भारत के भौतिक प्रदेश / स्वरूप

अगर आपके सिलेबस में भारत का भूगोल विषय है तो यह नोट्स आपके लिए बहुत कम आने वाले हैं इस पोस्ट में हमने भारत के भौतिक प्रदेश / स्वरूप | Bharat ke Bhotik Pradesh in Hindi से संबंधित शॉर्ट एवं आसान भाषा में तैयार किया हुए उपलब्ध करवा दिए हैं | हमारे द्वारा उपलब्ध करवाए जा रहे भूगोल के ऐसे नोट्स आपको फ्री में कहीं भी नहीं देखने को मिलेंगे 

भूगोल विषय की शानदार तैयारी टॉपिक अनुसार नोट्स के माध्यम से करने के लिए आप हमारी इस वेबसाइट की सहायता ले सकते हैं जिसमें हम आप क्लासरूम नोट्स निशुल्क उपलब्ध करवाते हैं ताकि आप घर बैठे बिना किसी कोचिंग के शानदार तैयारी कर सके

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

Bharat ke Bhotik Pradesh in Hindi – भारत के भौतिक प्रदेश / स्वरूप

  • भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर में हिमालय पर्वत है जिसे हिम का घर  कहते है। दक्षिण में विशाल त्रिभुजाकार प्रायद्वीप है इन दोनों के मध्य में गंगा, ब्रह्मपुत्र तथा सिन्धु नदियों के विशाल मैदान है।
  • उच्चावच व संरचना के आधार पर भारत को निम्नलिखित भौतिक विभागों में बाँटा गया है–

 1. उत्तर का पर्वतीय क्षेत्र

 2. उत्तर भारत का विशाल मैदान

 3. भारतीय मरुस्थल

 4. प्रायद्वीपीय पठार

 5. तटीय मैदान

 6. द्वीप समूह  

ट्रांस हिमालय

  • यह महानहिमालय का उत्तरी भाग है।   
  • इस हिमालय का अधिकांश भाग तिब्बत में होने के कारण इसे “तिब्बतियन हिमालय” भी कहा जाता है।
  • ट्रांस हिमालय तीन समानान्तर पर्वत श्रेणियों से मिलकर बना है–

 I.  काराकोरम श्रेणी–

●  यह भारत का सबसे उत्तरतम पर्वत है।

● इसे “कृष्णागिरी” तथा “उच्च एशिया की रीढ़” के नाम से भी जाना जाता है।

●  काराकोरम श्रेणी की सबसे ऊँची चोटी “गॉडविन ऑस्टिन” k(8611 मीटर) भारत की सबसे ऊँची चोटी है, जो पाक अधिकृत कश्मीर (POK) में स्थित है।

● काराकोरम श्रेणी में सियाचिन ग्लेशियर स्थित है, जो भारत का सबसे बड़ा ग्लेशियर है, जिस पर वर्ष 1984 में पाकिस्तान के खिलाफ “ऑपरेशन मेघदूत” चलाया गया।

●  इस श्रेणी में अन्य ग्लेशियर – बाल्टोरो, बियाफो, हिस्पर, साल्टोरो आदि।

● पामीर ग्रन्थि – इस ग्रन्थि में तियानशान, काराकोरम, कुनलुनशान, हिन्दुकुश श्रेणियाँ शामिल है। इसे विश्व की छत कहते है।

 II. लद्दाख श्रेणी–

●  शाब्दिक अर्थ – “लाख दर्रों का घर” है।

●  लद्दाख श्रेणी की सबसे ऊँची चोटी “माउण्ट राकापोशी” जो “विश्व की सबसे तीव्र ढलान वाली चोटी है।”

●  लद्दाख का पठार – भारत का सबसे ऊँचा पठार है, जिसे ‘मिनीतिब्बत का पठार’ भी कहा जाता है।

●  लद्दाख श्रेणी में पूगा घाटी, जहाँ पर “भूतापीय ऊर्जा केन्द्र” स्थित है। 

●  सिन्धु नदी लद्दाख श्रेणी को “बुंजी” नामक स्थान पर काटकर भारत का सबसे गहरा गॉर्ज का निर्माण करती है।

III. जास्कर श्रेणी

●  यह श्रेणी लद्दाख श्रेणी के दक्षिण व महानहिमालय के उत्तर में स्थित है।

● लद्दाख श्रेणी व जास्कर श्रेणी के बीच “सिन्धु नदी” बहती है।

 -ट्रांस हिमालय, महान हिमालय से “इण्डो सांगपो शच्चर जोन (ITSZ)” द्वारा अलग होता है

हिमालय

-हिमालय एक नवीन वलित पर्वत शृंखला है।

-हिमालय का निर्माण यूरेशियन प्लेट व इण्डियन प्लेट के सम्पीड़न बल द्वारा हुआ है।

-हिमालय की उत्पत्ति सीनोजोइक महाकल्प के “तृतीयक काल” (टर्शियरी काल) में हुआ है–

-हिमालय विश्व की तीसरी सबसे लम्बी पर्वत शृंखला है।

 1. एण्डीज पर्वतमाला (दक्षिण अमेरिका)

 2. रॉकी पर्वतमाला (उत्तरी अमेरिका)

