अगर आप किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और आपके सिलेबस में उद्योगों से संबंधित टॉपिक है तो यह आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है जिसमें हम आपके लिए लौह इस्पात उद्योग ( Iron and Steel Industry ) के बारे में संपूर्ण क्लासरूम नोट्स उपलब्ध करवा रहे हैं इन नोट्स को पढ़ने के बाद आपको यह टॉपिक अच्छे से क्लियर हो जाएगा
लौह इस्पात उद्योग : Indian Geography विषय का एक टॉपिक है जहां से बहुत बार परीक्षा में प्रश्न पूछ लिया जाता है इसलिए हम इस पोस्ट में बहुत ही शानदार नोट्स आपके लिए लेकर आए हैं जिन्हें पढ़ने के बाद आपको कहीं अन्य जगह से इस टॉपिक को पढ़ने की आवश्यकता नहीं होगी इसलिए हमारे द्वारा उपलब्ध करवाये गये इन नोट्स को अच्छे से जरूर पढ़ें एवं याद कर ले
Indian Geography Notes : लौह इस्पात उद्योग
● यह एक आधारभूत उद्योग हैं क्योंकि अन्य सभी भारी, हल्के और मध्यम उद्योग इससे बनी मशीनरी पर निर्भर है।
● लौह इस्पात एक भारी उद्योग है क्योंकि इसमें प्रयुक्त कच्चा और तैयार माल दोनों ही भारी और स्थूल होते हैं। इसलिए इस उद्योग की सबसे अच्छी स्थिति कच्चे माल स्रोतों के निकट होती है। भारत में छत्तीसगढ़, उत्तरी ओडिशा, झारखण्ड और पश्चिमी बंगाल एक अर्द्धचन्द्राकार प्रदेश है, जो कि उच्च कोटि के लौह अयस्क, अच्छे गुणवत्ता वाले कोककारी कोयला और अन्य सम्पर्कों से समृद्ध है।
● इस उद्योग के लिए लौह अयस्क, कोकिंग कोयला तथा चूना पत्थर का अनुपात 4 : 2 : 1 का है। इस्पात को कठोर बनाने के लिए इसमें मैंगनीज की कुछ मात्रा की आवश्यकता होती है।
● भारत विश्व में इस्पात विनिर्माण में तीसरे स्थान पर है, जबकि स्पंज लौह का भारत सबसे बड़ा उत्पादक है।
● विश्व में चीन इस्पात का सबसे बड़ा उत्पादक तथा सर्वाधिक खपत वाला देश है।
एकीकृत इस्पात कारखानें (TISCO):–
1. टाटा लौह इस्पात कंपनी
● स्थापना- 1907
● स्थान- साकची (झारखण्ड) इसका नाम परिवर्तन कर जमशेदपुर कर दिया गया।
● नदी- स्वर्ण रेखा एवं खारकोई
● रेलमार्ग- मुम्बई-कोलकाता रेलमार्ग
● बंदरगाह- कोलकाता बंदरगाह
● लौह अयस्क प्राप्ति- नोआ मण्डी, बादाम पहाड़ से
● कोयला प्राप्ति- झरिया, बोकारो
● चूना पत्थर- बीर मित्रपुर
2. भारतीय लोहा और इस्पात कंपनी (IISCO)
● स्थान- हीरापुर, कुल्टी, बर्नपुर
● नदी– बराकर नदी
● रेलमार्ग- कोलकाता-आसनसोल
● बंदरगाह- कोलकाता बंदरगाह
● लौह अयस्क प्राप्ति- सिंहभूम (झारखण्ड)
● कोयला प्राप्ति- रानीगंज, झरिया, रामगढ़
● चूना पत्थर- बीरमित्र पुर
● नोट:- 1972–1973 इस संयंत्र का सरकार ने अधिग्रहण कर लिया।
3. विश्वेश्वरैया आयरन एण्ड स्टील वर्क्स (VISW)
● पुराना नाम- मैसूर लौह इस्पात वर्क्स
● स्थान- भद्रावती
● नदी- भद्रावती नदी
● रेलमार्ग- शिवमोगा से तुमकुरू
● लौह अयस्क प्राप्ति- बाबा बूदन पहाड़ियों के केमान गुंडी खान से
● जल विद्युत- जोग जलप्रपात जलविद्युत परियोजना से
● नोट:- इस प्रदेश में कोयला नहीं मिलता।
4. राउरकेला इस्पात संयंत्र
● स्थापना- 1959
● स्थान- राउरकेला (सुंदरगढ़ जिला, ओडिशा)
● सहयोग- जर्मनी
● नदी- शंख और कोईल
● जलविद्युत- हीराकुण्ड परियोजना से
● लौह अयस्क प्राप्ति- सुंदरगढ़, केंदुझर
● कोयला प्राप्ति- झरिया
● चूना प्राप्ति- बीरमित्रपुर
5. भिलाई इस्पात संयंत्र
● स्थापना- 1959
● स्थान- भिलाई (दुर्ग जिला, छत्तीसगढ़)
● सहयोग- रूस
● जलप्राप्ति- तंदुला बाँध
● लौह अयस्क- डलीराजहरा खानों से
● कोयला प्राप्ति- कोरबा और करगाली खानों से
● रेलमार्ग- कोलकाता- मुंबई रेलमार्ग
● जलविद्युत- कोरबा ताप शक्ति ग्रह से
● नोट:- इस संयंत्र से उत्पादित इस्पात का अधिकांश भाग विशाखापट्टनम में स्थित है। हिन्दुस्तान शिपयार्ड में चला जाता है।
6. दुर्गापुर इस्पात संयंत्र
● स्थापना- 1962
● स्थान- दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल)
● सहयोग- U.K.
● जलप्राप्ति- दामोदर घाटी परियोजना
● जलविद्युत- दामोदर घाटी परियोजना
● लौह अयस्क- नोआ मण्डी
● कोयला प्राप्ति- रानीगंज, झरिया
● चूना पत्थर- बीरमित्रपुर
● रेलमार्ग- कोलकाता-दिल्ली रेलमार्ग
● नोट:- राउरकेला, भिलाई और दुर्गापुर द्वितीय पंचवर्षीय योजना में स्थापित किए गए। यह सभी हिन्दुस्तान स्टील लिमिटेड के अधिकार में आते हैं।
7. बोकारो इस्पात संयंत्र
● स्थापना- 1964
● स्थान- बोकारो (झारखण्ड)
● सहयोग- रूस
● जलप्राप्ति- दामोदर घाटी परियोजना
● जलविद्युत- दामोदर घाटी परियोजना
● नोट:- इस संयंत्र की स्थापना तीसरी पंचवर्षीय योजना में परिवहन लागत न्यूनीकरण सिद्धांत के आधार पर की गई थी। यह संयंत्र हिन्दुस्तान स्टील लिमिटेड के अधिकार में आता है।
अन्य इस्पात संयंत्र
8. विजाग इस्पात
● शुरुआत- 1992
● स्थान- विशाखा पट्टनम (आंध्रप्रदेश)
● नोट:- पहला पतन आधारित संयंत्र
9. विजयनगर इस्पात संयंत्र
● स्थान- हॉसपेट (कर्नाटक)
10. सेलम इस्पात संयंत्र
● शुरुआत- 1982
● स्थान- सेलम (तमिलनाडु)
● नोट:- भारत में लौह इस्पात संयंत्रों के प्रबंधन के लिए स्टील अथोरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) की स्थापना 1973 में की गई।
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