इस पोस्ट में हम Indian Geography Class 12 Chapter 10 Notes ( मानव बस्ती ) ग्रामीण बस्तियों का वर्गीकरण की बात करने वाले हैं क्योंकि यह टॉपिक भारतीय भूगोल का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जो आपको कक्षा 12 के अध्याय 10 में पढ़ने के लिए मिलता है इसलिए संपूर्ण अध्याय के नोट्स हम आपके लिए नि शुल्क लेकर आए हैं ताकि आप इसे अच्छे से तैयार कर सके और याद कर सके
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Table of contents
ग्रामीण बस्तियों का वर्गीकरण , कारक
· एक स्थान का स्थायी रूप बसना, मानव बस्ती कहलाता है।
· किसी भी क्षेत्र में बस्तियों का रूप उस क्षेत्र के वातावरण से वहाँ के मानव क संबंध दर्शाता है।
बस्तियों का वर्गीकरण
· वर्गीकरण का आधार–
1. जनसंख्या 2. क्रियाकलाप | |
नगरीय बस्ती | ग्रामीण |
· Note : उपनगरीकरण – बड़े शहरों के समीप लोग स्वच्छता, रहन–सहन की गुणवता और खुले स्थानों पर जाकर बसते हैं जहाँ सभी नगरीय सुविधाएँ उपलब्ध होती है। शहरों के निकट स्थित ऐसे छोटे नगरों को उपनगर कहा जाता है।
· भारत में नगर की परिभाषा – 1991 की जनगणना के दौरान नगरीय बस्तियों के बस्तियों को परिभाषित किया गया है–
– कम से कम 5000 लोग निवास करते हैं।
– जनघनत्व 400 व्यक्ति/प्रतिवर्ग किमी है।
– 75% जनता गैरकृषि कार्यों में संलग्न हो।
– वह क्षेत्र नगरपालिका, निगम, छावनी, बोर्ड अधिसूचित है।
बस्तियों के प्रकार एवं प्रतिरूप
· बस्तियों को आकृति एवं प्रतिरूप के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
आकृति के आधार पर
सहंत बस्ती | प्रकीर्ण बस्ती |
जिसमें मकान समीप–समीप होते हैं। | जिसमें मकान दूर–दूर होते है और घर खेतों के द्वारा अलग होते हैं। |
यह बस्तियाँ नदी घाटीयों के सहारे या उपजाऊ मैदानों में विकसीत होती है। | सांस्कृतिक स्थल जैसे– पूजा स्थल, बाजार इनकों |
इनमें लोगों का व्यवसाय समान होता है। |
ग्रामीण बस्ती
· यह बस्तियाँ प्रत्यक्ष रूप से भूमि से नजदीक का सम्बन्ध रखती है।
· इनमें रहने वाले अधिकतर लोग प्राथमिक क्रियाकलाप से जुड़े होते हैं।
· इनका आकार थोड़ा छोटा होता है।
ग्रामीण बस्तियों को प्रभावित करने वाले कारक
1. जल आपूर्ति
· साधारण बस्तियाँ उन क्षेत्रों में बसती है, जहाँ जल आसानी से उपलब्ध होता है, जैसे– नदियाँ, झीले, झरने आदि।
· जल मानव के दैनिक जीवन में और कृषि कार्यों में सर्वाधिक काम आता है।
2. भूमि
· मानव बसने के लिए उन स्थानों का चुनाव करता है जो भूमि कृषि कार्यों के लिए उपयुक्त और उपजाऊ हो।
· यूरोप में निम्न नदी घाटियों में बस्तियाँ नहीं बसाई जाती है जबकि दक्षिणी पूर्वी एशिया में ज्यादातर बस्तियाँ निम्न घाटियों में बसाई गई क्योंकि यह भूमि–चावल के लिए उपयुक्त है।
उच्च भूमि का क्षेत्र
· मानव ने अपने अधिवास हेतु ऊँचे स्थानों का चयन इसलिए करता है ताकि बाढ़ के समय मकान व अपने आप को सुरक्षित रख सके।
· उष्णकटिबंधीय देशों में घर स्तंभों पर बनाए जाते हैं ताकि बाढ़ और कीड़े–मकौड़े से बचा जा सके।
गृह निर्माण सामग्री
· मानव उन्हीं क्षेत्रों में निवास करना पसंद करता है जहाँ भवन निर्माण सामग्री आसानी से उपलब्ध हो जाए, जैसे– लकड़ी, पत्थर।
· प्राचीन समय में वनों का काटकर गाँव बसाए गए क्योंकि वहाँ लकड़ी बहुतायात मात्रा में उपलब्ध थी।
· चीन के लोयस क्षेत्र में मानव कंदराओं मे मकान बनाते हैं।
· अफ्रीका के सवाना क्षेत्रों में कच्ची ईंटों से मकान बनाते हैं।
· ध्रुवीय क्षेत्रों में एस्किमो अपने मकान (इग्लू) हिम खंडों से बनाते हैं।
सुरक्षा
· राजनीतिक अस्थिरता, युद्ध एवं पड़ौसी समूह की उपद्रवी होने की स्थिति में गाँवों को सुरक्षात्मक दृष्टि से पहाड़ियों एवं द्वीपों पर बसाया जाता था।
· भारत में अधिकतर दूर्ग ऊँची पहाड़ियों पर ही स्थित है।
नियोजित बस्तियाँ
· सरकार द्वारा अधिग्रहीत भूमि पर निवासियों को सभी प्रकार की सुविधाएँ (पानी, आवास तथा अन्य आधारभूत सेवाएँ) उपलब्ध करवाकर विकसित की गई बस्तियाँ, ‘नियोजित बस्तियाँ’ कहलाती है।
· उदाहरण – भारत में इन्दिरा गाँधी नहर के समीप नहरी बस्तियाँ।
ग्रामीण बस्तियों के प्रतिरूप
· ग्रामीण बस्तियों का प्रतिरूप दर्शाता है कि वहाँ के मकान एक–दूसरे से किस प्रकार सम्बन्धित है।
· गाँवों की आकृति और प्रसार को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक स्थलाकृति, भू-भाग, गाँवों की स्थित है।
ग्रामीण बस्तियों का वर्गीकरण
विन्यास के आधार पर | क्रियाकलाप के आधार पर | आकृति के आधार पर |
मैदानी गाँव | कृषकों के गाँव | रेखीय आकृति |
पठारी गाँव | मछुवारों के गाँव | आयताकार आकृति |
मरूस्थलीय गाँव | लकड़हारों के गाँव | वृताकार आकृति |
तटीय गाँव | पशुपालकों के गाँव | तारे की आकृति |
वन गाँव | चौक पट्टी की आकृति | |
दोहरे गाँव | ||
T आकृति | ||
Y आकृति |
ग्रामीण बस्तियों की समस्याएँ
· ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं, और पर्याप्त नहीं
· कचरा निस्तारण व शौचालय की समस्या
· मकान मिट्टी, लकड़ी या छप्पर के बने है जिन्हें भारी वर्षा या बाद के दौरान नुकसान होता है।
· परिवहन व संचार की समस्या
· शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव
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