-हिमालय पर्वत तीन शृंखलाओं से मिलकर बना है–

 I. महान हिमालय–

●   महान हिमालय को वृहद् हिमालय या हिमाद्री भी कहा जाता है।

● इयोसीन व ओलिगोसीन काल में महान हिमालय का निर्माण हुआ।

●  महान हिमालय पश्चिम में नंगा पर्वत (जम्मू कश्मीर) से पूर्व में नामचा बरवा (अरूणाचल प्रदेश) के मध्य 2400 किमी. फैला है।

●  महान हिमालय की औसत ऊँचाई 6100 मीटर है।

●  महानहिमालय की चौड़ाई कश्मीर में 400 किमी तथा अरुणाचल प्रदेश में 150 किमी. है, जो पश्चिम से पूर्व की ओर चौड़ाई घटती जाती है।

●  विश्व के सर्वोच्च पर्वत शिखर महान हिमालय में स्थित है।

● माउण्ट एवरेस्ट – नेपाल

–  ऊँचाई – 8,848 मीटर।

– विश्व की सबसे ऊँची चोटी।

– नेपाल में इसे “सागरमाथा” तथा तिब्बत में “चोमालुंगमा” कहते हैं। 

●   कंचनजंगा – सिक्किम

 – ऊँचाई – 8,598 मीटर।

 – भारत में स्थित सबसे ऊँची चोटी।

महान हिमालय की अन्य चोटियाँ

प्रमुख चोटियाँऊँचाई
मकालू (नेपाल)8,481 मीटर
धौलागिरि (नेपाल)8,172 मीटर
मंशालू (नेपाल)8,154 मीटर
नंगा पर्वत (जम्मू कश्मीर)8,126 मीटर
अन्नपूर्णा (नेपाल)8,078 मीटर
नन्दा देवी (उत्तराखण्ड)7,817 मीटर
कामेट (उत्तराखण्ड)7,756 मीटर
नामचा बरवा (अरुणाचल प्रदेश)7,756 मीटर

● महान हिमालय पर अनेकों हिमनद स्थित हैं – यमुनोत्री, गंगोत्री, मिलाम, जेमू आदि इन हिमनदों से ही क्रमश: यमुना, गंगा, काली, तीस्ता नदियों का उद्गम होता है।

● सिंधु, ब्रह्मपुत्र व अलकनंदा इस पर्वत शृंखला को काटकर बहने वाली नदियाँ हैं।

● महान हिमालय, मध्य हिमालय से मैन सेंट्रल थ्रस्ट (MCT)  द्वारा अलग होता है।

II. मध्य हिमालय

● महान हिमालय के दक्षिण भाग में स्थित हिमालय निम्न/मध्य/लघु हिमालय के नाम से जाना जाता है।

● मायोसीन काल में ‘मध्य/लघु हिमालय’ का निर्माण हुआ।

● मध्य हिमालय को “हिमाचल” भी कहा जाता है।

● औसत ऊँचाई – 3,700 मीटर से 4,500 मीटर

● औसत चौड़ाई – 50 किमी

● पीरपंजाल (जम्मू-कश्मीर) धौलाधर (हिमाचल प्रदेश), मसूरी (उत्तराखण्ड), नागटिब्बा (उत्तराखण्ड-नेपाल) एवं महाभारत (नेपाल), श्रेणियाँ इस पर्वत शृंखला में स्थित है।

● वृहद् हिमालय तथा मध्य हिमालय के मध्य कश्मीर घाटीकुल्लू-कांगड़ा घाटीलाहौल-स्पीतिकाठमांडू घाटी अवस्थित है।

● पीरपंजाल श्रेणी मध्य हिमालय की सबसे लम्बी श्रेणी है।

● मध्य हिमालय की कश्मीर घाटी में हिमानीकृत चिकनी मिट्टी को ‘करेवा’ कहा जाता है, यह मिट्टी “जाफरान केसर” के लिए उपयोगी है।

● मध्य हिमालय की ढाल पर छोटे-छोटे घास के मैदान पाए जाते हैं, जिन्हें कश्मीर में ‘मर्ग’ कहते हैं; जैसे- सोनमर्ग, गुलमर्ग तथा उत्तराखण्ड में ‘बुग्याल’ या ‘पयार’ कहा जाता है।

● मध्य हिमालय में स्थित स्वास्थ्यवर्द्धक स्थल-

 जम्मू-कश्मीर- श्रीनगर, गुलमर्ग, सोनमर्ग, पहलगाँव।

 हिमाचल प्रदेश– शिमला, कुल्लू मनाली, डलहौजी, धर्मशाला।

 उत्तराखंड- मसूरी, चकराता, नैनीताल, रानीखेत।

 पश्चिम बंगाल- दार्जिलिंग।

● मध्य हिमालय, बाह्य हिमालय से मैन बाउण्ड्री फॉल्ट (MBF) द्वारा अलग होता है।

III. बाह्य हिमालय

● बाह्य हिमालय को शिवालिक भी कहा जाता है।

● प्लायोसीन काल में “शिवालिक हिमालय” का निर्माण हुआ।

● शिवालिक, हिमालय की सबसे बाहरी तथा सबसे नवीनतम पर्वत शृंखला है।

● औसत ऊँचाई- 900–1100 मीटर

● चौड़ाई- 10 किमी. से 50 किमी तक

● बाह्य हिमालय का विस्तार पश्चिम में पाकिस्तान के पोतवाड़ पठार से पूर्व में असम के दिहांग तक है।

