Static Gk : भारत के प्रमुख शास्त्रीय नृत्य

इस पोस्ट में आज हम बात करेंगे Static Gk : भारत के प्रमुख शास्त्रीय नृत्य के बारे में जहां से बहुत बार परीक्षा में प्रश्न पूछा जा चुका है Static Gk के लिए हम आपको ऐसे ही टॉपिक वाइज नोट्स उपलब्ध करवाएंगे जो की सभी प्रतियोगी परीक्षाओं एवं सिविल सर्विस परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है 

भारत के शास्त्रीय नृत्य के बारे में आप सरल एवं आसान भाषा में नीचे उपलब्ध करवाई गये नोट्स को पढ़ सकते हैं

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

प्रमुख शास्त्रीय नृत्य

–   भारत के शास्त्रीय नृत्य अपनी तकनीकी सटीकता और सरल दिशा निर्देशों के पालन के लिए जाने जाते हैं।

–   नृत्य का सबसे पहला उल्लेख ‘भरतमुनि’ की प्रसिद्ध पुस्तक ‘नाट्य शास्त्र’ में मिलता है।

भारत के शास्त्रीय नृत्य

1.   भरतनाट्यम

–   भरतमुनि के नाट्यशास्त्र से जन्मी इस नृत्य शैली का विकास तमिलनाडु व उसके आस-पास के क्षेत्रों में हुआ था।

–   भरतनाट्यम को सबसे प्राचीन नृत्य माना जाता है।

भरतनाट्यम के प्रमुख नर्तक
टी बाला सरस्वती (पद्म विभूषण–1997),  सोनल मानसिंह(पद्म विभूषण–2003),  यामिनी कृष्णमूर्ति (पद्म विभूषण–2016), रूक्मिणी देवी, पद्मा सुब्रमण्यम, वेजयंतीमाला, लीला सैमसन, मीनाक्षी सुन्दर पिल्लई मालविका सरुक्कई।

2.   कत्थक

–    कत्थक का नाम ‘कथिका’ अर्थात् ‘कथा’ शब्द से लिया गया है, जो भाव-भंगिमाओं तथा संगीत के साथ महाकाव्यों से ली गई कविताओं की प्रस्तुति करते थे।

–    यह नाट्य शैली मध्य भारत के उत्तर प्रदेश तथा उसके आस-पास के क्षेत्रों में उभरा था।

–    इस नाट्य शैली के लखनऊ, जयपुर, रामगढ़ व बनारस प्रसिद्ध घराने हैं।

कत्थक के प्रमुख नर्तक
बिरजु महाराज, लच्छू महाराज, शम्भू महाराज, सुखदेव महाराज, दयमंती जोशी, सितारा देवी, जय किशन, शोभना नारायण, गोपीकृष्णन, मालविका सरकार।

3.   कुचिपुड़ी

–    कुचिपुड़ी नृत्य विद्या का नाम आन्ध्र प्रदेश के एक गाँव कुस्सेल्वापुरी या कुचेलापुरम् से व्युत्पन्न हुआ है।

–    यह नाट्यशैली आन्ध्र प्रदेश में उभरी।

कुचिपुड़ी के प्रमुख नर्तक
यामिनी कृष्णमूर्ति (पद्म विभूषण–2016), अपर्णा सतीसन, लक्ष्मी नारायण शास्त्री, राधा रेड्डी, राजा रेड्‌डी, पद्मजा रेड्‌डी,  शोभा नायडू, वेदान्तम सत्यनारायण, स्वप्न सुन्दरी, इन्द्राणी रहमान।

4.   कथकली

–    यह नाट्य शैली केरल व उसके आस-पास के क्षेत्रों में विकसित हुई है।

–    कथकली नाट्य शैली को पुनर्जीवित करने का श्रेय राजा मुकंद के संरक्षण में प्रसिद्ध मलयाली कवि वल्लथोल नारायण मेनन को दिया जाता है।

कथकली के प्रमुख नर्तक
गुरु कुंजु कुरूप, शांता राव, कृष्णन कुट्‌टी गोपीनाथ, कृष्ण नायर, रीता गांगुली, मृणालिनी साराभाई, उदयशंकर, आनंद शिवरामन।

