क्या आप उत्तर प्रदेश में पशुपालन एवं सरकारी योजनाएं ( Animal Husbandry and Government Schemes in Uttar Pradesh ) से संबंधित नोट्स पढ़ना चाहते है तो हमने इस पोस्ट के माध्यम से इस टॉपिक को अच्छे से क्लियर करने का प्रयास किया है जो लगभग उत्तरप्रदेश की सभी प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए अत्यंत महत्पूर्ण है जिसमे पशुपालन एवं सरकारी योजनाओं से संबंधित लगभग सभी जानकारी उपलब्ध करवाई है
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उत्तर प्रदेश में पशुपालन
Table of contents
– वर्ष 1944 में स्थापित पशुपालन विभाग पशुधन के विकास हेतु निरन्तर प्रयासशील है। 2012 की पशु गणना के आँकड़ों के अनुसार प्रदेश में पशुओं की कुल संख्या 687.15 लाख है। भारत वर्ष के सम्पूर्ण पशुधन की तुलना में उत्तर प्रदेश में 13.41% पशु हैं जो कि राष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक है।
– उत्तर प्रदेश के पशुओं में लगभग 195 लाख गोवंशीय पशु तथा लगभग 306 लाख महिषवंशीय पशु हैं
– उत्तर प्रदेश में कुल पशु चिकित्सालयों की संख्या लगभग 2202 है। प्रदेश में 2575 पशु सेवा केंद्र, 5043 कृत्रिम गर्भाधान केंद्र तथा 3 अतिहिमांकृत वीर्य उत्पादन केंद्र हैं।
– पशुओं की विशेष चिकित्सा के लिए गोरखपुर, मुजफ्फरनगर, लखनऊ, बागपत, गौतमबुद्ध नगर, वाराणसी तथा इटावा जनपदों में पशु पालीक्लिनिक खोले गए हैं।
– प्रदेश में पशुओं को लगने वाले टीके का उत्पादन पशु जैविक औषधि संस्थान, लखनऊ द्वारा किया गया है।
– बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पशुओं के लिए चारे की कमी को देखते हुए केंद्र सरकार के सहयोग से झाँसी के भरारी में पशु चारा बैंक की स्थापना की गई है।
गोवंशीय पशुओं को वध से सुरक्षा प्रदान करने हेतु उत्तर प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम 1955 लाया गया था। उत्तर प्रदेश में राजकीय गो सदनों की कुल संख्या 8 है। प्रदेश सरकार द्वारा गो पालन को बढ़ावा देने के लिए 1999 में उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग की स्थापना की गई।
प्रदेश में राजकीय भेड़ प्रजनन केंद्रों की संख्या 2 है जबकि राजकीय सूकर प्रजनन केंद्रों की संख्या 8 है।
– कुक्कुट पालन के क्षेत्र में विकास हेतु राज्य सरकार ने 2013 में कुक्कुट नीति की घोषणा की है जिसमें अनेक प्रकार की छूट दी गई हैं।
– प्रदेश में मछली के उत्पादन एवं रोजगार में वृद्धि हेतु स्वतंत्र रूप से मत्स्य विभाग की स्थापना 1966 में की गई थी। इसके बाद मत्स्य क्षेत्रों में विकास हेतु उत्तर प्रदेश मत्स्य निगम की भी स्थापना की गई।
– मछुआरा दुर्घटना बीमा योजना 1985-86 में प्रारम्भ की गई थी।
– जून, 2015 में मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा दिया गया।
– मधुमक्खी पालन एक सहायक कुटीर उद्योग है। प्रदेश के 16 जिलों में मधुमक्खी पालन केंद्र संचालित है।
दुग्ध विकास
– उत्तर प्रदेश में 1976 में दुग्ध विकास विभाग तथा राज्य दुग्ध परिषद् की स्थापना की गई थी।
– प्रादेशिक को-ऑपरेशन डेयरी फेडेरेशन का गठन 1962 में हुआ था। इसके प्रमुख कार्यों में ग्रामीण स्तर पर दुग्ध समितियों की स्थापना कर दुग्ध का उपार्जन, संग्रहण, प्रसंस्करण एवं वितरण करना है।
– ऑपरेशन फ्लड I इसी के तहत संचालित किया गया था।