● मध्य हिमालय तथा शिवालिक के बीच कई समतल घाटियाँ है जिन्हें पश्चिम में ‘दून’ तथा पूर्व में ‘द्वार’ कहते हैं। जैसे- देहरादून, कोटलीदून, पाटलीदून व हरिद्वार।

● शिवालिक श्रेणी, उत्तरी भारतीय मैदान से हिमालय फ्रंट फॉल्ट (HFF)  द्वारा अलग होता है।

भ्रंशअवस्थिति
सिन्धु-सांगपो शच्चर जोन (ITSZ)ट्रांस हिमालय व महानहिमालय के मध्य
मैन सेंट्रल थ्रस्ट (MCT)महानहिमालय व लघु हिमालय के मध्य
मैन बाउण्ड्री फॉल्ट (MBF)लघु हिमालय व शिवालिक हिमालय के मध्य
हिमालयन फ्रंटल फॉल्ट (HFF)शिवालिक हिमालय व भारत के विशाल मैदान के मध्य

पूर्वांचल हिमालय

-ब्रह्मपुत्र नदी, हिमालय की पूर्वी सीमा का निर्धारण करती है।

-दिहांग गॉर्ज के बाद हिमालय दक्षिण की ओर मुड़ जाता है तथा भारत की पूर्वी सीमा के साथ फैल जाता है, इन्हें पूर्वांचल हिमालय कहते हैं।

-उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में फैली हिमालय श्रेणियों को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है।

I.अरुणाचल प्रदेश–

● जनजातियों के नाम पर पहाड़ियाँ- डाफला, मिरी पटकाईबुम, अबोर पहाड़ी।

● पटकाई बुम- यह पहाड़ी भारत तथा म्यांमार की सीमा पर स्थित है।

II. नागालैण्ड–

● जूकू घाटी स्थित है।

● यहाँ नागा पहाड़ियाँ स्थित है।

● इसकी सर्वोच्च चोटी माउण्ट सारामती है।

● बरेल श्रेणी- नागालैण्ड तथा मणिपुर की सीमा पर स्थित।

III. मणिपुर–

● मणिपुर पहाड़ियाँ या लैमाटोल पहाड़ियाँ स्थित हैं।

● मणिपुर घाटी में “लोकटक झील” स्थित है, जिस पर भारत का तैरता हुआ राष्ट्रीय पार्क “कैमूल लाम झाओ” स्थित है।

IV. मिजोरम–

● मिजो पहाड़ियाँ/लुशाई पहाड़ियाँ स्थित हैं।

● ब्लू माउण्टेन श्रेणी इसी राज्य में है।

● मोलेसिस बेसिन इसी राज्य में है।

V. मेघालय–

● मेघ + आलय – “बादलों का घर”

● प्रमुख पहाड़ियाँ – गारो, खासी, जयन्तिया।

● खासी पहाड़ियों पर ही विश्व की सर्वाधिक वर्षा होती है जो मासिन राम (चेरापूँजी) में स्थित है।

VI. असम– मिकिर, रेंगमा प्रमुख पहाड़ियाँ।

VII. त्रिपुरा– जाम्फुई पहाड़ी, त्रिपुरा प्रमुख पहाड़ियाँ।

हिमालय का प्रादेशिक विभाजन

-प्रादेशिक विभाजन की संकल्पना ‘सिडनी बुरार्ड’ ने दी।

-नदियों के आधार पर हिमालय के चार भाग–

 I. पंजाब हिमालय–

● पंजाब हिमालय सिंधु व सतलज नदियों के बीच स्थित है।

● पंजाब हिमालय की लम्बाई 560 किमी. है।

● पंजाब हिमालय की सर्वोच्च चोटी- नंगा पर्वत (जम्मू कश्मीर)

● इस हिमालय में काराकोरम, लद्दाख, पीरपंजाल, जास्कर व धौलाधर पर्वत श्रेणियाँ स्थित हैं।

● प्रमुख तीर्थ स्थल- अमरनाथ, वैष्णोदेवी इत्यादि।

II. कुमायूँ हिमालय–

● यह हिमालय सतलज तथा काली नदियों के बीच स्थित है।

● कुमायूँ हिमालय की लम्बाई- 320 किमी. है।

● इस हिमालय की सर्वोच्च चोटी नंदा देवी (उत्तराखण्ड) है।

● प्रमुख तीर्थ स्थल– केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री इत्यादि।

III. नेपाल हिमालय–

● नेपाल हिमालय काली तथा तीस्ता नदियों के बीच स्थित है।

● नेपाल हिमालय की लम्बाई- 800 किमी. है।

● इस हिमालय की सर्वोच्च चोटी-माउण्ट एवरेस्ट (नेपाल) है। कँचनजंगा, धौलागिरि, मकालू इसी हिमालय की चोटियाँ है।

● ऊँचाई तथा लम्बाई के आधार पर सबसे बड़ा हिमालय है।

IV.असम हिमालय–

● असम हिमालय तीस्ता व ब्रह्मपुत्र नदियों के बीच स्थित है।

● असम हिमालय की लम्बाई 720 किमी. है।

● असम हिमालय की सर्वोच्च चोटी- नामचा बरवा (अरुणाचल प्रदेश) है।

● असम हिमालय सिक्किम, भूटान, असम तथा अरुणाचल प्रदेश में फैला हुआ है।

2. उत्तर का विशाल मैदान

-उत्तर भारत के मैदानी भाग का निर्माण प्लिस्टोसीन काल में हिमालयी नदियों द्वारा लाए गए अवसादों के निक्षेपण से हुआ है।