5.   मोहिनीअट्टम

–         केरल का प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य मोहिनीअट्टम शब्द का अर्थ है ‘मोहिनी’ अर्थात् ‘सुन्दर नारी’ और ‘अट्टम’ अर्थात् ‘नृत्य’ यानी ‘सुन्दर नारी का नृत्य’

–   मोहिनी अ‌ट्टम नाट्य शैली को पुनर्जीवित करने का श्रेय मलयाली कवि वल्लथोल नारायण मेनन व कल्याणी अम्मा को दिया जाता है।

मोहिनीअट्टम के प्रमुख नर्तक
सुनंदा नायर, माधुरी अम्मा, तारा निडीगाडी, जयप्रभा मेनन, श्रीदेवी, कलामंडलम क्षमवती, गीता गायक, भारती शिवाजी, रागिनी देवी, हेमामालिनी, डॉ. सुनंदा नायर।

6.   ओडिसी

–   इस नृत्य शैली का उद्भव ओडिशा व इसके आस-पास के क्षेत्र में हुआ था।

–   इस नृत्य शैली के सबसे प्राचीन पुरात्विक प्रमाण ओडिशा की उदयगिरी में गुफा मिले हैं।

–   ओडिसी नृत्य को अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति दिलाने का श्रेय चार्ल्स फैब्री तथा इन्द्राणी रहमान को जाता है।

ओडिसी के प्रमुख नर्तक
किरण सहगल, गुरु पंकज चरणदास, संयुक्त पाणिग्रही, कालीचरण पटनायक, गुरु केलु चरण महापात्रा, सोनल मानसिंह, माधवी मुदगल शैरौन लोवेन (अमेरिका), इन्द्राणी रहमान।

7.   मणिपुरी

–   मणिपुर व उसके आस-पास के क्षेत्रों पनपी मणिपुरी नृत्य शैली का पौराणिक प्रमाण मणिपुर की घाटियों में स्थानीय गन्धर्वों के साथ शिव पार्वती के नृत्य में मिलता है।

–   मणिपुरी नृत्य के शिक्षकों को शान्ति निकेतन में आंमत्रित करके रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इस नृत्य को मणिपुर के बाहर लोकप्रिय बनाया।

मणिपुरी के प्रमुख नर्तक
झावेरी बहनें (दर्शना, नयना, स्वर्णा, रंजना) गुरु बिपिन सिंह, नल कुमार सिंह, गुरु अमली सिंह, चारु माथुर, सविता मेहता, कलावती देवी, बिम्बावती, सोनारिक सिंह।

8.   सत्त्रिया

–   इस नृत्य शैली का उद्भव असम व उसके आस-पास के क्षेत्रों में हुआ।

सत्त्रिया के प्रमुख नर्तक
गहन चंद्रा गोस्वामी, गुरु इन्दिरा पी.पी.बोहरा, प्रदीप चालिहा, जतिन गोस्वामी, शारोदी सौकिया, परमान्दा बारबयान, गोस्वामी मणिक बारबयान, प्रभात शर्मा, भाबानंद बारबयान। 

-: नोट :-

संस्कृति मंत्रालय ने छऊ नृत्य को भी भारत का शास्त्रीय नृत्य माना है।

छऊ

–    इस नृत्य शैली का उद्भव पश्चिम बंगाल, झारखण्ड व ओडिशा में हुआ था।

–    छऊ को “छौनाच” भी कहा जाता है।

–    मार्शल और लोक परम्पराओं वाला एक मुखौटा रूपी अर्ध शास्त्रीय नृत्य है।

Join Whatsapp GroupClick Here
Join TelegramClick Here

उम्मीद करते हैं इस Static Gk : भारत के प्रमुख शास्त्रीय नृत्य पोस्ट में जो भी प्रश्न – उत्तर हमने उपलब्ध करवाए हैं वो आपकी तैयारी में जरूर काम आएंगे ऐसे ही नोट्स के साथ तैयारी करने के लिए आप हमारी इस वेबसाइट से जुड़ सकते हैं

3 thoughts on “Static Gk : भारत के प्रमुख शास्त्रीय नृत्य”

Leave a Comment