आज की इस पोस्ट में हम कक्षा 12 के भारतीय इतिहास का अध्याय 1 : ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ हड़प्पा सभ्यता के नोट्स उपलब्ध करवा रहे हैं अगर आप NCERT पढ़ने में रुचि रखते हैं तो हमारे इन नोट्स को एक बार जरूर पढ़ें जिन्हें हमने बहुत ही सरल एवं आसान भाषा में तैयार किया है अध्याय 1 से संबंधित संपूर्ण नोट्स आपको इस पोस्ट में देखने को मिलेंगे जिन्हें आप पीडीएफ फॉर्मेट में हिंदी भाषा में नि शुल्क डाउनलोड भी कर सकते हैं
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ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ हड़प्पा सभ्यता
Table of contents
संस्कृति शब्द का अर्थ
पुरातत्वविद ‘ संस्कृति ‘ शब्द का प्रयोग पुरावस्तुओं के ऐसे समूह के लिए करते हैं जो एक विशिष्ट शैली के होते हैं और सामान्यतया एक साथ, एक विशेष काल– खंड तथा भौगोलिक क्षेत्र से संबद्ध में पाए जाते हैं।
हड़प्पा सभ्यता / सिंधु घाटी सभ्यता
– प्राचीन भारत की पहली सभ्यता हड़प्पा सभ्यता है। यह संस्कृति पहली बार हड़प्पा नामक स्थान पर खोजी गई थी इसलिए उसी के नाम पर इस संस्कृति का नाम रखा गया है। हड़प्पा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मोंटगोमरी जिले की रावी नदी के बाएं तट पर स्थित है। लगभग 2600 और 1900 ईसा पूर्व के बीच इसका काल निर्धरण किया गया है। इस सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता भी कहा जाता है।
– इस सभ्यता का विस्तार प्रारंभ में 12 लाख 99 हजार 600 वर्ग K.M निर्धारित किया गया था। जो अब 15 – 20 लाख वर्ग K.M के आस – पास संभावित है। सिंधु सभ्यता के लिए सुझाया गया नाम सिंधु सरस्वति संस्कृति एवं सिंधु सभ्यता का उपयुक्त नाम हडप्पा सभय्ता है।
– सिंधु सभ्यता मे महादेवन एवं विश्वनाथ द्वारा किए गए शोध के आधार पर 2467 अभिलेख/ अभिलिखित सबूत मिले हैं। जिसकी संख्या अब 3000 के आसपास हो गई है।
हड़प्पा संस्कृति काल / सिंधु घाटी सभ्यता
2600 से 1900 ईसा पूर्व
हड़प्पा संस्कृति के भाग / चरण
– आरंभिक हड़प्पा संस्कृति
– विकसित हड़प्पा संस्कृति
– परवर्ती हड़प्पा संस्कृति
– B . C . (Before Christ) – ईसा पूर्व
– A . D (Ano Dominy) – ईसा मसीह के जन्म वर्ष
– B . P (Before Present) – आज से पहले
हड़प्पा सभ्यता की खोज
नोट :- हड़प्पा सभ्यता की खोज 1921-22 में दया राम साहनी, रखालदास बनर्जी और सर जॉन मार्शल के नेतृत्व में हुई।
– 1856 में जब कराची और लाहौर के बीच पहली बार रेलवे लाइन का निर्माण किया जा रहा था तो उत्खनन कार्य के दौरान अचानक हड़प्पा पुरास्थल मिला। यह स्थान आधुनिक समय में पाकिस्तान में है। उन कर्मचारियों ने इसे खंडहर समझ लिया और यहां की हजारों ईंट उखाड़ कर यहां से ले गए और ईंटों का इस्तेमाल रेलवे लाइन बिछाने में किया गया लेकिन वह यह नहीं जान सके की यहां कोई सभ्यता थी।