-3200 किमी की लम्बाई में विस्तृत  यह मैदानी भाग औसतन 150-300 किमी की चौड़ाई में विस्तृत है और इसका क्षेत्रफल 7.5 लाख वर्ग किमी है।

-यह मैदान पश्चिम में सिंधु नदी से लेकर पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी तक फैला हुआ है।

-उत्तर मैदान को उच्चावच व भौतिक लक्षणों के आधार पर निम्न प्रदेशों में विभाजित किया गया है।

 (1) भाबर   (2) तराई  (3) बांगर (4) खादर (5) डेल्टा।

 I. भाबर

· उत्तर भारत में शिवालिक के गिरीपद प्रदेश में पश्चिम में सिंधु नदी से पूर्व में तीस्ता नदी तक के क्षेत्र को भाबर कहा जाता है।

· भाबर प्रदेश का निर्माण नदियों द्वारा लाए गए पत्थर, कंकड़, बजरी आदि के जमाव से हुआ है।

· भाबर प्रदेश की औसत चौड़ाई 8 से 10 कि.मी. है।

· भाबर प्रदेश में कंकड़, पत्थर, बजरी आदि का जमाव होने से छोटी नदियाँ अदृश्य हो जाती है।

· यह हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र में जलोढ़ शंकुओ व जलोढ़ पंखुओं से निर्मित मैदानी भाग है इसे शिवालिक का जलोढ़ पंख कहा जाता है।

 II. तराई

· तराई क्षेत्र भाबर प्रदेश के दक्षिण का दलदली क्षेत्र है।

· भाबर प्रदेश में अदृश्य नदियाँ तराई क्षेत्र में फिर से दृश्यमान होकर सतह पर चलने लगती है।

· वर्षा की अधिकता के कारण तराई प्रदेश का विस्तार पश्चिम में 10-20 किमी से पूर्व में लगभग 30 कि.मी. तक पाया जाता है।

 III. बांगर

· यह उत्तरी मैदान की उच्च भूमि, जहाँ बाढ़ का पानी नहीं पहुँचा पाता है।

· इस प्रदेश का विस्तार मुख्य पंजाब, उत्तराखण्ड व उत्तर प्रदेश के मैदानी भागों में है।

· इस प्रदेश के शुष्क क्षेत्रों में लवणीय व क्षारीय मृदा पाई जाती है। जिन्हें ‘रेह’/’कलर’ कहा जाता है।

· बांगर प्रदेश में कंकरीली भूमि को भूड़ कहा जाता है। इस मैदानी भाग को पंजाब में धाया कहते हैं।

 IV. खादर

· यह नवीन जलोढ़ों से निर्मित निचले मैदान है इस प्रदेश में प्रति वर्ष बाढ़ का पानी पहुँचने से नई उर्वर मिट्‌टी का जमाव होता है। यह प्रदेश “बाढ़ का मैदान” भी कहलाता हैं।

· खादर प्रदेश का विस्तार पूर्वी उत्तर प्रदेशबिहार व पश्चिम बंगाल में है।

· उत्तर प्रदेश में नदी के साथ नए जलोढ़ वाली बाढ़ के मैदानों की निम्न भूमि को खादर और पंजाब में बेट कहते हैं।

 VI. डेल्टा

· यह खादर प्रदेश का बढ़ा हुआ क्षेत्र है।

· डेल्टा का विस्तार निचली गंगा घाटी में पाया जाता है

· डेल्टा प्रदेश की उच्च भूमि को ‘चर’  निम्न भूमि को ‘बिल’ कहा जाता है।

· इस प्रदेश से निकलने के बाद नदियां सागर में प्रवेश करती हैं।

3. भारत का विशाल मरुस्थल

-25 CM वार्षिक वर्षा या उससे कम वर्षा वाले रेतीले क्षेत्र को मरुस्थल कहा जाता है।

-भारत में अरावली पहाड़ियों के उत्तर-पश्चिम तथा पश्चिम की ओर बालू के टिब्बों से ढका लहरदार मरुस्थलीय मैदान जिसे ‘थार का मरुस्थल’ कहा जाता है।

-थार का मरुस्थल राजस्थानपंजाबहरियाणा तथा गुजरात राज्यों में फैला हुआ है तथा राजस्थान में इसका विस्तार सर्वाधिक है।

-विश्व के मरुस्थलीय क्षेत्रों में सर्वाधिक जनघनत्व ‘थार के मरुस्थल’ में ही पाया जाता है।

-थार के मरुस्थल में अनेक प्रकार के बालुका स्तूपों का विस्तार पाया जाता है जैसे- बरखानअनुप्रस्थअनुदैर्ध्य इत्यादि।

4. प्रायद्वीपीय पठार

-तीनों ओर से जल से घिरा होने के कारण इसे प्रायद्वीप की संज्ञा दी गई।

-भारत का प्रायद्वीपीय पठार, भारत का प्राचीनतम भूखण्ड है जो गौंडवाना लैण्ड का भाग है।

