाशगंगा के केंद्र को कहा जाता है।

हमारी आकाशगंगा को मंदाकिनी या दुग्ध मेखला कहा जाता है। इसकी

आकृति सर्पिलाकार है।

मिल्की वे – मंदाकिनी का भाग जो रात में दिखाई देती है।

सूर्य- मंदाकिनी का एक तारा है

प्रोक्सिमा सेन्चुरी – यह सूर्य के सबसे निकटतम तारा है।

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