– उस समय जॉन व्रटन और विलियम व्रटन दोनो ने एक महत्वपूर्ण सभ्यता होने का संकेत दिया लेकिन फिर भी कोई उत्खनन नही किया गया।
– 1920 – 21 में माधोस्वरूप वत्स व दयाराम साहनी के द्वारा पहली बार हड़प्पा का उत्खनन किया गया।
– 1922 में रखाल दास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो नामक स्थान का उत्खनन किया जो पाकिस्तान के सिंध क्षेत्र में लरकाना जिले में सिंधु नदी के दाएं तट पर स्थित है। रखाल दास बनर्जी इस टीले के ऊपर स्थित कुषाण युगीन, बौद्ध स्तुप का उत्खनन कर रहे थे।
नोट :- मोहनजोदडो का शाब्दिक अर्थ :-i) मृतको का टीला ii) मुर्दो का टीला iii) प्रेतो का टीला iv) सिंध का बाग v) सिंध ना नक्लस्थान।
– इन दोनों उत्खनन के बाद सन् 1924 में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के डायरेक्टर जनरल सर जॉन मार्शल ने पूरे विश्व के सामने एक नई सभ्यता की खोज की घोषणा की। सर जॉन मार्शल ने लंदन वीकली नामक पत्रिका में इसे सिंधु सभ्यता नाम दिया।
हड़प्पा सभ्यता को सिन्धुघाटी सभ्यता क्यों कहा जाता है ?
इस सभ्यता को सिन्धुघाटी सभ्यता इसलिए कहा जाता है क्योकि यह सभ्यता सिन्धु नदी घाटी के आसपास फैली हुई थी। यह इलाका उपजाऊ था, हड़प्यावासी यहाँ पर खेती किया करते थे।
सिंधु सभ्यता की लिपि
– सिंधु लिपि को पढ़ने का प्रथम प्रयास 1925 में वेंडेल ने तथा नवीतम प्रयास नटवर झा, घनपत सिंह धान्या, राजाराम ने की थी। लेकिन अभी तक भी सिंधु लिपि को प्रमाणित रूप से पढ़ा नही जा सकता है।
– लिपि के सबसे ज्यादा अक्षर मोहनजोदड़ो से तथा दूसरे नंबर पर हड़प्पा से मिले हैं। लिपि के सबसे बड़े अक्षर धोलावीरा से मिले हैं। जिन्हें Notice Board का प्रतीक माना गया है।
– सिंधु लिपि भावचित्रात्मक है। अर्थात चित्रो के माध्यम से भावो को अभिव्यक्त करना। सिंधु लिपि दोनो ओर से लिखी जाती है इसलिए इसे बुस्ट्रोफेदेन कहा गया है।
– सिंधु सभ्यता के विभिन्न पक्षो को जानने की दृष्टि से विशेष उलेखनीय है : सेलखड़ी प्रस्तर एवं पक्की मिट्टी से निर्मित विभिन्न आकर और प्रकार की मोहरे जिनमे आयताकार और वर्गाकार प्रमुख हैं।
– आयताकार पर केवल लेख मिलते है जबकि वर्गाकार पर लेख और चित्र दोनो मिलते है। मेसोपोटामिया की 5 बेलनाकार मोहरे मोहनजोदड़ो से मिली है तथा फारस की बनी हुई संगमरमर की मोहरे लोथल से मिली है।
सिंधु सभ्यता के निर्माता
सिंधु सभ्यता के अंतर्गत उत्खनन में मुख्य 4 प्रकार के अस्ति पंजर मिले हैं
– प्रोटो – आस्ट्रोलॉयड
– भूमध्य सागरीय
– अल्पाइन
– मंगोलियन
इसके आधार पर यह सम्भावना स्वीकार की गई है। इसके निर्माण मे मित्रित प्रजातियों के लोगों का स्थान था वैसे तो इनका संस्थापक द्रविडा को माना गया है। जो बाद में दक्षिण भारत में पलायन कर गये।
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