-प्रायद्वीपीय पठार की आकृति त्रिभुजाकार है।

-प्रायद्वीपीय पठार का विस्तार उत्तर-पश्चिम में अरावली पर्वतमाला, उत्तर में दिल्ली उत्तर-पूर्व में शिलॉग व कार्बो-ऐंगलोंग पठार तक पहाड़ियाँ तथा दक्षिण में कार्डमम पहाड़ियों तक फैला है।

-प्रायद्वीपीय पठार की औसत ऊँचाई 600-900 मीटर है।

-प्रायद्वीपीय पठार का ढाल पश्चिम से पूर्व की ओर है।

-प्रायद्वीपीय नदियाँ पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है लेकिन नर्मदा व ताप्ती नदियाँ अपवाद है जो पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है।

-प्रायद्वीपीय पठार में अनेक पठार होने के कारण इसे ‘पठारों का पठार’ कहते हैं।

 I. मालवा का पठार

· मध्य प्रदेश में बेसाल्ट चट्‌टान से निर्मित संरचना को ‘मालवा का पठार’ कहते हैं।

· इस पठार को राजस्थान में हाड़ौती का पठार भी कहा जाता है।

· इस पठार का विस्तार उत्तर में ग्वालियर पहाड़ी क्षेत्र से दक्षिण में विंध्यन संरचना तक तथा पूर्व में बुन्देलखण्ड व बघेलखण्ड से पश्चिम में मेवाड़ पठारी क्षेत्र तक है।

· इस पठार की प्रमुख नदियाँ नर्मदाचम्बलकालीसिंधताप्ती इत्यादि।

· इस पठारी भाग में चम्बल नदी अवनलिका अपरदन से सर्वाधिक प्रभावित है जिससे ‘बीहड़/उत्खात भूमि’ का निर्माण होता है।

 II. बुन्देलखण्ड का पठार

· बुन्देलखण्ड पठार का विस्तार ग्वालियर पठार और विंध्याचल पर्वत श्रेणी के बीच मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश में अवस्थित है।

· बुन्देलखण्ड क्षेत्र सूखा प्रभावित क्षेत्र होने के कारण आर्थिक रूप से पिछड़ा क्षेत्र कहते है।

 III. छोटा नागपुर का पठार

· इसका विस्तार मुख्य रूप से झारखण्ड में है।

· यह पठार उत्तर में हजारीबाग का पठार तथा दक्षिण में राँची के पठार से बना है।

· दामोदर नदी राँची पठार को हजारीबाग पठार से अलग करती है।

· दामोदर नदी छोटानागपुर पठार की सबसे बड़ी नदी है।

· दामोदर नदी बेसिन कोयला भण्डार की दृष्टि से भारत का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है।

· छोटानागपुर पठार की सर्वोच्च चोटी ‘पारसनाथ’ है।

 IV. दण्डकारण्य का पठार

· इस पठार का विस्तार ओडिशा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश एवं तेलंगाना तक है।

· यह पठारी भाग अत्यंत ही ऊबड़-खाबड़ एवं अनुपजाऊ क्षेत्र है।

· यह पठार खनिज संसाधनों की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।

 V. मेघालय का पठार

· मेघालय का पठार छोटानागपुर पठार से “राजमहल गारो गैप/मालदा गैप” के द्वारा अलग हुआ है।

· मेघालय के पठार में पश्चिम से पूर्व की ओर गारोखासीजयन्तिया तथा मिकिर पहाड़ियाँ अवस्थित है। इन पहाड़ियों का नामकरण यहाँ निवास करने वाली जनजातियों के नाम पर है।

· मेघालय पठार में स्थित खासी पहाड़ी जो मासिनराम (चेरापूंजी) में स्थित है। जहाँ पर विश्व की सर्वाधिक औसत वर्षा होती है।

· इस पठार की सर्वोच्च चोटी ‘नोक्रेक’ है।

 VI. दक्कन का पठार

· इस पठार का विस्तार ताप्ती नदी के दक्षिण में त्रिभुजाकार आकृति में है।

· महाराष्ट्र में बेसाल्ट चट्‌टान से निर्मित संरचना होने के कारण यहाँ ‘काली मिट्‌टी’ का जमाव है।

· इस पठार की महत्त्वपूर्ण नदी गोदावरी है।

· इस पठार में सतमालाअजंताबालाघाट और हरिशचन्द्र इत्यादि पहाड़ियाँ है।

 VII. कर्नाटक का पठार

· कर्नाटक के पठारी क्षेत्र में पश्चिमी घाट से संलग्न पर्वतीय एवं पठारी क्षेत्र को ‘मलनाड़’ कहते हैं।

· इस पठार में बाबा बूदन तथा कुन्द्रेमुख प्रमुख पर्वतीय क्षेत्र है।

· इस पठार की कृष्णाकावेरीतुंगभद्राशरावती व भीमा प्रमुख नदियाँ हैं।

 VIII. आन्ध्रा का पठार

· आन्ध्रा प्रदेश पठार रायलसीमा पठार व तेलंगाना पठार से मिलकर बना है। इन पठारों के मध्य कृष्णा नदी बहती है।

· रायससीमा पठार पर वेलीकोण्डा, पालकोंडा और नल्लामलाई पहाड़ियों का विस्तार है।

· इसी पठार क्षेत्र में कृष्णा व गोदावरी नदी बेसिन के मध्य “कोल्लेरु झील” स्थित है।