– राज्य दुग्ध परिषद् की स्थापना 1976 में की गई थी। इसका प्रमुख कार्य लाइसेंसिंग, क्षेत्र आरक्षण, दुग्ध मूल्य निर्धारण इत्यादि है।
– देश व प्रदेश में प्रथम नियमित दुग्ध संघ 1938 में लखनऊ में स्थापित हुआ था। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में कुल 59 दुग्ध संघ कार्य कर रहें है।
– केंद्र सरकार द्वारा 1973 में प्रारम्भ किया गया ऑपरेशन फ्लड I प्रदेश के मेरठ-वाराणसी तथा बलिया जिलों से प्रारम्भ हुआ था।
– ऑपरेशन फ्लड II 1982-83 से 1987 तक तथा ऑपरेशन फ्लड III 1987 से 1996-97 तक चला था।
– उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा दुग्ध संयंत्र मथुरा में स्थापित है, जबकि प्रदेश का इकलौता गौ दुग्ध संयंत्र कन्नौज में स्थापित है।
एकीकृत दुग्धशाला विकास परियोजना
– यह एक पूर्णतः केंद्र प्रायोजित परियोजना है।
– इसका उद्देश्य राज्य के पिछड़े क्षेत्रों में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाना, उनका विपणन एवं रोजगार का सृजन करना है।
नन्द बाबा पुरस्कार योजना
– प्रदेश में पशुपालन को प्रोत्साहित करने तथा दुग्ध उत्पादकों के मध्य प्रतिस्पर्द्धा उत्पन्न करने के उद्देश्य से यह योजना चलाई जा रही है।
– इस योजना के तहत दुग्ध संघ को देशी नस्ल की गाय के दूध की सर्वाधिक आपूर्ति करने वाले तीन उत्पादकों को प्रदेश एवं जिला स्तर पर पुरस्कृत किया जाता है।
गोकुल पुरस्कार योजना
– इस योजना में सहकारी क्षेत्र के अन्तर्गत दुग्ध उत्पादकों को उनके मध्य स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा करने एवं अच्छी नस्ल के पशुओं को पालने के लिए प्रेरित करने के लिए चलाई जा रही है।
– इस योजना के अन्तर्गत राज्य के प्रत्येक दुग्ध संघ के सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन करने वाले उत्पादक को पुरस्कृत किया जाता है।
पण्डित दीनदयाल उपाध्याय डेयरी परियोजना
– यह परियोजना कामधेनु डेयरी योजना की जगह चलाई जा रही है।
– इस परियोजना का उद्देश्य छोटी इकाइयों से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि करना तथा स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन करना है।
– इस परियोजना में 6-6 दुधारू पशुओं की डेयरी स्थापित की जाती है।
भारतीय चारागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झाँसी
– इसकी स्थापना वर्ष 1962 में की गई।
– झाँसी में इस संस्थान की स्थापना का मुख्य कारण यहाँ सभी प्रमुख घासों का पाया जाना था।
– जलवायु तथा कृषि की क्षेत्रीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर देश में इस संस्थान के तीन क्षेत्रीय केंद्र स्थापित किए गए हैं–
1. अम्बिकानगर (राजस्थान) में।
2. धारवाड़ (कर्नाटक) में।
3. पालमपुर (हिमाचल प्रदेश) में।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गौ रक्षा अनुसंधान संस्थान, मथुरा
– इसकी स्थापना 25 अक्टूबर, 2001 को की गई।
– यह अपनी तरह का उत्तर प्रदेश का पहला तथा भारत का चौथा पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय है।
– ध्यातव्य है कि पशु चिकित्सा विज्ञान में डिग्री प्रदान करने वाले एशिया के पहले पशु चिकित्सा कॉलेज की स्थापना वर्ष 1947 में उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन कॉलेज के नाम से मथुरा में की गई थी।
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