 XI. अरावली पर्वत

· अरावली पर्वत का विस्तार राजस्थान के दक्षिण पश्चिम में गुजरात के पालनपुर से लेकर उत्तर-पूर्व में दिल्ली रिज तक है।

· अरावली पर्वत प्राचीनतम अवशिष्ट मोड़दार पर्वत है इसकी उत्पत्ति प्री-कैम्ब्रियन काल में आज से 570 मिलियन वर्ष पहले हुई।

· यह पर्वतमाला पश्चिम भारत में मुख्य जल विभाजक का कार्य करती है जो राजस्थान मैदान के अपवाह क्षेत्र को गंगा के मैदान के अपवाह क्षेत्र से अलग करती है।

· अरावली पर्वतमाला के पश्चिम की ओर वृष्टि छाया क्षेत्र का भाग है।

· अरावली पर्वतमाला का सर्वोच्च पर्वत “गुरु शिखर” है (1722 मीटर) जो राजस्थान का सबसे ऊँचा बिन्दु है।

 X. विंध्याचल पर्वत

·  विंध्याचल पर्वत का विस्तार गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा बिहार तक है।

·  इस श्रेणी को गुजरात में जोबट हिल तथा बिहार में कैमूर हिल कहते हैं।

·  विंध्याचल पर्वत के दक्षिण में नर्मदा नदी घाटी है, जो विंध्याचल पर्वत को सतपुड़ा पर्वत से अलग करती है।

·  विंध्याचल पर्वत उत्तरी भारत और प्रायद्वीपीय भारत की मुख्य जल विभाजक है जो गंगा नदी  अपवाह तंत्र को प्रायद्वीपीय भारत के अपवाह तंत्र से अलग करती है।

 XI. सतपुड़ा पर्वत

· भारत के मध्य भाग में स्थित यह श्रेणी जिसका विस्तार गुजरात मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ एवं झारखण्ड तक है।

· यह श्रेणी पश्चिम से पूर्व गिर पहाड़ी राजपीपला की पहाड़ी महादेव पहाड़ी मैकाल श्रेणी के रूप में फैली है।

· इस पर्वत की सर्वोच्च चोटी धूपगढ़ (1,350 मीटर) जो महादेव पर्वत (मध्य प्रदेश) पर है।

· मैकाल श्रेणी की सर्वोच्च चोटी अमरकंटक है यही से सोन, नर्मदा तथा दामोदर नदियों का उद्गम होता है।

· सतपुड़ा श्रेणी नर्मदा और ताप्ती नदियों के बीच जल विभाजक का कार्य करती है।

 XII पश्चिम घाट

· पश्चिम घाट प्रायद्वीपीय भारत के लिए जल विभाजक का कार्य करता है।

· पश्चिमी घाट का विस्तार अरब सागर तट के समान्तर ताप्ती नदी के मुहाने से लेकर कन्याकुमारी तक 1600 KM की लम्बाई में है।

· पश्चिमी घाट को सह्याद्रि भी कहा जाता है।

· पश्चिमी घाट की औसत ऊँचाई 1200 मीटर है।

· 16° उत्तरी अक्षांश रेखा सह्याद्रि को दो भागों में विभक्त करती है।

(i)  उत्तरी सह्याद्रि–

– इसकी सर्वोच्च चोटी – कल्सुबाई

– उत्तरी सह्याद्रि की महाबलेश्वर चोटी से कृष्णा नदी का उद्‌गम होता है।

(ii)  दक्षिण सह्याद्रि

  दक्षिण सह्याद्रि की सर्वोच्च चोटी कुन्द्रेमुख (1892 मी.) है।

– यहाँ ब्रह्मगिरी पहाड़ी से कावेरी नदी का उद्‌गम होता है।

XIII. पूर्वी घाट

· भारत का पूर्वी घाट एक असतत शृंखला के रूप में पश्चिम बंगाल से तमिलनाडु तक विस्तृत है।

· गोदावरी, कृष्णा, कावेरी तथा महान्दी इत्यादि बड़ी नदियों द्वारा विच्छेदित एवं अपरदन के कारण पूर्वी घाट की ऊँचाई कम है।

· पूर्वी घाट की औसत ऊँचाई 600 मीटर है।

· पूर्वी घाट की सर्वोच्च चोटी अरमाकोंडा (विशाखापटनम) है।

· पूर्वी घाट की प्रमुख पहाड़ियाँ (उत्तर से दक्षिण)–

– नल्लामलाई पहाड़ी   आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना
– वेलीकोंडा पहाड़ी
– पालकोंडा पहाड़ी
– नगारी पहाड़ी
– जवादी पहाड़ी  तमिलनाडु
– शेवरॉय पहाड़ी
– पंचमलाई पहाड़ी
– सिरूमलाई पहाड़ी

 XIV. दक्षिण पर्वतीय क्षेत्र

· दक्षिण पर्वतीय क्षेत्र में केरल, कर्नाटक व तमिलनाडु की सीमा पर नीलगिरि पहाड़ी, केरल व तमिलनाडु की सीमा पर अन्नामलाई, कार्डमम पहाड़ियाँ तथा तमिलनाडु में स्थित पालनी पहाड़ियाँ इत्यादि आती है।

· नीलगिरी पहाड़ी की सर्वोच्च चोटी दोदाबेटा (2637 मीटर) है।

· अन्नामलाई पहाड़ी की सर्वोच्च चोटी अन्नाईमुडी (2697 मी.) जो दक्षिण भारत की सबसे ऊँची चोटी है।

· कार्डमम (इलायची) पहाड़ी प्रायद्वीपीय भारत का दक्षिणतम पर्वतीय क्षेत्र है। जो केरल व तमिलनाडु की सीमा पर स्थित है।

· पालनी पहाड़ियाँ तमिलनाडु में स्थित है तथा यहाँ पर्यटक स्थल कोडाईकनाल स्थित है।

5. तटीय मैदान 

-भारत के 9 राज्य तटीय सीमा बनाते हैं। जिसमें गुजरात सबसे अधिक तथा गोवा सबसे कम तटीय सीमा बनाने वाले राज्य है।

-तटीय सीमा की कुल लम्बाई 7,516.6KM (द्वीपों सहित)

-भारत के तटीय मैदान का विकास पश्चिम-पूर्वी घाट तथा समुद्र तट के मध्य हुआ है।

-भारत के तटीय मैदान को दो भागों में बाँटा गया है।

 A.  पश्चिम तटीय मैदान

· पश्चिम तटीय मैदान का निर्माण पश्चिम घाट तथा अरब सागर  के मध्य गुजरात से तमिलनाडु तक हुआ है।

· पश्चिम तटीय मैदान को निम्न वर्गों में बाँटा गया हैं।

 I. गुजरात तट

– इस मैदान को कच्छ और काठियावाड़ (सौराष्ट्र) का तटीय मैदान भी कहा जाता है।

– भारत का पश्चिमी तटीय मैदान गुजरात में सबसे चौड़ा है दक्षिण की ओर जाने पर इसकी चौड़ाई कम होती जाती है। लेकिन केरल में पुन: यह मैदान चौड़ा हो जाता है।

 II. कोंकण तट

– कोंकण तट दमन से गोवा तक फैला है।

– महाराष्ट्र तथा गोवा के तट को कोंकण तट कहते हैं।

– सैलसेट द्वीप पर स्थित मुम्बई शहर इसी तट पर स्थित है।

 III. कन्नड़ तट

– कन्नड़ तट गोवा से मंगलुरु (कर्नाटक) के बीच फैला है।

– इस तट पर गरम मसालों, सुपारी, नारियल आदि की कृषि की जाती है।

– न्यू मंगलुरु बन्दरगाह इसी तट पर स्थित है।

 IV. मालाबार तट

– मालाबार तट मंगलुरु से कन्याकुमारी तक फैला है।

– मालाबार तट लैगून झीलों के लिए प्रसिद्ध है। जैसे- वेम्बनाड झील, अष्टामुदी झील, पुन्नामदा झील।

– केरल के पुन्नामदा झील में प्रतिवर्ष “नेहरू ट्रॉफी” वल्लमकाली नौका दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन होता है।

 B. पूर्वी तटीय मैदान

· पूर्वी घाट तथा बंगाल की खाड़ी के बीच निर्मित मैदान को ‘पूर्वी तटीय मैदान’ कहते हैं।

· पूर्वी तटीय मैदान पश्चिमी तटीय मैदान की तुलना में अधिक चौड़ा है। यहाँ की नदियाँ डेल्टा का निर्माण करती है।

· इस मैदान का विस्तार स्वर्ण रेखा नदी से कन्याकुमारी तक है।

· पूर्वी तटीय मैदान के निम्न भाग हैं–

I. कोरोमण्डल तट

– कन्याकुमारी से कृष्णा नदी के बीच आन्ध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु राज्यों में फैला है।

– कोरोमण्डल तट पर पुलिकट तथा कोल्लेरू झीलें स्थित है।

– तूतीकोरिन, चेन्नई बन्दरगाह इसी तट पर स्थित है।

 II. उत्तरी सरकार तट

– कृष्णा नदी से महानदी तक आन्ध्र प्रदेश से लेकर ओडिशा तक फैला तटीय मैदान।

– इस तट पर आन्ध्र प्रदेश का प्रमुख विशाखापट्नम् बन्दरगाह स्थित है।

 III. उत्कल तट

– महान्दी से स्वर्ण रेखा नदी तक फैला मैदान।

– भारत की सबसे बड़ी लवणीय झील चिल्का (ओडिशा) इसी तट पर स्थित है।

– इसी तट पर स्थित पाराद्वीप बन्दरगाह (ओडिशा) से लौह अयस्क का निर्यात किया जाता है।

6. भारत के द्वीप समूह 

-चारों ओर सागरीय जल से घिरे जो जलमग्न पर्वतों के भाग है, उन्हें ‘द्वीप’ कहा जाता है।

-भारत के दो महत्त्वपूर्ण द्वीप समूह हैं–

 I. अण्डमान निकोबार द्वीप समूह

· बंगाल की खाड़ी में स्थित अण्डमान निकोबार द्वीप समूह म्यांमार में स्थित अराकानयोमा पर्वतमाला का दक्षिण विस्तार है।

· अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह 572 छोटे-बड़े द्वीपों से मिलकर बना है।

· अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह की राजधानी ‘पोर्ट ब्लेयर’ है जो दक्षिणी अण्डमान द्वीप पर स्थित है तथा यही सेल्यूलर जेल स्थित है।

· 10° उत्तरी अक्षांश (10° चैनल) अण्डमान द्वीप को निकोबार द्वीप से अलग करता है।

· लैंडफॉल द्वीप अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह का सबसे उत्तरी द्वीप है।

· उत्तरी अण्डमान में स्थित ‘नारकोंडम’ एक सुषुप्त ज्वालामुखी द्वीप है।

· मध्य अण्डमान में स्थित ‘बैरन’ भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है।

· अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह की सर्वोच्च चोटी सैडल पीक (738 मीटर) जो उत्तरी अण्डमान द्वीप पर स्थित है।

· अण्डमान-निकोबार की दूसरी सर्वोच्च चोटी माउण्ट थुल्लियर (642 मीटर) जो ग्रेट निकोबार द्वीप पर स्थित है।

अण्डमान-निकोबार की प्रमुख चोटियाँ
चोटीऊँचाई (मी.में)अवस्थिति
सेंडल पीक738 मीटरउत्तरी अण्डमान
माउण्ट डियोवेली515 मीटरमध्य अण्डमान
माउण्ट कोयोब460 मीटरदक्षिणी अण्डमान
माउण्ट थुल्लियर642 मीटरग्रेट निकोबार

· कोको चैनल – म्यांमार के कोको द्वीप तथा लैण्डफॉल द्वीप (उत्तरी अण्डमान द्वीप) के मध्य।

·  डंकन पास – दक्षिण अण्डमान तथा लघु अण्डमान के मध्य।

 IV. 6°चैनल – भारत के ग्रेट निकोबार तथा इण्डोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के मध्य स्थित है।

· भारत का दक्षिणतम बिन्दु इन्दिरा प्वांइट/पिग्मेलियन प्वॉइंट जो ग्रेट निकोबार द्वीप में स्थित है जिसका वर्ष 2004 में सुनामी के कारण अधिकांश हिस्सा जलमग्न हो गया।

· इस द्वीप समूह में शॉम्पेन, सेंटिनलीज, ओंग, जारवा इत्यादि जनजातियाँ निवास करती है। वर्ष 2014 के 16वीं लोकसभा चुनाव में पहली बार शॉम्पेन जनजाति ने मतदान किया।

नोट :- दिसम्बर, 2018 में पोर्ट ब्लेयर में आजाद हिन्द फौज की 75वीं वर्षगाँठ मनाई गई। इस सम्मेलन में तीन द्वीपों के नाम परिवर्तित किए–

 (i) रॉस द्वीप – नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वीप।

  (ii) नील द्वीप – शहीद द्वीप

  (iii) हैवलॉक द्वीप – स्वराज द्वीप।

   23 जनवरी, 2023 को ‘पराक्रम दिवस’ पर अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह के 21 बड़े अज्ञात द्वीपों का नाम 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखे। जिनमें राजस्थान के दो परमवीर चक्र विजेता मेजर पीरू सिंह तथा मेजर शैतान सिंह का नाम शामिल है।

 II. लक्षद्वीप समूह

· अरब सागर में स्थित लक्षद्वीप समूह प्रवाल भित्तियाँ, मूँगा जीवों के अस्थिपंजरों से निर्मित है।

· लक्षद्वीप समूह में कुल द्वीपों की संख्या 36 हैं।

· लक्षद्वीप की राजधानी कवरत्ती है।

· 9° चैनल – मिनिकॉय को कवरत्ती से अलग करता है।

· 8° चैनल – मिनिकॉय को मालद्वीप से अलग करता है।

· लक्षद्वीप भारत का क्षेत्रफल तथा जनसंख्या में सबसे छोटा केन्द्र शासित प्रदेश है।

· एंड्रोट (मिनिकॉय) लक्षद्वीप का सबसे बड़ा द्वीप है।

अन्य द्वीप

श्री हरिकोटा द्वीप

· यह आन्ध्र प्रदेश में स्थित है।

· इस द्वीप पर भारत का उपग्रह प्रक्षेपण “सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र” स्थित है।

· श्री हरिकोटा द्वीप ‘पुलिकट झील’ को बंगाल की खाड़ी से अलग करता है।

पम्बन द्वीप

· भारत एवं श्रीलंका के बीच स्थित है।

· पम्बन द्वीप पर ही रामेश्वरम् स्थित है।

· यह मन्नार की खाड़ी में स्थित है।

न्यू मूर द्वीप

· यह बंगाल की खाड़ी में भारत तथा बांग्लादेश की सीमा पर अवस्थित है।

माजुली द्वीप

· माजुली द्वीप दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप है जो असम में ब्रह्मपुत्र नदी के मध्य बसा है।

· यह देश का पहला नदी द्वीपीय जिला बना है।

वेलिगंटन द्वीप

· कोच्चि (केरल) का भाग है।

· यह अरब सागर में स्थित है।

Join Whatsapp GroupClick Here
Join TelegramClick Here

उम्मीद करते हैं इस भारत के भौतिक प्रदेश / स्वरूप पोस्ट में जो भी प्रश्न – उत्तर हमने उपलब्ध करवाए हैं वो आपकी तैयारी में जरूर काम आएंगे ऐसे ही नोट्स के साथ तैयारी करने के लिए आप हमारी इस वेबसाइट से जुड़ सकते हैं

4 thoughts on “भारत के भौतिक प्रदेश / स्वरूप”

Leave a Comment